मुझे उन्होंने पूरी नंगी कर दिया और खुद भी पूरे नंगे हो गए और अपने लंड को मेरे मुंह में भरने लगे. मैं भी उनके लंड को मुख में लेकर मजा ले ले कर चूसने लगी।
वो बोल रहे थे- आआह सस्स ह्य्य्य्य… कितना अच्छा लंड चूसती हो तुम डॉलिंग! मजा आ गया! आह आह… हाँ… हाँ!
मैंने उनके लंड को मुँह में भरा हुआ था और उन्होंने बोला- मेरा माल निकल जाएगा।
मैं उनके लंड को मुंह में भर कर के फेंटने लगी, जब वो झड़ने लगे तो उन्होंने अपना लंड मेरे मुख से बाहर खींच लिया और उन्होंने अपने माल को मेरी चुचियों पर डाल दिया।
फिर वे लेट गए और हाँफने लगे.
कुछ देर बाद फिर से वे मेरी चुचियों को अपने मुँह में भरने लगे, उन्होंने मेरी चूचियों के ऊपर से अपने ही माल को अपने होंठों से लगा लिया, फिर मुझे किस करने लगे. उनका माल मेरे मुँह में भी आ गया।
कुछ देर बाद वे बोले- समधन जी, अब हमें आपकी चूत को चाटना है!
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ? आइये, आपका स्वागत है मेरी चूत में!
मैंने अपनी टाँगों को फैला दिया और बोली- मेरे जानू, अपनी ही चूत समझना इसे आज से!
उन्होंने अपने मुँह को मेरी चूत पर रख दिया और तेजी से चाटने लगे. मैं पागल सी होने लगी, मैं बोलने लगी- आआह समधी जी… सिसस्स… बस करो!
वो तेजी से मेरी चूत को चाट रहे थे, मैं चिल्लाते हुये बोली- अब चोदो भी राजा जी! पेलो मुझे राजा जी! अपनी रानी की चूत फाड़ दो जी!
फिर उन्होंने मुझसे बोला- कंडोम नहीं है मेरे पास! तुम्हारे पास है क्या?
मैं बोली- नहीं, मेरे पास भी नहीं है. तुम्हारे संधी जी तो मुझे चोदते ही नहीं तो कंडोम का क्या काम!
वो बोले- और अगर तुम प्रेग्नेंट हो गयी तो?
मैंने कहा- तो कर दो ना मुझे प्रेग्नेंट!
उन्होंने अपने लंड को मेरी गीली चूत टिकाया और एक झटके में मेरी चूत के अंदर कर दिया.
मैं दर्द और आनन्द से फड़फड़ाने लगी- निकालो इसे… फट गई मेरी चूत!
वो जोश में आकर मुझे और जोर से पेलने लगे, मैं भी दर्द में भी मजा लेने लगी. उनके लंड ने मेरी चूत की गुफा को पूरा खोल दिया था और मेरी चूत ने लंड को पूरा जकड़ा हुआ था.
वो अपने लंड को पूरे जोश से मेरी चुत में अंदर बाहर कर रहे थे, मैं भी वासना से घिर कर बोल रही थी- आआआहह… उमआआआ… हां हां हां… हा चोदो मेरे राजा मेरी चूत को! हाय रे मर गयी।
वो बोले- आआह… कितनी गर्म चूत है तेरी!
फच्च फच्च!
“हा हाँ… आह… गयी मैं!” आआह कर के मैंने अपना रस छोड़ दिया लेकिन समधी जी अभी भी मुझे चोदने में लगे थे.
कुछ देर बाद वो बोले- मैं जाने वाला हूँ, कहाँ डालूं?
मैंने उनको बोला- मेरी बच्चे दानी में डाल दो राजा जी!
उन्होंने अपने रस को मेरी चूत में डाल दिया. मुझे लग रहा था कि गर्म पानी मेरी चूत में चला गया।
फिर वो मेरे ऊपर ही सो गए, मैं भी सो गई।
जब मेरी नींद खुली तो देखा कि समधी जी अभी भी सो रहे थे.
मैंने उठ कर कपड़े पहने और चाय बनाने चली गयी।
जब मैंने समधी जी को जगाया तो जगे।
फिर उन्होंने कपडे पहने और मैंने चाय दी।
वो बोले- समधन जी, तुम्हारी चूत मार कर मजा आ गया आज तो!
