लीपॉप की तरह लंड चूसने लगती. कभी अचानक से तेजी के साथ अन्दर बाहर करने लगती. मेरा लंड भी अपने पूरे रूप में आ गया था. इधर मैं भी अपनी जीभ से उसकी चुत की सेवा में लगा था. सच में बड़ी मस्त चुत थी. उसकी मेरी जीभ कभी उसकी चुत की गहराई नापती, कभी मैं चुत के दाने को होंठों में भर के खींचता.
हम दोनों अपने चरम पर पहुंचने वाले थे. मैं अपनी कमर चलाने लगा था और उसका मुँह चोद रहा था. मेरा लंड कई बार उसके हलक तक चला जाता, पर वो मजे से सब सहती रही. वो भी अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, जिससे उसकी चुत का रस मेरे पूरे मुँह पर फ़ैल गया था.
तभी उसकी चुत ने अपना मुँह खोल दिया, जिससे बहुत सारा रज बाहर आने लगा. इधर मैं भी अपने चरम पर पहुंच चुका था और उसके मुँह में ही मेरी पिचकारी चल पड़ी. उसने एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दी, सारा वीर्य पी गयी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया. हम दोनों हांफ़ते हुए लिपट कर लेटे रहे. अब तक हम दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा था.
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
बदले में उसने मेरे होंठों पर किस किया और लिपट कर बोली- आई लव यू..
मैंने भी उसे भींच कर ‘लव यू टू जान..’ कहा.
फिर हम दोनों उठ कर बाथरूम गए और एक दूसरे को साफ़ किया. जब उसने मेरे लंड को पानी और साबुन से साफ़ किया, तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, जिसे उसने किस किया.
वो बोली- लो तुम्हारा शैतान फिर से जग गया.
मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लाकर लिटा दिया. मैंने बोला- अब ये शैतान तुम्हारी चुड़ैल को निपटाएगा.
वो चुदास भरे स्वर में अपने मम्मे मसलते हुए बोली- तो देर किस बात की है … मैं तो कब से तुमसे चुदना चाह रही थी … पर तुम ही नहीं समझे.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. मेरा लंड और उसकी चुत फिर से तैयार हो उठे थे.
मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चुत पर अपना लंड रख कर अन्दर डालने लगा.
उसने रोका और बोली- एक ही बार में पूरा अन्दर डालना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर लंड चुत पर सैट किया और जोर की थाप उसकी चुत पर लगा दी. एक ही बार में मेरा लंड उसकी चुत में समां गया. उसकी चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्योंकि मेरा लंड सीधा जाकर उसकी बच्चेदानी से टकराया था.
लेकिन ये चीख आनन्द मिश्रित थी.
मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा.
वो बोली- मेरे भाई का तुम्हारे लंड से छोटा है … उसका इतना अन्दर तक नहीं जाता. आज से ये चुत तुम्हारी है, जब मर्जी हो चोद लेना.
वो नीचे से अपनी चुत उठा उठा कर चुदवाने लगी और मैंने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी. हम दोनों की भीषण चुदाई से पूरा पलंग हिल रहा था. लगातार ताबड़तोड़ चुदाई के दौरान वो न जाने क्या क्या बोल रही थी.
कोई बीस मिनट की चुदाई के दौरान वो तीन बार झड़ी, तब मेरा झड़ने को हुआ तो मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं?
वो बोली- मेरी चुत में ही निकालो … मैं गोली खा लूंगी.
मैंने बेहिचक झटके मारे और उसकी ही चुत में झड़ गया.
कुछ देर बाद वो चली गई.
हम दोनों अपने चरम पर पहुंचने वाले थे. मैं अपनी कमर चलाने लगा था और उसका मुँह चोद रहा था. मेरा लंड कई बार उसके हलक तक चला जाता, पर वो मजे से सब सहती रही. वो भी अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, जिससे उसकी चुत का रस मेरे पूरे मुँह पर फ़ैल गया था.
तभी उसकी चुत ने अपना मुँह खोल दिया, जिससे बहुत सारा रज बाहर आने लगा. इधर मैं भी अपने चरम पर पहुंच चुका था और उसके मुँह में ही मेरी पिचकारी चल पड़ी. उसने एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दी, सारा वीर्य पी गयी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया. हम दोनों हांफ़ते हुए लिपट कर लेटे रहे. अब तक हम दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा था.
मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
बदले में उसने मेरे होंठों पर किस किया और लिपट कर बोली- आई लव यू..
मैंने भी उसे भींच कर ‘लव यू टू जान..’ कहा.
फिर हम दोनों उठ कर बाथरूम गए और एक दूसरे को साफ़ किया. जब उसने मेरे लंड को पानी और साबुन से साफ़ किया, तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, जिसे उसने किस किया.
वो बोली- लो तुम्हारा शैतान फिर से जग गया.
मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लाकर लिटा दिया. मैंने बोला- अब ये शैतान तुम्हारी चुड़ैल को निपटाएगा.
वो चुदास भरे स्वर में अपने मम्मे मसलते हुए बोली- तो देर किस बात की है … मैं तो कब से तुमसे चुदना चाह रही थी … पर तुम ही नहीं समझे.
हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. मेरा लंड और उसकी चुत फिर से तैयार हो उठे थे.
मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चुत पर अपना लंड रख कर अन्दर डालने लगा.
उसने रोका और बोली- एक ही बार में पूरा अन्दर डालना.
मैंने कहा- ठीक है.
मैंने उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर लंड चुत पर सैट किया और जोर की थाप उसकी चुत पर लगा दी. एक ही बार में मेरा लंड उसकी चुत में समां गया. उसकी चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्योंकि मेरा लंड सीधा जाकर उसकी बच्चेदानी से टकराया था.
लेकिन ये चीख आनन्द मिश्रित थी.
मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा.
वो बोली- मेरे भाई का तुम्हारे लंड से छोटा है … उसका इतना अन्दर तक नहीं जाता. आज से ये चुत तुम्हारी है, जब मर्जी हो चोद लेना.
वो नीचे से अपनी चुत उठा उठा कर चुदवाने लगी और मैंने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी. हम दोनों की भीषण चुदाई से पूरा पलंग हिल रहा था. लगातार ताबड़तोड़ चुदाई के दौरान वो न जाने क्या क्या बोल रही थी.
कोई बीस मिनट की चुदाई के दौरान वो तीन बार झड़ी, तब मेरा झड़ने को हुआ तो मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं?
वो बोली- मेरी चुत में ही निकालो … मैं गोली खा लूंगी.
मैंने बेहिचक झटके मारे और उसकी ही चुत में झड़ गया.
कुछ देर बाद वो चली गई.