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महाराणा प्रताप की जयन्ती पर दर्द भरा सन्देश
देशभक्तशिरोमणि, अमित पराक्रमी, राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक, स्वाधीनता के क्रान्तिकारियों के प्रेरणास्रोत महाराणा प्रताप की जयन्ती पर सभी देशभक्तों को हार्दिक शुभकामनाएँ।
हे वीरवर! आज आपका भारत विदेशी दासता के पाश में पड़ा क्रन्दन कर रहा है। माँ भारती के दुःख को समझने वाला आज कोई नहीं हैं। वर्ल्ड ऑर्डर के नाम पर भारत पुनः उन्हीं का दास बन गया है, जो 1947 में भारत छोड़ने का अभिनय करके यहाँ से गये थे और अपने मानसपुत्रों को सत्ता का हस्तान्तरण कर गये थे। आज वे और प्रबल एवं चालाक होकर ऐसे उभरे है कि हमारी संसद वर्ल्ड ऑर्डर के साम्राज्य का तालियों से स्वागत कर रही है।
हे वीर! एक वर्ल्ड ऑर्डर का स्वप्न लेकर सिकन्दर यहाँ आया था परन्तु यहाँ आचार्य चाणक्य और उनके शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे देशभक्त महान् पुरुषों ने उसे धूल चटा दी। ऐसा ही वर्ल्ड ऑर्डर का स्वप्न लेकर मुगल बाबर, अकबर व औरंगजेब आये थे परन्तु आप, आपके पूर्वजों व वंशजों के अतिरिक्त गुरु गोविन्दसिंह जी एवं छत्रपति शिवाजी महाराज ने उनको चुनौती दी। अगणित कष्ट सहे परन्तु उनके ऑर्डर को स्वीकार नहीं किया। उसके पश्चात् ईष्ट इण्डिया का वर्ल्ड ऑर्डर आया, उसको चुनौती देने में हजारों वीर वीरांगना बलिदान हो गये। पुनः ब्रिटिश शासन का वर्ल्ड ऑर्डर आया, उसने हमें लूटा, यातनाएं दी, लाखों भारतीय क्रान्तिकारियों ने अपने प्राण आहुत कर दिये। अब उन्होंने बड़ी चतुराई से नये ढंग से वर्ल्ड ऑर्डर लाया है। उसके नेता बदल गये हों, परन्तु वे सभी एक ही विचारधारा के लोग हैं और हमारा देश भी अब ऐसा दास बन गया है, जहाँ कोई भी इस वर्ल्ड ऑर्डर के विरुद्ध बोलने का साहस नहीं कर रहा। सभी भयभीत हैं। आज हमें दास बनाने वाले दूर बैठे ही हम पर बड़ी सहजता से शासन कर रहे हैं। हमारी सरकारें उन्हीं के आदेशों का क्रियान्वयन कर रही हैं और हम भारतीय स्वयं को स्वतन्त्र, सम्प्रभु एवं आत्मनिर्भर मानने का भ्रम पाले बैठे हैं, तब इस वर्ल्ड ऑर्डर को दासता कहने वाले कहाँ से आयेंगे?
हे वीर प्रताप! आप तो अमर हो गये परन्तु आपका यह देश आज अनाथ जैसा दिखाई दे रहा है, जिसे वर्ल्ड ऑर्डर की दासता स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई विकल्प दिखाई नहीं देता। सभी मृत स्वाभिमान, भीरु एवं बौद्धिक दास दिखाई देते हैं। कोई स्वाभिमानी होगा भी, तो उसकी कोई सुनने वाला नहीं।
- आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक
देशभक्तशिरोमणि, अमित पराक्रमी, राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक, स्वाधीनता के क्रान्तिकारियों के प्रेरणास्रोत महाराणा प्रताप की जयन्ती पर सभी देशभक्तों को हार्दिक शुभकामनाएँ।
हे वीरवर! आज आपका भारत विदेशी दासता के पाश में पड़ा क्रन्दन कर रहा है। माँ भारती के दुःख को समझने वाला आज कोई नहीं हैं। वर्ल्ड ऑर्डर के नाम पर भारत पुनः उन्हीं का दास बन गया है, जो 1947 में भारत छोड़ने का अभिनय करके यहाँ से गये थे और अपने मानसपुत्रों को सत्ता का हस्तान्तरण कर गये थे। आज वे और प्रबल एवं चालाक होकर ऐसे उभरे है कि हमारी संसद वर्ल्ड ऑर्डर के साम्राज्य का तालियों से स्वागत कर रही है।
हे वीर! एक वर्ल्ड ऑर्डर का स्वप्न लेकर सिकन्दर यहाँ आया था परन्तु यहाँ आचार्य चाणक्य और उनके शिष्य चन्द्रगुप्त मौर्य जैसे देशभक्त महान् पुरुषों ने उसे धूल चटा दी। ऐसा ही वर्ल्ड ऑर्डर का स्वप्न लेकर मुगल बाबर, अकबर व औरंगजेब आये थे परन्तु आप, आपके पूर्वजों व वंशजों के अतिरिक्त गुरु गोविन्दसिंह जी एवं छत्रपति शिवाजी महाराज ने उनको चुनौती दी। अगणित कष्ट सहे परन्तु उनके ऑर्डर को स्वीकार नहीं किया। उसके पश्चात् ईष्ट इण्डिया का वर्ल्ड ऑर्डर आया, उसको चुनौती देने में हजारों वीर वीरांगना बलिदान हो गये। पुनः ब्रिटिश शासन का वर्ल्ड ऑर्डर आया, उसने हमें लूटा, यातनाएं दी, लाखों भारतीय क्रान्तिकारियों ने अपने प्राण आहुत कर दिये। अब उन्होंने बड़ी चतुराई से नये ढंग से वर्ल्ड ऑर्डर लाया है। उसके नेता बदल गये हों, परन्तु वे सभी एक ही विचारधारा के लोग हैं और हमारा देश भी अब ऐसा दास बन गया है, जहाँ कोई भी इस वर्ल्ड ऑर्डर के विरुद्ध बोलने का साहस नहीं कर रहा। सभी भयभीत हैं। आज हमें दास बनाने वाले दूर बैठे ही हम पर बड़ी सहजता से शासन कर रहे हैं। हमारी सरकारें उन्हीं के आदेशों का क्रियान्वयन कर रही हैं और हम भारतीय स्वयं को स्वतन्त्र, सम्प्रभु एवं आत्मनिर्भर मानने का भ्रम पाले बैठे हैं, तब इस वर्ल्ड ऑर्डर को दासता कहने वाले कहाँ से आयेंगे?
हे वीर प्रताप! आप तो अमर हो गये परन्तु आपका यह देश आज अनाथ जैसा दिखाई दे रहा है, जिसे वर्ल्ड ऑर्डर की दासता स्वीकार करने के अतिरिक्त कोई विकल्प दिखाई नहीं देता। सभी मृत स्वाभिमान, भीरु एवं बौद्धिक दास दिखाई देते हैं। कोई स्वाभिमानी होगा भी, तो उसकी कोई सुनने वाला नहीं।
- आचार्य अग्निव्रत नैष्ठिक