सुनो तो..
दास्तां जो लिखने बैठे खून ए जिगर से
किस्सा हमारा भी सर ए आम हो गया
जो थी मोहब्बत दर्मियां हम दोनो के
देखो ये सारा जहां मुखालिफ हो गया
Irfan...✍️
7:3:2024 thirsday 6:30 pm
दास्तां जो लिखने बैठे खून ए जिगर से
किस्सा हमारा भी सर ए आम हो गया
जो थी मोहब्बत दर्मियां हम दोनो के
देखो ये सारा जहां मुखालिफ हो गया
Irfan...✍️
7:3:2024 thirsday 6:30 pm