बिखरती ज़ुल्फ़ की परछाइयाँ मुझे दे दो,
तुम अपने शाम की तन्हाईयाँ मुझे दे दो..
ये लहर लहर बदन टूट ही न जाये कहीं,
खुमार-इ-हुस्न की अंगड़ाइयाँ मुझे दे दो...
मैं तुमको याद करूँ और तुम चले आओ,
मोहब्बतों की ये सच्चाइयाँ मुझे दे दो...
मैं डूब जाऊँ तुम्हारी उदास आँखों में,
तुम अपने दर्द की गहराइयाँ मुझे दे दो...
#copied
तुम अपने शाम की तन्हाईयाँ मुझे दे दो..
ये लहर लहर बदन टूट ही न जाये कहीं,
खुमार-इ-हुस्न की अंगड़ाइयाँ मुझे दे दो...
मैं तुमको याद करूँ और तुम चले आओ,
मोहब्बतों की ये सच्चाइयाँ मुझे दे दो...
मैं डूब जाऊँ तुम्हारी उदास आँखों में,
तुम अपने दर्द की गहराइयाँ मुझे दे दो...
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