Sanatan Heritage


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इस चैनल का निर्माण भारत की सनातन संस्कृति को जानने के लिए एवं सनातन धर्म की अनोखी वास्तुकला, भवन निर्माण कला, अलौकिक मंदिरों के बारे में जानने के लिए किया गया है, अतः अधिक से अधिक संख्या में अपने परिचितों और हिन्दू भाइयों को चैनल में जोड़ने का प्रयास करें।

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महादेव को समर्पित, 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, सोमनाथ मंदिर की स्थापना किस देवता ने की थी?
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The glorious *Sri Lakshmi Narasimha Swami Mandir* 🚩 situated on a hillock in *Yadagirigutta, Telangana*.

The Mandir is an abode of *Narasimha, an incarnation of Bhagwan Vishnu*.

To construct this whole temple complex *Not even single brick or cement is used*. The temple is entirely being built using the ‘krishnasila’ stone or black granite. The granite was brought from _Gurjepalli mines in Prakasam district, Andhra Pradesh_. KCR (current CM of Telangana) is clear — *He wants a temple that would ‘last a 1,000 years’*.

#भारतवर्ष 💓 #21stCenturyTemple


उन्होंने भले ही हमारे इतिहास की पुस्तकों को जला दिया लेकिन हमारे मंदिरों का हर एक कोना सदियों तक भारत के प्राचीन इतिहास की गवाही देता रहेगा। (बुग्गा रामलिंगेश्वर मंदिर, आंध्रप्रदेश)


श्रीजगन्नाथ मंदिर के दक्षिण द्वार के पास श्रीहनुमान जी.. ..!!🙏🌼🌻

कहा जाता है ..

समुंदर की लहरें कभी भी मंदिर के प्रांगण में आ जाती थी और वहां पर आए भक्तों को उससे बहुत दिक्कत होती थी इसको रोकने के लिए जगतगुरु आदिशंकराचार्य जी ने दक्षिण द्वार पर हनुमान जी की मूर्ति स्थापित कर उनका आह्वान किया और समंदर को रोक कर रखने की प्रार्थना किये..!!🌹

लोककथाओं में वर्णित है कि उसके बाद हनुमान जी की कृपा से समुंदर के द्वारा पूरी में कभी भी कोई भी प्राकृतिक आपदा नहीं आई है..!!🌼🥳

जय जय श्री हनुमान🙏🌼

राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।🌻🌹


How ancient we are & our culture ?

This Temple finds mention in the classical _Tamil Sangam literature_.
This vast Temple is one of the most ancient in Bharat having been in existence since at least *600 AD*.

The existing structure then, was pulled down and rebuilt by the *Pallava Kings*. *The Cholas*, who came later, also made several contributions to the Temple.

*One of the five major Shiva Temples or Pancha Bootha Sthalams* _representing the element - Earth_.

*Ekambareswarar Temple* 🚩 in *Kanchipuram, Tamil Nadu*.

#भारतवर्ष 💓


क्या आपने कभी पत्थर को चमकते हुए देखा है? वह भी ऐसे पत्थर जिन से मूर्तियाँ बनी हो ! जिन मूर्तियों को वामपंथी इतिहासकारों ने छेनी हथौड़ी से बना हुआ घोषित कर दिया है।

क्या अपने संपूर्ण विश्व में छेनी हथौड़ी से बनी कोई ऐसी मूर्ति देखी है, जो इतनी चमकदार हो? क्या आपको कहीं भी इस मूर्ति पर कोई भी छेनी और हथौड़ी के निशान नजर आ रहे हैं??

यह मंदिर 1181 A.D. में हॉयसाला राज्य के राजा वीरा भल्ला के समय में बना था।
अब आप सोच कर देखिए कि उस समय में हमारे पूर्वजों के पास कितनी उन्नत टेक्नोलॉजी रही होगी।

अक्कना बसदी, श्रवणबेलगोला, कर्नाटक




बेसाल्ट चट्टान में मूर्तिकला का अद्भुत नमूना । लगभग एक हजार साल पुराना शिल्प है , लेकिन इसकी चमक मंत्रमुग्ध कर रही है ।
उसके गहनों और उसके शरीर के बीच पर्याप्त जगह है । ध्यान से देखें कि वह चतुराई से अपने टूटे हुए हार को कैसे पकड़े हुए है ! उसके पैर की अंगुलियों पर भी ध्यान दें ।
उस समय की तकनीक हमारी धारणा से बहुत दूर है ।

श्रीरामप्पा मंदिर , वारंगल , तेलंगाना , भारत ।🙏🏻


बहुत ही गहरी और सच्ची तसवीर 🤐


Forward from: DGP
ध्वनि तरंगों से प्रेरित स्तंभ डिजाइन?
13 वीं शताब्दी सी. ई. हरिहरेश्वर मंदिर, कर्नाटक में ध्वनि

लहरों और स्तंभो नों के आकार के बीच की समानता

अप्रत्याशित है । क्या यह महज संयोग है?
या हमने अपने पूर्वजों के वैज्ञानिक ज्ञान को बहुत कम आंक लिया है?

