टेढ़ी खीर - लोककथा, Hindi Story, Folk Story, Short Story
टेढ़ी खीर एक भाईसाहब की कहानी है. जो बचपन से ही अंधे थे. उन्होंने कभी खीर नहीं देखा था. लेकिन उन्हें खीर खाने के लिए दिया गया तो उनकी जिज्ञासा जाग गई कि आखिर ये होता कैसा है. आगे क्या हुआ ये जानने के लिए पढिए टेढ़ी खीर की कहानी.
किसी गाँव में शादी की बारात की दावत चल रही थी। वहाँ मेहमानों की बहुत सेवा हो रही थी। उन्हीं मेहमानों में एक सज्जन, जिनको सभी भाईसाहब कहकर बुला रहे थे, वे जन्म से ही अंधे थे। उन्हें खाने के बाद खीर परोसी गई।
उस सज्जन यानि भाईसाहब को खीर बहुत पसन्द आयी। उन्होंने खीर परोसने वाले सज्जन को बुलाया और उससे पूछा- 'ये क्या है?' परोसने वाले सज्जन ने कहा- 'ये खीर है।' भाईसाहब ने पूछा- 'ये किस रंग का है?' तो सज्जन ने उन्हें बताया कि इसका रंग सफेद है,
इस पर वह भाईसाहब फिर बोले- 'सफेद क्या होता है।' परोसने वाले ने व्यक्ति ने कहा- 'जैसा बगुले का रंग होता है ठीक वैसा ही खीर का भी रंग होता है।' लेकिन वे भाईसाहब ने बगुला भी कभी नहीं देखा था। इसलिए उन्होंने फिर पूछा - 'अरे भाई, बगुला क्या होता है।'
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