तेरी प्रतीक्षा!
बीती सांझ और रात सुबह, दोपहर तक भी तुम न आये
तेरे इंतज़ार में बैठा जिया मेरा, यूंही उचक-उचक घबराए
रात काटनी बड़ी मुश्किल है, बिन तेरे, तेरी यादों के साये
दूर इन से भी जा नही सकते, दिल को हरपल बड़ा सताए।
तुम्हें पाने की तलब ऐसी लगी है, चाहे जमाना खो जाए
बस एक तुम्हे ही अपना मानेंगे, भले सारी दुनिया ये गैर हो जाये।
है ये तेरी 'प्रतीक्षा', या मेरी परीक्षा कोई मुझको ये बताए
परिणामस्वरूप तुम मिलोगी या नही, परिणाम चिंतित कर जाए।
तुम ही देवी हो दिल के मंदिर में मेरे, हम मन में तुम्हें बसाए
जीतने को आज तुम्हें चले हैं, चाहे खुद को बलि-बलि हारन जाएं।
जब होंगे हम साथ दोनो, जाने कब वह पल आए
मैं ढूंढता रहता हूँ तुमको, मिलो तो रखूंगा पलको पर बिठाए।
अब और क्या कुछ कहें, हम ना रहें जिस्मों के साये
तुम तलक चलती काश! राह कोई, जो हम चलते जाए।
तुम्हें पाने के बाद फिर, कभी कोई चाहत न रह जाएं
दुआ करो मेरे लिए, ऐ यार मुझे, मेरी मंजिल मिल जाये।
©मनोज कुमार "MJ"
#MJ
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