दो मिनट बाद वह हीरो सोफे पर बैठ गया, उस एक्ट्रेस ने अपने ठोकू का मूसल लंड सहलाते हुए उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और उसके लंड को मुँह में भर लिया. वो हीरो भी अपनी आंखें मूंदते हुए अपने हाथों से लड़की के सर को अपने लंड पर खींचने लगा.
थोड़ी देर बाद सीन बदला, हीरो ने उस लड़की को सोफे पर लिटाया और उसकी बुर पर अपना लंड घिसने लगा.
उफ्फ … लंड के चुत पर घिसने पर जिस्म में कितनी मस्ती चढ़ती है, इसका मुझे अनुभव था. उस सीन को देख कर मुझे मेरे एक्स बॉयफ्रेंड के लंड की याद आयी और मेरा हाथ अपने आप मेरी जीन्स पर चला गया. मैंने जीन्स का हुक और चैन खोली और पैंटी के ऊपर से ही बुर को सहलाने लगी.
चुत का गीलापन मेरी उत्तेजना को दर्शा रहा था. मैंने अपनी उंगलियां अपनी पैंटी के अन्दर घुसा दीं और रस टपकाती अपनी मुनिया को सहलाने लगी. उत्तेजना में मैं भूल गयी थी कि मैं कहां हूँ. जब जब मेरी उंगलियां मेरी चुत के दाने को टकरा जातीं, मेरी सिसकारियां निकल जातीं. सामने टीवी पर चल रही ब्लू फिल्म में उन दोनों की जोरदार चुदाई चालू थी.
मैं अपनी आंख मूंदकर अपनी मुनिया पर उंगलियाँ चलने लगी थी. तभी मेरे हाथ पर गीला स्पर्श महसूस हुआ. मैंने चौंक कर पीछे देखा, तो अंकल पीछे खड़े थे. उन्होंने सिर्फ टॉवेल पहना था और ऊपर से नंगे थे. उनका सीना बालों से भरा हुआ था.
मैं डर कर टीवी बंद करने गयी, तो हड़बड़ाहट मैं टीवी को अनम्यूट कर दिया.
टीवी से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं.
सामने उन दोनों की जोरदार धकापेल चुदाई चालू थी. मैंने फिर एक बार प्रयत्न किया और टीवी को बंद कर दिया. मैं शर्म से नीचे देख रही थी, अंकल भी कुछ बोल नहीं रहे थे.
“रिलैक्स … नीतू.” अंकल थोड़ी देर बाद बोले.
“अंकल … आए एम सॉरी … पापा को कुछ मत बताना … प्लीज!” मैं रोनी सूरत और आवाज निकालकर बोली.
“रिलैक्स … नीतू … शांत हो जाओ.” अंकल मुझे समझाते हुए बोले.
“अंकल … प्लीज … सॉरी.” मैं रोने लग गयी.
“तुम चिंता मत करो … मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा … तुम रोना बंद करो.” उनके समझाने पर मैंने अपनी आंखें पौंछ लीं.
“इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, मैंने ही गलती से प्लेयर चालू छोड़ दिया. सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए.”
मैंने रोना बंद कर दिया था, पर अभी भी नीचे देख रही थी.
“और यह सब देख कर तुम्हारा एन्जॉयमेंट करना नार्मल है, तुम चिंता मत करो. मैं किसी से कुछ नहीं बोलूंगा. तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाता हूँ.”
अंकल रसोई में चले गए, तो मैंने अपनी जीन्स ठीक की. पोर्न देखने की वजह से बदन मैं अभी भी उत्तेजना भरी हुई थी. बार बार मन में वही ख्याल आ रहे थे, तो विचार बदलने के लिए मैं सीमा के नोट्स पढ़ने लगी. तभी अंकल हॉल में आ गए.
“यह लो गरमागरम चाय … तुम्हें अच्छा लगेगा.”
अंकल ने मुझे कप दिया और मेरे पास ही बैठ गए. वह अभी भी सिर्फ टॉवल पहने हुए थे, सिर्फ बाल बनाकर आये थे. मेरे मन में अभी भी उत्तेजना और शर्म के भाव थे और उस वजह से मुझे चाय पीने की इच्छा नहीं हो रही थी.
अंकल ने अपनी चाय खत्म की और कप सामने के टेबल पर रख दिया.