मैं बोली- मुझे भी आप के लंड से चुदवा कर बहुत अच्छा लगा।
वो फिर से मेरी चुचियों को मसलने लगे और बोले- अगली बार आपकी गांड मारूँगा।
मैंने भी हाँ कर दी।
फिर शाम को मेरे पति आये और समधी जी को ट्रेन पर छोड़ने गये।
फिर उसके बाद मैं रात रात को समधी जी से नेट पे खूब बातें करती रही।
एक दिन मेरे पति बोले- चलो आँचल से मिलने उसके घर चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है!
सुबह ही हम निर्मला के घर पहुँच गये। समधी जी मुझे देख कर मुस्कुराने लगे।
दिन का वक्त तो ऐसी ही खाने पीने और बतियाने में निकल गया.
रात उनके यहाँ सब छत पर लेटे थे गर्मी के चक्कर में… मैं भी वहीं लेट गयी।
आधी रात को सब नीचे जाने लगे, समधन जी बोली- चलो नीचे!
मैंने कहा- आप चलो, मुझे तो यहाँ अच्छा लगा रहा है, मैं अभी थोड़ी देर में आती हूँ।
वो मुझे नींद में समझ कर नीचे चली गयी। सब चले गए.
कुछ देर बाद समधी जी मेरे बिस्तर पर आकर लेट गए, मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगे, मैं भी उनसे चिपक कर उन्हें किस करने लगी।
उन्होंने मेरी मैक्सी ऊपर कर दिया मेरी मुझे अपनी ओर कर लिया मेरी चूत में लंड डालने लगे तो बोले- अरे यार ये तो सूखी पड़ी है!
मैंने कहा- आपने मुझे कौन सा गर्म किया जो ये पानी छोड़ती!
उन्होंने अपने थूक को मेरी चूत में डाला और अपने लंड को पेल दिया. मैं कमर उठा कर चूत चुदाई का मजा लेने लगी, आआह करने लगी.
वो मुझे मजे से चोदने लगे, मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था, वो बड़े आराम से मेरी चूत चोद रहे थे- आआह आआह आह सस्स… पट पट… सस्स्स हाह!
फिर कुछ मिनट बाद उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, बड़ी तेजी से मुझे चोदने लगे.
मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर उनके लंड को लेने लगी.
कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया और लगभग तभी उन्होंने भी अपना माल छोड़ दिया।
वे कुछ देर तक मुझे किस करते रहे, फिर वो बोले- अब गांड दो!
मैंने कहा- ले लो
वो बोल रहे थे- आआह सस्स ह्य्य्य्य… कितना अच्छा लंड चूसती हो तुम डॉलिंग! मजा आ गया! आह आह… हाँ… हाँ!
मैंने उनके लंड को मुँह में भरा हुआ था और उन्होंने बोला- मेरा माल निकल जाएगा।
मैं उनके लंड को मुंह में भर कर के फेंटने लगी, जब वो झड़ने लगे तो उन्होंने अपना लंड मेरे मुख से बाहर खींच लिया और उन्होंने अपने माल को मेरी चुचियों पर डाल दिया।
फिर वे लेट गए और हाँफने लगे.
कुछ देर बाद फिर से वे मेरी चुचियों को अपने मुँह में भरने लगे, उन्होंने मेरी चूचियों के ऊपर से अपने ही माल को अपने होंठों से लगा लिया, फिर मुझे किस करने लगे. उनका माल मेरे मुँह में भी आ गया।
कुछ देर बाद वे बोले- समधन जी, अब हमें आपकी चूत को चाटना है!
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ? आइये, आपका स्वागत है मेरी चूत में!
मैंने अपनी टाँगों को फैला दिया और बोली- मेरे जानू, अपनी ही चूत समझना इसे आज से!
उन्होंने अपने मुँह को मेरी चूत पर रख दिया और तेजी से चाटने लगे. मैं पागल सी होने लगी, मैं बोलने लगी- आआह समधी जी… सिसस्स… बस करो!
वो तेजी से मेरी चूत को चाट रहे थे, मैं चिल्लाते हुये बोली- अब चोदो भी राजा जी! पेलो मुझे राजा जी! अपनी रानी की चूत फाड़ दो जी!
फिर उन्होंने मुझसे बोला- कंडोम नहीं है मेरे पास! तुम्हारे पास है क्या?
मैं बोली- नहीं, मेरे पास भी नहीं है. तुम्हारे संधी जी तो मुझे चोदते ही नहीं तो कंडोम का क्या काम!
वो बोले- और अगर तुम प्रेग्नेंट हो गयी तो?
