न हम
दोनों शांत थे.
मैं जानबूझकर आंटी के शरीर को कातिल निगाहों से घूर रहा था, एक दो बार आंटी से नजर मिली तो उन्होंने आँखें नीचे कर लीं.
चाय पीने के बाद आंटी कप रखने के लिए किचन की ओर गईं तो उनके मटकते चूतड़ों ने मेरा लण्ड टनटना दिया.
किचन से वापस लौटते हुए आंटी बोलीं- हाँ विजय बताओ, तुम क्या कह रहे थे?
अपनी आँखें नीची करके मैंने कहा- आंटी बेडरूम में चलिए और मुझे सिर्फ पाँच मिनट दे दीजिये.
“ठीक है, आओ. लेकिन सिर्फ पाँच मिनट.”
यह कहते हुए आंटी बेडरूम की तरफ चल दीं और मैं उनके पीछे पीछे.
बेडरूम में घुसते ही आंटी ने घड़ी की तरफ ऊंगली करते हुए समय देखने का इशारा किया.
मैंने घड़ी की ओर देखा और बेड के किनारे पर टांगें लटकाकर बैठ गया.
आंटी को अपने करीब खींचा और उनके गाउन के हुक खोलकर चूचियां चूसने लगा.
चूचियां चूसते हुए जब निप्पल्स पर अपने दांत गड़ाता तो आंटी उछल जाती.
अब मैं खड़ा हो गया और अपने होंठ आंटी के होंठों पर रखकर आंटी के चूतड़ दबाने लगा.
जींस के अन्दर से ही मेरा लण्ड आंटी की चूत पर दबाव बना रहा था.
आंटी बेहाल हो रही थीं.
घड़ी में देखा अभी दो मिनट हुए थे.
अपनी जींस की बेल्ट और चेन खोलकर जींस और जॉकी को नीचे खिसका दिया तो मेरा लण्ड फुदक कर टनटनाने लगा.
आंटी की पैन्टी थोड़ी नीचे खिसका कर मैंने आंटी की चूत पर हाथ फेरा तो समझ गया कि आंटी ने अभी घंटा भर पहले ही शेव की है.
यानि कि आंटी चुदवाने की तैयारी से थीं.
आंटी के होंठ चूसते चूसते उनकी चूत पर हाथ फेरते हुए मैंने आंटी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया.
लण्ड हाथ में आते ही आंटी सहलाने लगीं.
तभी मैंने आंटी को घड़ी दिखाई और कहा- आंटी मेरे पाँच मिनट पूरे हो गये.
गाउन और पैन्टी को अपने शरीर से अलग करके आंटी बेड पर बैठ गईं और बोलीं- तुम्हारा समय समाप्त हो गया. और अब मेरा समय शुरू होता है.
इतना कहकर आंटी मेरा लण्ड चूसने लगीं और मेरी गोटियां सहलाने लगीं.
कुछ देर बाद आंटी उठीं, किचन में गईं और देसी घी का डिब्बा उठा लाईं.
अपनी हथेली पर घी लेकर आंटी मेरे लण्ड की मसाज करने लगीं.
पहले से ही टनटनाया हुआ लण्ड आंटी की मसाज से मतवाला हो गया.
अब आंटी ने थोड़ा सा घी अपनी हथेलियों पर मलकर अपने चूतड़ों की मालिश कर दी.
फिर अपने हाथ में घी लेकर मेरे लण्ड के सुपारे पर मला और पलंग हाथ टिकाकर घोड़ी बन गईं.
घी से सनी अपनी ऊंगली को अपनी गांड के छेद पर फेरकर आंटी ने मुझे इशारा दे दिया कि वो गांड मराना चाहती हैं.
आंटी के पीछे खड़े होकर आंटी के भारी भरकम चूतड़ों के बीच चमकते आंटी की गांड के छेद पर मैंने अपने लण्ड का सुपारा रखा और आंटी की कमर पकड़कर लण्ड को धकेला.
तो आंटी के रोने चिल्लाने के बावजूद पूरा लण्ड ठोंक दिया.
आंटी रोने लगीं और गन्दी गन्दी गालियां देते हुए अपनी बहन को कोसने लगीं.
उनके मिन्नत करने पर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो आंटी ने बताया- मेरी बहन बार बार गांड मराने के लिए उकसाती थी और तेरे अंकल के लण्ड में इतनी दम नहीं थी कि मेरी गांड मार पाते लेकिन तुमसे गांड मराकर मेरा भूत उतर गया.
आंटी उठीं, पास में रखे टॉवल से मेरा लण्ड साफ किया और चूसने लगीं.
मैंने आंटी को लिटा दिया और उनके बगल में लेटकर चूचियां मसलने लगा.
आंटी ने अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.
तभी आंटी ने गद्दे के नीचे छिपाकर रखा हुआ कॉण्डोम का पैकेट निकालकर मुझे दिया और बोलीं- तेरे अंकल छह महीने पहले लाये थे, एक ही खर्च हुआ है.
अपने लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ाकर मैं आंटी की टांगों के बीच आ गया.
दोनों शांत थे.
