िपक कर सोएगी तो मर्द के अरमानों पर कैसे काबू हो सकेगा.
मेरे दिल में हलचल होने लगी; उधर लंड में भी हलचल होने लगी; दिमाग में भी कुछ सेक्सी विचार आने लगे.
इन सबके असर के चलते मेरे हाथ साली की कमर की तरफ बढ़े और मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचने लगा. वो भी खिसक कर मेरे और करीब आ गई.
शायद दिव्या को ज्यादा ठंड लग रही थी. उसने भी मेरी कमर पर हाथ डाल लिया.
हम दोनों की इतनी गहरी दोस्ती थी कि हम दोनों हर तरह की बातें कर लेते थे और बहुत कुछ शेयर भी कर लेते थे.
शायद इसी वजह से उसे ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
अब हालात कुछ ऐसे थे कि हमारे केबिन का तापमान अब बढ़ने लगा था और हमारे शरीर गर्म होने लगे थे.
हम दोनों इतने करीब थे कि बस हमारे होंठों एक दूसरे से दूर थे. बाकी ऊपर से नीचे तक चिपके हुए थे.
मेरी सांसें बढ़ गई थीं और दिव्या की गर्म सांसों को मैं महसूस कर पा रहा था. मेरा मन था कि अब तो बस इसे चूम ही लूं.
लेकिन डर लग रहा था.
मेरी साली की आंखें बंद थीं, लेकिन मुझे इतना समझ आ गया था कि वो सोई नहीं है.
हम दोनों इतने नजदीक थे, फिर भी मैं दिव्या को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रहा था.
अब दिव्या ने भी अपने हाथों से मुझे अपनी तरफ खींचने के लिए हल्का जोर लगाया और अपने चेहरे को मेरी तरफ बढ़ा दिया.
उसकी ये हरकत मानो कह रही थी कि अब तो चूम लो मेरे इन रसीले होंठों को.
मैं उसके और करीब हो गया और उसके होंठों को हल्का सा छू लिया.
इससे हम दोनों को एक दूसरे सांसें और गर्म महसूस होने लगी थीं.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपने सीने से चिपकाया और उसके होंठों को किस कर लिया.
मजे की बात ये कि वो भी एकदम से मेरा साथ देने लगी.
अब तो सारे अरमान जाग गए थे.
वो भी चाहती थी कि मैं आगे बढूं.
मैंने अगले ही पल उसे अपने ऊपर ले लिया और अपनी बांहों में जकड़ कर उसे किस करने लगा.
वो भी मुझे होंठों पर, गाल पर और गले पर किस करने लगी.
उसके चुम्बनों से मुझे ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे ज्यादा तरस रही थी; बस पहल करने का इंतजार कर रही थी.
बहुत देर तक किस करने के बाद अब मेरी बारी थी.
मैंने उसके बदन को चूमना चालू कर दिया.
उसने ढीली सी टी-शर्ट पहनी थी और नीचे लैगी पहनी थी.
इससे मेरे काम आसान हो गया.
मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाया और उसके दोनों दूध आजाद कर दिए.
अपने मुँह से एक दूध को चूमने लगा और साथ में उसके पूरे बदन को सहलाता रहा.
मैंने टी-शर्ट और लोअर पहना था.
मेरी साली ने मेरे टी-शर्ट को निकाल दिया.
अब हम दोनों अधनंगे हो गए थे.
कपड़े उतारने के चक्कर में हमारा कम्बल अलग सा हो गया था. हमने कम्बल को ओढ़ लिया.
अब चुदाई की बारी थी.
मैंने उसकी लैगी को पैंटी सहित नीचे किया और एक पैर से बाहर निकाल दी.
ये देख कर दिव्या ने भी मेरे लोअर को नीचे कर दिया. मैंने अन्दर कच्छा नहीं पहना था.
मैं दिव्या के ऊपर चढ़ गया. उसके दोनों पैरों को थोड़ा फैलाया और उसकी चूत पर अपना लंड टिका दिया.
उसके ऊपर लेट कर मैंने उसे कसके अपनी बांहों में जकड़ा और धीरे धीरे लंड को चूत में सरकाने लगा.
जैसे जैसे मेरा लंड दिव्या की चूत में जा रहा था, दिव्या लंबी सांस ले रही थी.
मानो उसे भरोसा ना हो रहा हो कि अब उसकी चूत में लंड है या फिर उसकी चूत में उसके जीजू का लंड है.
पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और उसने मुझे कसके पकड़ा हुआ था.