मैंने कहा- तो कर दो ना मुझे प्रेग्नेंट!
उन्होंने अपने लंड को मेरी गीली चूत टिकाया और एक झटके में मेरी चूत के अंदर कर दिया.
मैं दर्द और आनन्द से फड़फड़ाने लगी- निकालो इसे… फट गई मेरी चूत!
वो जोश में आकर मुझे और जोर से पेलने लगे, मैं भी दर्द में भी मजा लेने लगी. उनके लंड ने मेरी चूत की गुफा को पूरा खोल दिया था और मेरी चूत ने लंड को पूरा जकड़ा हुआ था.
वो अपने लंड को पूरे जोश से मेरी चुत में अंदर बाहर कर रहे थे, मैं भी वासना से घिर कर बोल रही थी- आआआहह… उमआआआ… हां हां हां… हा चोदो मेरे राजा मेरी चूत को! हाय रे मर गयी।
वो बोले- आआह… कितनी गर्म चूत है तेरी!
फच्च फच्च!
“हा हाँ… आह… गयी मैं!” आआह कर के मैंने अपना रस छोड़ दिया लेकिन समधी जी अभी भी मुझे चोदने में लगे थे.
कुछ देर बाद वो बोले- मैं जाने वाला हूँ, कहाँ डालूं?
मैंने उनको बोला- मेरी बच्चे दानी में डाल दो राजा जी!
उन्होंने अपने रस को मेरी चूत में डाल दिया. मुझे लग रहा था कि गर्म पानी मेरी चूत में चला गया।
फिर वो मेरे ऊपर ही सो गए, मैं भी सो गई।
जब मेरी नींद खुली तो देखा कि समधी जी अभी भी सो रहे थे.
मैंने उठ कर कपड़े पहने और चाय बनाने चली गयी।
जब मैंने समधी जी को जगाया तो जगे।
फिर उन्होंने कपडे पहने और मैंने चाय दी।
वो बोले- समधन जी, तुम्हारी चूत मार कर मजा आ गया आज तो!
मैं बोली- मुझे भी आप के लंड से चुदवा कर बहुत अच्छा लगा।
वो फिर से मेरी चुचियों को मसलने लगे और बोले- अगली बार आपकी गांड मारूँगा।
मैंने भी हाँ कर दी।
फिर शाम को मेरे पति आये और समधी जी को ट्रेन पर छोड़ने गये।
फिर उसके बाद मैं रात रात को समधी जी से नेट पे खूब बातें करती रही।
एक दिन मेरे पति बोले- चलो आँचल से मिलने उसके घर चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है!
सुबह ही हम निर्मला के घर पहुँच गये। समधी जी मुझे देख कर मुस्कुराने लगे।
दिन का वक्त तो ऐसी ही खाने पीने और बतियाने में निकल गया.
रात उनके यहाँ सब छत पर लेटे थे गर्मी के चक्कर में… मैं भी वहीं लेट गयी।
आधी रात को सब नीचे जाने लगे, समधन जी बोली- चलो नीचे!
मैंने कहा- आप चलो, मुझे तो यहाँ अच्छा लगा रहा है, मैं अभी थोड़ी देर में आती हूँ।
वो मुझे नींद में समझ कर नीचे चली गयी। सब चले गए.
कुछ देर बाद समधी जी मेरे बिस्तर पर आकर लेट गए, मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगे, मैं भी उनसे चिपक कर उन्हें किस करने लगी।
उन्होंने मेरी मैक्सी ऊपर कर दिया मेरी मुझे अपनी ओर कर लिया मेरी चूत में लंड डालने लगे तो बोले- अरे यार ये तो सूखी पड़ी है!
मैंने कहा- आपने मुझे कौन सा गर्म किया जो ये पानी छोड़ती!
उन्होंने अपने थूक को मेरी चूत में डाला और अपने लंड को पेल दिया. मैं कमर उठा कर चूत चुदाई का मजा लेने लगी, आआह करने लगी.
वो मुझे मजे से चोदने लगे, मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था, वो बड़े आराम से मेरी चूत चोद रहे थे- आआह आआह आह सस्स… पट पट… सस्स्स हाह!
फिर कुछ मिनट बाद उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, बड़ी तेजी से मुझे चोदने लगे.
मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर उनके लंड को लेने लगी.
कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया और लगभग तभी उन्होंने भी अपना माल छोड़ दिया।
वे कुछ देर तक मुझे किस करते रहे, फिर वो बोले- अब गांड दो!
मैंने कहा- ले लो