*" वैदिक नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् 2078 (13 अप्रैल, 2021)" की आप सभी को अग्रिम शुभकामनाएँ।*
*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :*
*1.* इसी दिन आज से तथा सृष्टि संवत 1,96,08,53,121 वर्ष पुर्व सूर्योदय के साथ ईश्वर ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
*2.* मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
*3.* महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ।
*4* सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
*5.* *145 वर्ष पूर्व महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना।* आर्य समाज वेद प्रचार का महान कार्य करने वाला एकमात्र संगठन है।
*6.* विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
*वैदिक नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :*
*1.* वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
*2.* फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
*वैदिक नववर्ष कैसे मनाएँ :*
*1.* हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
*2.* आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
*3 .* इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ। वेद आदि शास्त्रो के स्वधयाय का संकल्प ले।
*4.* *घरों एवं धार्मिक स्थलों में हवन यज्ञ के कार्यक्रमों का आयोजन जरूर करें ।*
*5.* इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
*आप सभी से विनम्र निवेदन है कि "वैदिक नववर्ष" हर्षोउल्लास के साथ मनाने के लिए "ज्यादा से ज्यादा सज्जनों को प्रेरित" करें।*
धन्यवाद
🚩नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🚩
*चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :*
*1.* इसी दिन आज से तथा सृष्टि संवत 1,96,08,53,121 वर्ष पुर्व सूर्योदय के साथ ईश्वर ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
*2.* मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।
*3.* महाराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक इसी दिन हुआ।
*4* सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
*5.* *145 वर्ष पूर्व महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन को आर्य समाज की स्थापना दिवस के रूप में चुना।* आर्य समाज वेद प्रचार का महान कार्य करने वाला एकमात्र संगठन है।
*6.* विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
*वैदिक नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :*
*1.* वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
*2.* फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
*वैदिक नववर्ष कैसे मनाएँ :*
*1.* हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
*2.* आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
*3 .* इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ। वेद आदि शास्त्रो के स्वधयाय का संकल्प ले।
*4.* *घरों एवं धार्मिक स्थलों में हवन यज्ञ के कार्यक्रमों का आयोजन जरूर करें ।*
*5.* इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
*आप सभी से विनम्र निवेदन है कि "वैदिक नववर्ष" हर्षोउल्लास के साथ मनाने के लिए "ज्यादा से ज्यादा सज्जनों को प्रेरित" करें।*
धन्यवाद
🚩नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं🚩