मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य
नागरिको के स्वयं अपने प्रति , अपने परिवार, पड़ौसी व् सम्माज के प्रति भी कर्तव्य होते हैं | अतः प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है की अपने शारीरिक , मानसिक व् आर्थिक विकास के लिए प्रयास करे |अपने परिवार को सुखी बनाये | अपने परिवार , ग्राम , नगर व् समाज हित के कार्यों में सहयोग प्रदान करें |
मौलिक अधिकारों से जुड़े तथ्य इस प्रकार हैं:
1. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है.
2. इसका वर्णन संविधान के भाग-3 में (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35) है.
3. इसमें संशोधन हो सकता है और राष्ट्रीय आपात के दौरान (अनुच्छेद 352) जीवन एवं व्यकितिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है.
4. मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन (1979 ई०) के द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31 से अनुच्छेद 19f) को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे संविधान के अनुच्छेद 300 (a) के अन्तगर्त क़ानूनी अधिकार के रूप में रखा गया है.
नागरिकों के मौलिक अधिकार
हमारे सविंधान ने हमें कई मौलिक अधिकार दियें हैं |अधिकारों का उपयोग करके व्यक्ति स्वयं, अपने परिवार एवं समाज के विकास में सहयोग दे सकता है |ये मौलिक अधिकार निम्नलिखित हैं |
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18) :
समानता का अर्थ भारत में कानून के सामने |(समक्ष ) सब नागरिक समान समझे जायेंगे| किसी भी नागरिक के साथ धर्म , जाती , लिंग , मूल, वंश , जन्म स्थान आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा |
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22) :
इस अधिकार के तहत देश के हर नागरिक को भाषण देने, लिखने तथा अपने विचारों को प्रकट करने की आजादी दी गयी है |
हर नागरिक को देश की किसिस भी भाग में आने जाने की स्वतंत्रता है |
देश में किसी भी स्थान में रहने की स्वतंत्रता है |
अपनी इच्छानुसार कोई भी कारोबार करने की स्वतंत्रता है |पर उसका काम समाज विरोधी नहीं होना चाहिए |
पैसा कमाने और खर्च करने की पूर्ण स्वतंत्रता है |
अनुच्छेद 19- मूल संविधान में 7 तरह की स्वतंत्रता का उल्लेख था, अब सिर्फ 6 हैं:
19 (a) बोलने की स्वतंत्रता.
19 (b) शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता.
19 (c) संघ बनाने की स्वतंत्रता.
19 (d) देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता.
19 (e) देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता. (अपवाद जम्मू-कश्मीर)
19 (f) संपत्ति का अधिकार.
19 (g) कोई भी व्यापार एवं जीविका चलाने की स्वतंत्रता.
नोट: प्रेस की स्वतंत्रता का वर्णन अनुच्छेद 19 (a) में ही है.
अनुच्छेद 20- अपराधों के लिए दोष-सिद्धि के संबंध में संरक्षण- इसके तहत तीन प्रकार की स्वतंत्रता का वर्णन है:
(a) किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए सिर्फ एक बार सजा मिलेगी.
(b) अपराध करने के समय जो कानून है इसी के तहत सजा मिलेगी न कि पहले और और बाद में बनने वाले कानून के तहत.
(c) किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिय बाध्य नहीं किया जाएगा.
अनुच्छेद 21- प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का सरंक्षण: किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रकिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.
अनुच्छेद 21(क) राज्य 6 से 14 वर्ष के आयु के समस्त बच्चों को ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य, विधि द्वारा अवधारित करें, निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएगा. ( 86वां संशोधन 2002 के द्वारा).
अनुच्छेद 22- कुछ दशाओं में गिरफ़्तारी और निरोध में संरक्षण: अगर किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया हो, तो उसे तीन प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गई है:
(1) हिरासत में लेने का कारण बताना होगा.
(2) 24 घंटे के अंदर (आने जाने के समय को छोड़कर) उसे दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा.
(3) उसे अपने पसंद के वकील से सलाह लेने का अधिकार होगा.
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24) :
अनुच्छेद 24: चौदह वर्ष से कम उम्र के बचों को किसी कारखाने , खदान या जोखिमपूर्ण काम में नहीं लगाया जा सकता है |
अनुच्छेद 25:किस मनुष्य को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है |
किसी व्यक्ति से उसकी इछा के विरुद्ध ज़बरदस्ती से काम नहीं कराया जा सकता है |
किसी भी व्यक्ति को बिना पैसे दिए बेगारी में काम नहीं कराया जा सकता है |
शोषण को घोर अपराध माना गया है |
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28) :
प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने , पालन करने व् प्रचार करने की स्वतंत्रता है |
कोई भी व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को कोई विशेष धर्म मानने को मजबूर नहीं कर सकता है |
संस्कृति एवं शिक्षा सम्बंधित अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30) :
हर नागरिक को अपनी भाषा , लिपि और संस्कृति को बनाए रख
नागरिको के स्वयं अपने प्रति , अपने परिवार, पड़ौसी व् सम्माज के प्रति भी कर्तव्य होते हैं | अतः प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है की अपने शारीरिक , मानसिक व् आर्थिक विकास के लिए प्रयास करे |अपने परिवार को सुखी बनाये | अपने परिवार , ग्राम , नगर व् समाज हित के कार्यों में सहयोग प्रदान करें |
मौलिक अधिकारों से जुड़े तथ्य इस प्रकार हैं:
1. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है.
