"आंसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा
जहां प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका
राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक रहा जनम से
सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये
केवल इस ग़लती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा।
खिलने को तैयार नहीं थीं
तुलसी भी जिनके आँगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे
उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रास रचाया
आंख भरी तो झूमके गाया
जैसे मैं जी लिया किसी से क्या इस तरह जिया जाएगा।
काजल और कटाक्षों पर तो
रीझ रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली
आंंखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी
तार-तार हर सांस हो गई
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो ज़्याद नहीं सिया जाएगा
जब भी कोई सपना टूटा
मेरी आंख वहां बरसी है
तड़पा हूं मैं जब भी कोई
मछली पानी को तरसी है,
गीत दर्द का पहला बेटा
दुख है उसका खेल खिलौना
कविता तब मीरा होगी जब हंसकर जहर पिया जाएगा।"
- गोपालदास नीरज
जहां प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा।
मान-पत्र मैं नहीं लिख सका
राजभवन के सम्मानों का
मैं तो आशिक रहा जनम से
सुंदरता के दीवानों का
लेकिन था मालूम नहीं ये
केवल इस ग़लती के कारण
सारी उम्र भटकने वाला, मुझको शाप दिया जाएगा।
खिलने को तैयार नहीं थीं
तुलसी भी जिनके आँगन में
मैंने भर-भर दिए सितारे
उनके मटमैले दामन में
पीड़ा के संग रास रचाया
आंख भरी तो झूमके गाया
जैसे मैं जी लिया किसी से क्या इस तरह जिया जाएगा।
काजल और कटाक्षों पर तो
रीझ रही थी दुनिया सारी
मैंने किंतु बरसने वाली
आंंखों की आरती उतारी
रंग उड़ गए सब सतरंगी
तार-तार हर सांस हो गई
फटा हुआ यह कुर्ता अब तो ज़्याद नहीं सिया जाएगा
जब भी कोई सपना टूटा
मेरी आंख वहां बरसी है
तड़पा हूं मैं जब भी कोई
मछली पानी को तरसी है,
गीत दर्द का पहला बेटा
दुख है उसका खेल खिलौना
कविता तब मीरा होगी जब हंसकर जहर पिया जाएगा।"
- गोपालदास नीरज