❇️👉सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) ❇️
👉किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में आमलोगों को 'सूचना का अधिकार' प्रदान करने का तात्पर्य होता है, जनभागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया सराहनीय कदम। क्योंकि किसी भी संवैधानिक सत्ता से समुचित सूचना पाने का जो अधिकार पहले सिर्फ जनप्रतिनिधियों के पास होता है, वही कमोबेश इस कानून के माध्यम से जनता में भी हस्तांतरित कर दिया गया है।
👉यदि आम लोगों के द्वारा इसका सदुपयोग किया जाए तो सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार में काफी कमी आ सकती है। इससे विकास और सुशासन की अवधारणा परिपुष्ट होती है। लेकिन यदि इसका किसी भी प्रकार से दुरुपयोग किया जाए अथवा दुश्मन देशों से एकत्रित आंकड़े व जानकारियां साझा की जाने लगें तो किसी भी शासन द्वारा स्थापित व्यवस्था की स्वाभाविक गति भी अवरुद्ध हो सकती है।
👉शायद यही वजह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता व अखंडता जैसे अहम पहलुओं के मद्देनजर कुछ सूचनाओं को मांगने का जनता का अधिकार ही इस कानून में कानूनन प्रतिबंधित कर दिया गया है।
❇️👉वर्ष 2005 में भारत में अस्तित्व में आया सूचना का अधिकार कानून
👉15 जून 2005 को भारत में सूचना का अधिकार कानून को अधिनियमित किया गया और पूर्णतया 12 अक्टूबर 2005 को सम्पूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया। सूचना का अधिकार को अंग्रेजी में राईट टू इन्फॉरमेशन कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार। जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना के अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपनी कार्य प्रणाली और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है।
👉किसी भी लोकतंत्र में देश की जनता अपने चुने हुए व्यक्ति को शासन करने का अवसर प्रदान करती है और उनसे यह अपेक्षा करती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने सभी दायित्वों का पालन करेगी। लेकिन, बदलती परिस्थितियों में अधिकांश राष्ट्रों ने अपने दायित्वों का गला घोंटते हुए पारदर्शिता और ईमानदारी की बोटियां नोंचने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, लगे हाथ भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कीर्तिमान कायम करने के लिए एक भी मौका अपने हाथ से गंवाना नहीं भूले, तब जाकर सूचना का अधिकार कानून की अहमियत समझी गई और इसे लागू करने के लिए एक सार्थक मुहिम चलाई गई।
Post अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर कीजिए।
▰▱ ☆★ ▱▰ ☆★ ▰▱ ☆★
Join √ @hardikstudy
▰▱ ☆★ ▱▰ ☆★ ▰▱ ☆★
👉किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में आमलोगों को 'सूचना का अधिकार' प्रदान करने का तात्पर्य होता है, जनभागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया सराहनीय कदम। क्योंकि किसी भी संवैधानिक सत्ता से समुचित सूचना पाने का जो अधिकार पहले सिर्फ जनप्रतिनिधियों के पास होता है, वही कमोबेश इस कानून के माध्यम से जनता में भी हस्तांतरित कर दिया गया है।
👉यदि आम लोगों के द्वारा इसका सदुपयोग किया जाए तो सत्ता संरक्षित भ्रष्टाचार में काफी कमी आ सकती है। इससे विकास और सुशासन की अवधारणा परिपुष्ट होती है। लेकिन यदि इसका किसी भी प्रकार से दुरुपयोग किया जाए अथवा दुश्मन देशों से एकत्रित आंकड़े व जानकारियां साझा की जाने लगें तो किसी भी शासन द्वारा स्थापित व्यवस्था की स्वाभाविक गति भी अवरुद्ध हो सकती है।
👉शायद यही वजह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता व अखंडता जैसे अहम पहलुओं के मद्देनजर कुछ सूचनाओं को मांगने का जनता का अधिकार ही इस कानून में कानूनन प्रतिबंधित कर दिया गया है।
❇️👉वर्ष 2005 में भारत में अस्तित्व में आया सूचना का अधिकार कानून
👉15 जून 2005 को भारत में सूचना का अधिकार कानून को अधिनियमित किया गया और पूर्णतया 12 अक्टूबर 2005 को सम्पूर्ण धाराओं के साथ लागू कर दिया गया। सूचना का अधिकार को अंग्रेजी में राईट टू इन्फॉरमेशन कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है, सूचना पाने का अधिकार। जो सूचना अधिकार कानून लागू करने वाला राष्ट्र अपने नागरिकों को प्रदान करता है। सूचना के अधिकार के द्वारा राष्ट्र अपने नागरिकों को अपनी कार्य प्रणाली और शासन प्रणाली को सार्वजनिक करता है।
👉किसी भी लोकतंत्र में देश की जनता अपने चुने हुए व्यक्ति को शासन करने का अवसर प्रदान करती है और उनसे यह अपेक्षा करती है कि सरकार पूरी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ अपने सभी दायित्वों का पालन करेगी। लेकिन, बदलती परिस्थितियों में अधिकांश राष्ट्रों ने अपने दायित्वों का गला घोंटते हुए पारदर्शिता और ईमानदारी की बोटियां नोंचने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी, लगे हाथ भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कीर्तिमान कायम करने के लिए एक भी मौका अपने हाथ से गंवाना नहीं भूले, तब जाकर सूचना का अधिकार कानून की अहमियत समझी गई और इसे लागू करने के लिए एक सार्थक मुहिम चलाई गई।
Post अच्छी लगी हो तो शेयर जरुर कीजिए।
▰▱ ☆★ ▱▰ ☆★ ▰▱ ☆★
Join √ @hardikstudy
▰▱ ☆★ ▱▰ ☆★ ▰▱ ☆★