क्योंकि तुम लड़के हों..
लड़के..जिनको ना कभी कविताओं में जगह मिलीं और ना हीं उनके हृदय के सौंदर्य को कभी कहीं जगह मिलीं,इंतजार करते रहें जीवन भर किसी की हां का,कह ना सकें कभी अपने मन में छुपे प्रेम को,रो ना सकें बहन की विदाई में क्योंकि उनको हमेशा कहा गया लड़कों तुम कठोर हों..
स्वाद ना चख सकें खाने का अपनी बहन की शादी में क्योंकि लड़के तो व्यस्त हैं पूर्ति करने में कि कहीं कोई कमी ना रह जाएं बहन की विदाई में.. बहन बेटी को बैठाने के लिए हमेशा खड़े रहे ट्रेनों बसों में अपनी सीट छोड़कर क्योंकि कहा गया कि तुम लड़के हों...
घर का कोई जिम्मेदारी का काम हैं लड़कों तुम्हें करना हैं क्योंकि तुम लड़के हों. लड़कों को कहां सहूलियत है कि घर पर बैठ जाएं...मां पिता की बीमारी से लेकर उनके अंतिम संस्कार की अंतिम लकड़ियों के जलने तक खड़े रहें..
उनकी गंगा में अस्थियां प्रवाहित होने तक विचलित होते हैं परंतु तुम दिखा नहीं सकतें क्योंकि तुम लड़के हों...
शरीर तो तुम्हारा भी ईश्वर की हीं रचना हैं क्या तुम्हें कभी कोई दर्द होता नहीं.. क्या कभी तुम्हारी पीठ अकड़ती नहीं क्योंकि तुम लड़के हों ❤️
~ वंदना