कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
सांस थमती गई नब्ज़ जमती गई
फिर भी बढ़ते कदम को न रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकपन साथियों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
~ कैफ़ी आज़मी #स्वतंत्रतादिवस 🇮🇳
@foreversmilinghealth