हम दोनों में धीरे धीरे चुदाई शुरू हुई.
कोई दो मिनट बाद वो एकदम से जंगली हो गई और हमारी चुदाई ताबड़तोड़ होने लगी.
मैंने बीस मिनट तक अपनी साली को चोदा और उसकी चुत में ही झड़ गया.
इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी.
चुदाई के बाद जब हमें ठंड सी लगी, तब अहसास हुआ कि चुदाई के दौरान कम्बल अलग हो गया था, जिसका हम दोनों को ही होश नहीं था.
हम दोनों ने उस रात को बस में चुदाई का मज़ा दो बार लिया और एक दूसरे को चरम सुख दिया.
शादी के बाद पत्नी के अलावा दूसरी लड़की से मेरी पहली चुदाई थी, जिसमें मुझे बहुत मज़ा आया.
अगली सुबह दिव्या थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन उसके चेहरे पर चुदाई का निखार साफ नजर आ रहा था.
मैं भी अपनी साली को चोदकर खुश था.
अगले दिन मैंने दिव्या को एग्जाम सेंटर पर छोड़ा और शाम को दुबारा बस से ही वापस आए.
उस दौरान एक बार फिर हमने एक दूसरे को चुदाई वाला ढेर सारा प्यार दिया.
सुबह हम दोनों वापस घर आ गए.
अपनी साली को चोद कर मैं बहुत खुश था.
जो मज़ा मेरी पत्नी के साथ नहीं आया, वो मुझे मेरी साली ने दिया.
अब मेरा एक बेबी होने वाला है, जिसकी देखभाल करने के लिए मेरी साली मेरे घर रहने आने वाली है.
शायद ज़िन्दगी के कुछ दिन तक उसके साथ का मजा मिलेगा.
फिर कब उसकी शादी हो जाएगी और उसके बाद वो मुझसे मिलना चाहेगी भी या नहीं … ये मैं नहीं जानता.
मैं अभी भी अपनी पत्नी से प्यार बहुत करता हूं. लेकिन वो मुझे समझती नहीं है, बस मुझे इसी बात का दुख है.
वैसे मेरी साली और
मेरे दिल में हलचल होने लगी; उधर लंड में भी हलचल होने लगी; दिमाग में भी कुछ सेक्सी विचार आने लगे.
इन सबके असर के चलते मेरे हाथ साली की कमर की तरफ बढ़े और मैं उसकी कमर पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचने लगा. वो भी खिसक कर मेरे और करीब आ गई.
शायद दिव्या को ज्यादा ठंड लग रही थी. उसने भी मेरी कमर पर हाथ डाल लिया.
हम दोनों की इतनी गहरी दोस्ती थी कि हम दोनों हर तरह की बातें कर लेते थे और बहुत कुछ शेयर भी कर लेते थे.
शायद इसी वजह से उसे ज्यादा परेशानी नहीं हुई.
अब हालात कुछ ऐसे थे कि हमारे केबिन का तापमान अब बढ़ने लगा था और हमारे शरीर गर्म होने लगे थे.
हम दोनों इतने करीब थे कि बस हमारे होंठों एक दूसरे से दूर थे. बाकी ऊपर से नीचे तक चिपके हुए थे.
मेरी सांसें बढ़ गई थीं और दिव्या की गर्म सांसों को मैं महसूस कर पा रहा था. मेरा मन था कि अब तो बस इसे चूम ही लूं.
लेकिन डर लग रहा था.
मेरी साली की आंखें बंद थीं, लेकिन मुझे इतना समझ आ गया था कि वो सोई नहीं है.
हम दोनों इतने नजदीक थे, फिर भी मैं दिव्या को पकड़ कर अपनी तरफ खींच रहा था.
अब दिव्या ने भी अपने हाथों से मुझे अपनी तरफ खींचने के लिए हल्का जोर लगाया और अपने चेहरे को मेरी तरफ बढ़ा दिया.
उसकी ये हरकत मानो कह रही थी कि अब तो चूम लो मेरे इन रसीले होंठों को.
मैं उसके और करीब हो गया और उसके होंठों को हल्का सा छू लिया.
इससे हम दोनों को एक दूसरे सांसें और गर्म महसूस होने लगी थीं.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे कमर से पकड़ कर अपने सीने से चिपकाया और उसके होंठों को किस कर लिया.
मजे की बात ये कि वो भी एकदम से मेरा साथ देने लगी.
अब तो सारे अरमान जाग गए थे.
