Suno
उजालों के शोर मैं रात की
खामोशी से हो तुम
सर्दी के मौसम मैं ओस की
बूंद से हो तुम
जिंदगी है धुंप तो साया देती
छांव से हो तुम
गुलशन में है फूल बहुत लेकिन
खिलता गुलाब सी हो तुम
है गहरा समंदर तो किनारे
जैसी हो तुम
चमक रहा है चांद आसमान
पर लेकिन
रोशनी करती चांदनी सी
हो तुम
चाहे महफिल मैं रहूं चाहे
तन्हा रहूं मैं
गूंजती रहती हो तुम मेरे
कानो मैं
जैसे नजम या कोई तराना
हो तुम
में हूं एक जिस्म और उस जिस्म
की धड़कन हो तुम
कैसे कहूं के मेरे लिए
क्या हो तुम
irfan...✍️
उजालों के शोर मैं रात की
खामोशी से हो तुम
सर्दी के मौसम मैं ओस की
बूंद से हो तुम
जिंदगी है धुंप तो साया देती
छांव से हो तुम
गुलशन में है फूल बहुत लेकिन
खिलता गुलाब सी हो तुम
है गहरा समंदर तो किनारे
जैसी हो तुम
चमक रहा है चांद आसमान
पर लेकिन
रोशनी करती चांदनी सी
हो तुम
चाहे महफिल मैं रहूं चाहे
तन्हा रहूं मैं
गूंजती रहती हो तुम मेरे
कानो मैं
जैसे नजम या कोई तराना
हो तुम
में हूं एक जिस्म और उस जिस्म
की धड़कन हो तुम
कैसे कहूं के मेरे लिए
क्या हो तुम
irfan...✍️