“अरे पी नहीं अभी तक?” अंकल अपना हाथ मेरे कंधे पर रख कर कहा- जल्दी पी लो … ठंडी अच्छी नहीं लगेगी.”
उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पर ही रखा था, रखा क्या … अपने पंजे से मेरे कंधे को लगभग दबोच लिया था. उनकी उंगलियां मेरे सीने के ऊपर टच कर रही थीं. उनके स्पर्श से मेरी धड़कनें बढ़ने लगी थीं, सांसें तेज चलने लगीं, हाथ थरथराने लगे. एक तो ब्लू फिल्म के वो गरमागरम सीन और दूसरा अंकल का स्पर्श मेरे बदन में कपकपी पैदा करने लगा. मेरे हाथों में पकड़ा हुआ कप भी हिलने लगा और चाय की कुछ बूंदें जीन्स के कपड़े से अन्दर होते हुए मेरी जांघों के ऊपर आ गईं.
“अरे संभल कर!” अंकल ने कप को अपने हाथों में पकड़ा और टेबल पर रख दिया. वो मेरी जांघों पर पड़े चाय को अपने हाथों से पौंछने लगे.
अंकल मेरी जांघ पर गिरी हुई पौंछ कम रहे थे और मेरी जांघ को सहला ज्यादा रहे थे. जीन्स के मोटे कपड़े से भी उनका स्पर्श मेरी जांघों पर उत्तेजना पैदा कर रहा था. मैं इन्कार करने की स्थिति में नहीं थी. उनका स्पर्श मेरी उत्तेजना और भड़का रहा था. मैं अपने होंठ दांतों तले दबाकर अपनी सीत्कार रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
मेरी तरफ से कुछ विरोध न होता देख कर अंकल अपना हाथ जांघों से ऊपर सरकाने लगे, तो मैंने झट से उनका हाथ पकड़ लिया.
“न..न..नहीं … अंकल … प्लीज..”
“नीतू … तुमको इसकी जरूरत है … नहीं तो तुम्हें आराम नहीं मिलेगा.”
ये कहते उन्होंने अपने हाथों पर से मेरा हाथ हटा दिया.
अब तक उन्हें अपने अनुभव से मेरे मन की स्थिति का अंदाजा लग चुका था. उत्तेजना की वजह से मेरे निप्पल खड़े हो गए थे. अंकल को रोकना मेरे लिए अब और मुश्किल होता जा रहा था.
थोड़ी देर बाद सीन बदला, हीरो ने उस लड़की को सोफे पर लिटाया और उसकी बुर पर अपना लंड घिसने लगा.
उफ्फ … लंड के चुत पर घिसने पर जिस्म में कितनी मस्ती चढ़ती है, इसका मुझे अनुभव था. उस सीन को देख कर मुझे मेरे एक्स बॉयफ्रेंड के लंड की याद आयी और मेरा हाथ अपने आप मेरी जीन्स पर चला गया. मैंने जीन्स का हुक और चैन खोली और पैंटी के ऊपर से ही बुर को सहलाने लगी.
चुत का गीलापन मेरी उत्तेजना को दर्शा रहा था. मैंने अपनी उंगलियां अपनी पैंटी के अन्दर घुसा दीं और रस टपकाती अपनी मुनिया को सहलाने लगी. उत्तेजना में मैं भूल गयी थी कि मैं कहां हूँ. जब जब मेरी उंगलियां मेरी चुत के दाने को टकरा जातीं, मेरी सिसकारियां निकल जातीं. सामने टीवी पर चल रही ब्लू फिल्म में उन दोनों की जोरदार चुदाई चालू थी.
मैं अपनी आंख मूंदकर अपनी मुनिया पर उंगलियाँ चलने लगी थी. तभी मेरे हाथ पर गीला स्पर्श महसूस हुआ. मैंने चौंक कर पीछे देखा, तो अंकल पीछे खड़े थे. उन्होंने सिर्फ टॉवेल पहना था और ऊपर से नंगे थे. उनका सीना बालों से भरा हुआ था.
मैं डर कर टीवी बंद करने गयी, तो हड़बड़ाहट मैं टीवी को अनम्यूट कर दिया.
टीवी से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं.
सामने उन दोनों की जोरदार धकापेल चुदाई चालू थी. मैंने फिर एक बार प्रयत्न किया और टीवी को बंद कर दिया. मैं शर्म से नीचे देख रही थी, अंकल भी कुछ बोल नहीं रहे थे.