2. इसका वर्णन संविधान के भाग-3 में (अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35) है.
3. इसमें संशोधन हो सकता है और राष्ट्रीय आपात के दौरान (अनुच्छेद 352) जीवन एवं व्यकितिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है.
4. मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन (1979 ई०) के द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31 से अनुच्छेद 19f) को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे संविधान के अनुच्छेद 300 (a) के अन्तगर्त क़ानूनी अधिकार के रूप में रखा गया है.
नागरिकों के मौलिक अधिकार
हमारे सविंधान ने हमें कई मौलिक अधिकार दियें हैं |अधिकारों का उपयोग करके व्यक्ति स्वयं, अपने परिवार एवं समाज के विकास में सहयोग दे सकता है |ये मौलिक अधिकार निम्नलिखित हैं |
समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18) :
समानता का अर्थ भारत में कानून के सामने |(समक्ष ) सब नागरिक समान समझे जायेंगे| किसी भी नागरिक के साथ धर्म , जाती , लिंग , मूल, वंश , जन्म स्थान आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा |
स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22) :
इस अधिकार के तहत देश के हर नागरिक को भाषण देने, लिखने तथा अपने विचारों को प्रकट करने की आजादी दी गयी है |
हर नागरिक को देश की किसिस भी भाग में आने जाने की स्वतंत्रता है |
देश में किसी भी स्थान में रहने की स्वतंत्रता है |
अपनी इच्छानुसार कोई भी कारोबार करने की स्वतंत्रता है |पर उसका काम समाज विरोधी नहीं होना चाहिए |
पैसा कमाने और खर्च करने की पूर्ण स्वतंत्रता है |
अनुच्छेद 19- मूल संविधान में 7 तरह की स्वतंत्रता का उल्लेख था, अब सिर्फ 6 हैं:
19 (a) बोलने की स्वतंत्रता.
19 (b) शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता.
19 (c) संघ बनाने की स्वतंत्रता.
19 (d) देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता.
19 (e) देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता. (अपवाद जम्मू-कश्मीर)
19 (f) संपत्ति का अधिकार.
19 (g) कोई भी व्यापार एवं जीविका चलाने की स्वतंत्रता.
नोट: प्रेस की स्वतंत्रता का वर्णन अनुच्छेद 19 (a) में ही है.
अनुच्छेद 20- अपराधों के लिए दोष-सिद्धि के संबंध में संरक्षण- इसके तहत तीन प्रकार की स्वतंत्रता का वर्णन है:
(a) किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए सिर्फ एक बार सजा मिलेगी.
(b) अपराध करने के समय जो कानून है इसी के तहत सजा मिलेगी न कि पहले और और बाद में बनने वाले कानून के तहत.
(c) किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिय बाध्य नहीं किया जाएगा.
अनुच्छेद 21- प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का सरंक्षण: किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रकिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है.
अनुच्छेद 21(क) राज्य 6 से 14 वर्ष के आयु के समस्त बच्चों को ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य, विधि द्वारा अवधारित करें, निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएगा. ( 86वां संशोधन 2002 के द्वारा).
अनुच्छेद 22- कुछ दशाओं में गिरफ़्तारी और निरोध में संरक्षण: अगर किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया हो, तो उसे तीन प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गई है:
(1) हिरासत में लेने का कारण बताना होगा.
(2) 24 घंटे के अंदर (आने जाने के समय को छोड़कर) उसे दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा.
(3) उसे अपने पसंद के वकील से सलाह लेने का अधिकार होगा.
शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24) :
अनुच्छेद 24: चौदह वर्ष से कम उम्र के बचों को किसी कारखाने , खदान या जोखिमपूर्ण काम में नहीं लगाया जा सकता है |
अनुच्छेद 25:किस मनुष्य को खरीदा या बेचा नहीं जा सकता है |
किसी व्यक्ति से उसकी इछा के विरुद्ध ज़बरदस्ती से काम नहीं कराया जा सकता है |
किसी भी व्यक्ति को बिना पैसे दिए बेगारी में काम नहीं कराया जा सकता है |
शोषण को घोर अपराध माना गया है |
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28) :
प्रत्येक नागरिक को किसी भी धर्म को मानने , पालन करने व् प्रचार करने की स्वतंत्रता है |
कोई भी व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति को कोई विशेष धर्म मानने को मजबूर नहीं कर सकता है |
संस्कृति एवं शिक्षा सम्बंधित अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30) :
हर नागरिक को अपनी भाषा , लिपि और संस्कृति को बनाए रख