वो भी चाहती थी कि मैं आगे बढूं.
मैंने अगले ही पल उसे अपने ऊपर ले लिया और अपनी बांहों में जकड़ कर उसे किस करने लगा.
वो भी मुझे होंठों पर, गाल पर और गले पर किस करने लगी.
उसके चुम्बनों से मुझे ऐसा लगा, जैसे वो मुझसे ज्यादा तरस रही थी; बस पहल करने का इंतजार कर रही थी.
बहुत देर तक किस करने के बाद अब मेरी बारी थी.
मैंने उसके बदन को चूमना चालू कर दिया.
उसने ढीली सी टी-शर्ट पहनी थी और नीचे लैगी पहनी थी.
इससे मेरे काम आसान हो गया.
मैंने उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाया और उसके दोनों दूध आजाद कर दिए.
अपने मुँह से एक दूध को चूमने लगा और साथ में उसके पूरे बदन को सहलाता रहा.
मैंने टी-शर्ट और लोअर पहना था.
मेरी साली ने मेरे टी-शर्ट को निकाल दिया.
अब हम दोनों अधनंगे हो गए थे.
कपड़े उतारने के चक्कर में हमारा कम्बल अलग सा हो गया था. हमने कम्बल को ओढ़ लिया.
अब चुदाई की बारी थी.
मैंने उसकी लैगी को पैंटी सहित नीचे किया और एक पैर से बाहर निकाल दी.
ये देख कर दिव्या ने भी मेरे लोअर को नीचे कर दिया. मैंने अन्दर कच्छा नहीं पहना था.
मैं दिव्या के ऊपर चढ़ गया. उसके दोनों पैरों को थोड़ा फैलाया और उसकी चूत पर अपना लंड टिका दिया.
उसके ऊपर लेट कर मैंने उसे कसके अपनी बांहों में जकड़ा और धीरे धीरे लंड को चूत में सरकाने लगा.
जैसे जैसे मेरा लंड दिव्या की चूत में जा रहा था, दिव्या लंबी सांस ले रही थी.
मानो उसे भरोसा ना हो रहा हो कि अब उसकी चूत में लंड है या फिर उसकी चूत में उसके जीजू का लंड है.
पूरा लंड उसकी चूत में समा गया और उसने मुझे कसके पकड़ा हुआ था.
हम दोनों में धीरे धीरे चुदाई शुरू हुई.
कोई दो मिनट बाद वो एकदम से जंगली हो गई और हमारी चुदाई ताबड़तोड़ होने लगी.
मैंने बीस मिनट तक अपनी साली को चोदा और उसकी चुत में ही झड़ गया.
इस दौरान वो दो बार झड़ चुकी थी.
चुदाई के बाद जब हमें ठंड सी लगी, तब अहसास हुआ कि चुदाई के दौरान कम्बल अलग हो गया था, जिसका हम दोनों को ही होश नहीं था.
हम दोनों ने उस रात को बस में चुदाई का मज़ा दो बार लिया और एक दूसरे को चरम सुख दिया.
शादी के बाद पत्नी के अलावा दूसरी लड़की से मेरी पहली चुदाई थी, जिसमें मुझे बहुत मज़ा आया.
अगली सुबह दिव्या थोड़ा शर्मा रही थी लेकिन उसके चेहरे पर चुदाई का निखार साफ नजर आ रहा था.
मैं भी अपनी साली को चोदकर खुश था.
अगले दिन मैंने दिव्या को एग्जाम सेंटर पर छोड़ा और शाम को दुबारा बस से ही वापस आए.
उस दौरान एक बार फिर हमने एक दूसरे को चुदाई वाला ढेर सारा प्यार दिया.
सुबह हम दोनों वापस घर आ गए.
अपनी साली को चोद कर मैं बहुत खुश था.
जो मज़ा मेरी पत्नी के साथ नहीं आया, वो मुझे मेरी साली ने दिया.
अब मेरा एक बेबी होने वाला है, जिसकी देखभाल करने के लिए मेरी साली मेरे घर रहने आने वाली है.
शायद ज़िन्दगी के कुछ दिन तक उसके साथ का मजा मिलेगा.
फिर कब उसकी शादी हो जाएगी और उसके बाद वो मुझसे मिलना चाहेगी भी या नहीं … ये मैं नहीं जानता.
मैं अभी भी अपनी पत्नी से प्यार बहुत करता हूं. लेकिन वो मुझे समझती नहीं है, बस मुझे इसी बात का दुख है.
वैसे मेरी साली और