“रिलैक्स … नीतू.” अंकल थोड़ी देर बाद बोले.
“अंकल … आए एम सॉरी … पापा को कुछ मत बताना … प्लीज!” मैं रोनी सूरत और आवाज निकालकर बोली.
“रिलैक्स … नीतू … शांत हो जाओ.” अंकल मुझे समझाते हुए बोले.
“अंकल … प्लीज … सॉरी.” मैं रोने लग गयी.
“तुम चिंता मत करो … मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा … तुम रोना बंद करो.” उनके समझाने पर मैंने अपनी आंखें पौंछ लीं.
“इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, मैंने ही गलती से प्लेयर चालू छोड़ दिया. सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए.”
मैंने रोना बंद कर दिया था, पर अभी भी नीचे देख रही थी.
“और यह सब देख कर तुम्हारा एन्जॉयमेंट करना नार्मल है, तुम चिंता मत करो. मैं किसी से कुछ नहीं बोलूंगा. तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाता हूँ.”
अंकल रसोई में चले गए, तो मैंने अपनी जीन्स ठीक की. पोर्न देखने की वजह से बदन मैं अभी भी उत्तेजना भरी हुई थी. बार बार मन में वही ख्याल आ रहे थे, तो विचार बदलने के लिए मैं सीमा के नोट्स पढ़ने लगी. तभी अंकल हॉल में आ गए.
“यह लो गरमागरम चाय … तुम्हें अच्छा लगेगा.”
अंकल ने मुझे कप दिया और मेरे पास ही बैठ गए. वह अभी भी सिर्फ टॉवल पहने हुए थे, सिर्फ बाल बनाकर आये थे. मेरे मन में अभी भी उत्तेजना और शर्म के भाव थे और उस वजह से मुझे चाय पीने की इच्छा नहीं हो रही थी.
अंकल ने अपनी चाय खत्म की और कप सामने के टेबल पर रख दिया.
“अरे पी नहीं अभी तक?” अंकल अपना हाथ मेरे कंधे पर रख कर कहा- जल्दी पी लो … ठंडी अच्छी नहीं लगेगी.”
उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पर ही रखा था, रखा क्या … अपने पंजे से मेरे कंधे को लगभग दबोच लिया था. उनकी उंगलियां मेरे सीने के ऊपर टच कर रही थीं. उनके स्पर्श से मेरी धड़कनें बढ़ने लगी थीं, सांसें तेज चलने लगीं, हाथ थरथराने लगे. एक तो ब्लू फिल्म के वो गरमागरम सीन और दूसरा अंकल का स्पर्श मेरे बदन में कपकपी पैदा करने लगा. मेरे हाथों में पकड़ा हुआ कप भी हिलने लगा और चाय की कुछ बूंदें जीन्स के कपड़े से अन्दर होते हुए मेरी जांघों के ऊपर आ गईं.
“अरे संभल कर!” अंकल ने कप को अपने हाथों में पकड़ा और टेबल पर रख दिया. वो मेरी जांघों पर पड़े चाय को अपने हाथों से पौंछने लगे.
अंकल मेरी जांघ पर गिरी हुई पौंछ कम रहे थे और मेरी जांघ को सहला ज्यादा रहे थे. जीन्स के मोटे कपड़े से भी उनका स्पर्श मेरी जांघों पर उत्तेजना पैदा कर रहा था. मैं इन्कार करने की स्थिति में नहीं थी. उनका स्पर्श मेरी उत्तेजना और भड़का रहा था. मैं अपने होंठ दांतों तले दबाकर अपनी सीत्कार रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
मेरी तरफ से कुछ विरोध न होता देख कर अंकल अपना हाथ जांघों से ऊपर सरकाने लगे, तो मैंने झट से उनका हाथ पकड़ लिया.
“न..न..नहीं … अंकल … प्लीज..”
“नीतू … तुमको इसकी जरूरत है … नहीं तो तुम्हें आराम नहीं मिलेगा.”
ये कहते उन्होंने अपने हाथों पर से मेरा हाथ हटा दिया.
अब तक उन्हें अपने अनुभव से मेरे मन की स्थिति का अंदाजा लग चुका था. उत्तेजना की वजह से मेरे निप्पल खड़े हो गए थे. अंकल को रोकना मेरे लिए अब और मुश्किल होता जा रहा था.