सोचो....


देवों के देव महादेव का वह पवित्र स्थान जहाँ पर आधुनिक विज्ञान और वैज्ञानिक फेल –

कैलाश पर्वत जहाँ पर निवास स्थान है देवो के देव महादेव का – जहाँ पर आज तक कोई भी व्यक्ति नहीं पहुँच सका....

वैसे तो विश्व की सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट है और जिस पर 7000 हजार लोग अभी तक पहुँच चुके हैं...

पर क्या कारण है कि उससे छोटे कैलाश पर्वत पर आज तक कोई भी व्यक्ति नहीं पहुँच सका...
ऐसा नहीं है कि वहाँ पर पहुँचने की कोशिश नहीं की गई...
वहाँ पर पहुँचने के लिए अनेक प्रयास किये गये....
परंतु सभी असफल रहे क्योंकि वहाँ पर चढ़ाई करने गए लोगों के साथ कुछ ऐसी घटनाएं हुई जिससे उनके होश उड़ गये...

वहाँ पर चढ़ाई करने गए लोगों का कहना है कि वहाँ पर चढ़ाई करने के बाद वहाँ पर समय बहुत तेजी से आगे बढ़ने लगता है और अचानक हाथ के नाखून और बाल बहुत बड़े हो जाते हैं... इसके अलावा वहाँ पर हमारे कोई यन्त्र काम नहीं करते और दिशा भ्रम होता है और अगर ज्यादा कोशिश करते हैं तो हमें कोई आभास कराता है कि अब मृत्यु निकट है जिस कारण लोग वापिस आ जातें हैं...
बहुत से वैज्ञानिक और नासा ने अपनी खोज से ये निष्कर्ष निकाला है कि यह वह स्थान है जहाँ पर विज्ञान फेल है और उन्होंने इस स्थान को धरती का केन्द्र माना है...

वह कहते हैं कि निश्चय ही यहाँ पर कोई ऐसी शक्ति है जो बहुत अधिक शक्तिशाली है और जिस के सामने विज्ञान कुछ भी नहीं...
उनका कहना है कि यह पर्वत प्राकृतिक नहीं है...

इस का निर्माण किसी शक्ति ने किया है और इस पर्वत के चार मुख हैं जो चारों दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं...

हमारे वेदों, रामायण, महाभारत में कैलाश का वर्णन है हम आज भी मानसरोवर की यात्रा करते हैं कैलाश पर्वत पर दो झीलें है एक ब्रह्मा द्वारा रचित सूर्य के आकार की पवित्र झील जिसे हम मानसरोवर कहते हैं और दूसरी राक्षस झील जो कि चन्द्र के आकार की है....

वैज्ञानिको ने यह भी माना है कि इन झीलो का निर्माण किया गया है....
जब हम मानसरोवर से दक्षिण दिशा की ओर देखते हैं तो एक स्वस्तिक का निर्माण हमें दिखाई देता है जिस का वैज्ञानिक पता लगाने मे नाकाम रहे हैं तथा वह यह पता भी नहीं लगा सके हैं कि मानसरोवर पर जब बर्फ पिघलती है तो डमरू और ओम की ध्वनि कैसे और कहाँ से उत्पन्न होती है जिसे हम साफ सुन सकते हैं....

कैलाश पर्वत वह स्थान है जहाँ पर काल और समय का प्रवेश वर्जित है...
कैलाश पर्वत के चार मुख हैं...
पूर्व मे अश्व मुख जो कि क्रिस्टल से निर्मित है...
पश्चिम में हाथी के समान जो कि रूबी से... उत्तर मे सिंह जो कि स्वर्ण से... और दक्षिण मे मोर जो कि नीलम से निर्मित है...

कैलाश पर्वत पर हमेशा बिजली चमकती रहती है और जिस के ऊपर से भी कोई जहाज या पक्षी नहीं निकल सकता – ऐसा पवित्र स्थान है देवों के देव महादेव का...

जहाँ पर आधुनिक विज्ञान फेल है और जिसका वर्णन हमारे वेदों मे विस्तार से है...

🚩🔱 हर हर महादेव 🔱🚩🙏 🙏




कश्मीर ऋषि कश्यप की भूमि है
दत्ता_मंदिर (उरी, बारामूला कश्मीर)
बारामूला जिले के उरी सेक्टर में स्थित यह मंदिर अनुमानतः 1300 साल पुराना है जहां भीम_मटका नामक एक दुर्लभ पात्र है, इसे 120 साल पहले खोजा गया था । इसकी विशेषता यह है कि इस मटके का पानी कभी सूखता नहीं है।
कश्मीर की गलियों में ऐसे कई साक्ष्य मौजूद हैं जो बताते काफी हैं कि यहाँ कभी सनातन ध्वज लहराता था...!!