मैं जानबूझकर आंटी के शरीर को कातिल निगाहों से घूर रहा था, एक दो बार आंटी से नजर मिली तो उन्होंने आँखें नीचे कर लीं.
चाय पीने के बाद आंटी कप रखने के लिए किचन की ओर गईं तो उनके मटकते चूतड़ों ने मेरा लण्ड टनटना दिया.
किचन से वापस लौटते हुए आंटी बोलीं- हाँ विजय बताओ, तुम क्या कह रहे थे?
अपनी आँखें नीची करके मैंने कहा- आंटी बेडरूम में चलिए और मुझे सिर्फ पाँच मिनट दे दीजिये.
“ठीक है, आओ. लेकिन सिर्फ पाँच मिनट.”
यह कहते हुए आंटी बेडरूम की तरफ चल दीं और मैं उनके पीछे पीछे.
बेडरूम में घुसते ही आंटी ने घड़ी की तरफ ऊंगली करते हुए समय देखने का इशारा किया.
मैंने घड़ी की ओर देखा और बेड के किनारे पर टांगें लटकाकर बैठ गया.
आंटी को अपने करीब खींचा और उनके गाउन के हुक खोलकर चूचियां चूसने लगा.
चूचियां चूसते हुए जब निप्पल्स पर अपने दांत गड़ाता तो आंटी उछल जाती.
अब मैं खड़ा हो गया और अपने होंठ आंटी के होंठों पर रखकर आंटी के चूतड़ दबाने लगा.
जींस के अन्दर से ही मेरा लण्ड आंटी की चूत पर दबाव बना रहा था.
आंटी बेहाल हो रही थीं.
घड़ी में देखा अभी दो मिनट हुए थे.
अपनी जींस की बेल्ट और चेन खोलकर जींस और जॉकी को नीचे खिसका दिया तो मेरा लण्ड फुदक कर टनटनाने लगा.
आंटी की पैन्टी थोड़ी नीचे खिसका कर मैंने आंटी की चूत पर हाथ फेरा तो समझ गया कि आंटी ने अभी घंटा भर पहले ही शेव की है.
यानि कि आंटी चुदवाने की तैयारी से थीं.
आंटी के होंठ चूसते चूसते उनकी चूत पर हाथ फेरते हुए मैंने आंटी का हाथ अपने लण्ड पर रख दिया.
लण्ड हाथ में आते ही आंटी सहलाने लगीं.
तभी मैंने आंटी को घड़ी दिखाई और कहा- आंटी मेरे पाँच मिनट पूरे हो गये.
गाउन और पैन्टी को अपने शरीर से अलग करके आंटी बेड पर बैठ गईं और बोलीं- तुम्हारा समय समाप्त हो गया. और अब मेरा समय शुरू होता है.
इतना कहकर आंटी मेरा लण्ड चूसने लगीं और मेरी गोटियां सहलाने लगीं.
कुछ देर बाद आंटी उठीं, किचन में गईं और देसी घी का डिब्बा उठा लाईं.
अपनी हथेली पर घी लेकर आंटी मेरे लण्ड की मसाज करने लगीं.
पहले से ही टनटनाया हुआ लण्ड आंटी की मसाज से मतवाला हो गया.
अब आंटी ने थोड़ा सा घी अपनी हथेलियों पर मलकर अपने चूतड़ों की मालिश कर दी.
फिर अपने हाथ में घी लेकर मेरे लण्ड के सुपारे पर मला और पलंग हाथ टिकाकर घोड़ी बन गईं.
घी से सनी अपनी ऊंगली को अपनी गांड के छेद पर फेरकर आंटी ने मुझे इशारा दे दिया कि वो गांड मराना चाहती हैं.
आंटी के पीछे खड़े होकर आंटी के भारी भरकम चूतड़ों के बीच चमकते आंटी की गांड के छेद पर मैंने अपने लण्ड का सुपारा रखा और आंटी की कमर पकड़कर लण्ड को धकेला.
तो आंटी के रोने चिल्लाने के बावजूद पूरा लण्ड ठोंक दिया.
आंटी रोने लगीं और गन्दी गन्दी गालियां देते हुए अपनी बहन को कोसने लगीं.
उनके मिन्नत करने पर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो आंटी ने बताया- मेरी बहन बार बार गांड मराने के लिए उकसाती थी और तेरे अंकल के लण्ड में इतनी दम नहीं थी कि मेरी गांड मार पाते लेकिन तुमसे गांड मराकर मेरा भूत उतर गया.
आंटी उठीं, पास में रखे टॉवल से मेरा लण्ड साफ किया और चूसने लगीं.
मैंने आंटी को लिटा दिया और उनके बगल में लेटकर चूचियां मसलने लगा.
आंटी ने अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया.
तभी आंटी ने गद्दे के नीचे छिपाकर रखा हुआ कॉण्डोम का पैकेट निकालकर मुझे दिया और बोलीं- तेरे अंकल छह महीने पहले लाये थे, एक ही खर्च हुआ है.
अपने लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ाकर मैं आंटी की टांगों के बीच आ गया.