केवल एक पत्थर से बनी इस छतरी से बेहतर कुछ हो सकता है ?

विस्मयकारी, राजसी, शानदार, कोई भी शब्द उस भक्ति का वर्णन नहीं कर सकता है जो इस तरह की कला को बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

(9 वीं शताब्दी, भोग-नंदीश्वर मंदिर, कर्नाटक)


#अद्भुत_आश्चर्यजनक_शिवलिंग

तो बिहार में है देश का सबसे अनोखा श्रीयंत्र आकार का अष्टकोणीय मंदिर है,जहाँ चतुर्मुखी #शिवलिंग का हर पहर बदल जाता है रंग..

वैसे तो बिहार में कई धर्मों का जन्म हुआ है,लेकिन कम ही लोग जानते होंगे कि यहाँ ही देश का सबसे पुराना जीवित मंदिर है..जहाँ पिछले 1913( तात्कालिक प्रमाण के अनुसार,यह और पुराना हो सकता है) सालों से बिना किसी रूकावट के प्रतिदिन पूजा और प्रसाद की परंपरा जारी रही है,इसलिए इसे सबसे पुराना जीवित मंदिर कहा जाता है, जहाँ कभी पूजा बंद नहीं हुई है..

- सूर्य की स्थित बदलने के साथ शिवलिंग का भी रंग बदल जाता है..

- इस मंदिर का उल्लेख कनिंघ्म ने भी अपनी पुस्तक में किया है..

- पहाड़ी पर बिखरे हुए पत्थर एवं स्तम्भ पर #श्रीयंत्र सरीखे कई #सिद्ध यंत्र एवं मंत्र उत्कीर्ण हैं..

- मंदिर की प्राचीनता का आभास यहां मिले ‘महाराजा दुत्‍तगामनी’ की मुद्रा (seal) से भी होता है, जो बौद्ध साहित्‍य के अनुसार ‘अनुराधापुर वंश’ का था और ईसा पूर्व 101-77 में श्रीलंका का शासक रहा था..यानी यह 1913 सालों से भी पुराना हो सकता है..




कोदण्ड राम मंदिर पूर्वी गोदावरी तट पर स्थित है। वामपंथी इतिहासकारों ने कभी नहीं बताया कि हमारे शिल्पकार कला और शिल्प में इतने सिद्धहस्त थे।

जय श्री राम


When rest of the World was trying to draw on stone our ancestors did an extraordinary piece of *3D carvings on one of the hardest rock* i.e granite.

👆 *Jambukeswarar Hindu Temple in Tiruchirapalli, Tamil Nadu.* The Temple 🚩was built by *Kocengannan (Kochenga Chola)*, one of the Early Cholas around 1,800 years ago.

#भारतवर्ष 💓


13 वीं शताब्दी के कवि संत ज्ञानदेव ने मोक्ष पाटम नामक एक बच्चों का खेल बनाया। अंग्रेजों ने बाद में इसे सांप और सीढ़ी का नाम दिया और मूल मोक्ष पाटम के बजाय पूरे ज्ञान को पतला कर दिया।

मूल एक सौ वर्ग गेम बोर्ड में, 12 वां वर्ग विश्वास था, 51 वां वर्ग विश्वसनीयता था, 57 वां वर्ग उदारता, 76 वां वर्ग ज्ञान था, और 78 वां वर्ग तप था। ये वे वर्ग थे जहाँ सीढ़ी पाई जाती थी और कोई भी तेज़ी से आगे बढ़ सकता था।

41 वां वर्ग अवज्ञा के लिए था, घमंड के लिए 44 वां वर्ग, अशिष्टता के लिए 49 वाँ वर्ग, चोरी के लिए 52 वाँ वर्ग, झूठ बोलने के लिए 58 वाँ वर्ग, नशे के लिए 62 वाँ वर्ग, ऋण के लिए 69 वाँ वर्ग, क्रोध के लिए 84 वाँ वर्ग लालच के लिए 92 वाँ वर्ग, अभिमान के लिए 95 वाँ वर्ग, हत्या के लिए 73 वाँ वर्ग और वासना के लिए 99 वाँ वर्ग।

ये वे वर्ग थे जहाँ साँप के मुँह खुलने का इंतज़ार किया जाता था। 100 वें वर्ग ने निर्वाण या मोक्ष का प्रतिनिधित्व किया।


दुनियाँ के अजूबों की लिस्ट में इसका ना होना ही यूनेस्को की नीयत पर संदेह पैदा करने के लिए काफी है ।

क्या आप विश्वास करेंगे यह मंदिर लगभग 2000 साल पुराना है ?

इस मंदिर का निर्माण राजा कारिकाल चोल ने करावाया था ।

मंदिर में निर्मित महादेव के अलग-अलग रूपों की आश्चर्यजनक प्रतिमाएं आज के इंजीनियरों के लिए एक चुनौती की तरह है ।

पेरूर पाटेश्वरर मंदिर, तमिलनाडु।

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