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✅ अल्ज़ाइमर रोग 

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अल्ज़ाइमर रोग एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर (Neurological Disorder) है जो मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाओं को नष्ट करता है। 

इसके कारण रोगी की शारीरिक और मानसिक स्थिति कमज़ोर हो जाती है उसे कुछ भी याद नहीं रहता है, उसकी निर्णय लेने की क्षमता घट जाती है, स्वभाव में लगातार परिवर्तन होता रहता है, आदि। 

प्रारंभ में ये लक्षण कम मात्रा में होते हैं लेकिन समय रहते इसका उपचार न कराया जाए तो यह गंभीर और असाध्य हो जाता है। 

55-60 वर्ष की आयु वर्ग के लोगों में अल्ज़ाइमर, डिमेंशिया (dementia) का प्रमुख कारण है। डिमेंशिया रोग मानसिक रोगों का एक समूह होता है जिसमें व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता घट जाती हैं। 

यह रोग मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार की टैंगल्स (Tangles) नामक प्रोटीन निर्माण के कारण होता है। 

उम्र बढ़ने के साथ साथ इसका खतरा और बढ़ जाता है लेकिन कभी-कभी दुर्लभ आनुवंशिक परिवर्तनों के कारण इसके लक्षण 30 वर्ष की आयु के लोगो में भी देखने को मिल जाते है। 

अल्ज़ाइमर एक असाध्य रोग है क्योंकि इसमें मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएँ मृत हो जाती हैं, जो पुनः जीवित नहीं हो सकती हैं। 

यू.एस. डिपार्टमेंट ऑफ़ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज़ के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अल्ज़ाइमर होने का खतरा दोगुना होता है।

अल्ज़ाइमर रोग का इलाज भारत के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका और चीन के बाद भारत इस रोग से सबसे ज्यादा पीड़ित है।


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✅ आज ही के दिन
✅ 13 मई 1998 : पोखरण परमाणु परीक्षण

#13thMay #TodayHistory #Pokhran #Knowledge






"WHO की घोषणा के बाद लॉकडाउन अधिकांश राष्ट्रों के लिए जरूरी था।"

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जब भी ऐसा अनुभव किया जाता है कि कोई रोग किसी देश की सीमाओं को लांग कर एक अंतरराष्ट्रीय महामारी का रूप ले सकता है तो वह (PHEIC) Public Health Emergency Of International Concern की घोषणा करता है। WHO द्वारा बनी हुई एक 'आपातकालीन समिति' इसकी घोषणा करती है। इस समिति में अलग अलग राष्ट्रों से उस महामारी के विशेषज्ञ होते हैं। उस राष्ट्र का एक सदस्य समिति में अवश्य होता है जहाँ से यह रोग फैला होता है।

2002 के सार्स (SARS) बीमारी के फैलाव के बाद महामारियों की गंभीरता को समझते हुए 2005 में 'अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिनियम' बनाए गए। सभी सदस्य राष्ट्रों को इन अधिनियमों की अनुपालना आवश्यक रूप से करनी पड़ती है।

2009 के बाद 6 बार PHEIC या पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा निम्नानुसार की जा चुकी है।

1. 2009 में स्वाइन फ्लू की घोषणा।

2. 2014 में पोलियो की घोषणा।

3. 2014 में ईबोला की घोषणा।

4. 2014-15 में जीका वायरस की घोषणा।

5. 2018-20 किवू ईबोला की घोषणा।

6. 2019-20 कोविड-19 की घोषणा।

इस तरह की महामारियों की घोषणा तीन महीने के लिए आपदा समिति करती है उसके तीन महीने बाद समिति फिर से उसका पुनरावलोकन करती है। यह समिति तदर्थ (ad hoc) ही होती है।

समिति ने 11 मार्च 2020 को यह माना कि कोविड-19 विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।

समिति को यह सुनिश्चित करना होता है कि समस्या वैश्विक है तभी इसकी घोषणा होती है। यही कारण है कि सीरिया में हुए केमिकल युद्ध, जापान में फुकुशिमा सयंत्र त्रासदी एवं हैती में कॉलेरा को वैश्विक आपदा घोषित नहीं किया।






यह रिसाव एलजी पॉलिमर्स रसायनिक संयंत्र में हुआ था


स्टाइरीन गैस कितनी खतरनाक?
- ये गैस प्लास्टिक, पेंट, टायर जैसी चीजें बनाने में इस्तेमाल होती है.
- शरीर में जाने से जलन, सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर सीधा असर होता है.
- स्टाइरीन गैस बच्चों, सांस के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक


✅ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा

हाल ही में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा को कोरोनावायरस (COVID-19) के उपचार के लिये एक आवश्यक दवा घोषित किया गया था, जिसके पश्चात् भारत सरकार ने इस दवा को अनुसूची H1 में शामिल कर कर दिया है,

👉स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और उसके फार्मूले के साथ बनने वाली अन्य सभी दवाओं को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम (Drugs and Cosmetics Act) की अनुसूची H1 में शामिल किया है। नियमों के अनुसार, अनुसूची H1 में शामिल दवा को पंजीकृत डाक्टर की अनुसंशा के बिना नहीं बेचा जा सकता है।

साथ ही विक्रेता के लिये डॉक्टर की उस पर्ची को ड्रग विभाग के पास भी जमा करना अनिवार्य होता है। यह अनुसूची वर्ष 2013 में प्रस्तुत की गई थी।

👉अभी तक इस सूची में एड्स समेत ऐसी गंभीर बीमारियों की दवाएँ शामिल की गई हैं, जिनका शरीर पर गंभीर दुष्प्रभाव होता है, किंतु मरीज़ की जान बचाने के लिये इन दवाओं का प्रयोग आवश्यक होता है।


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✅ केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन-

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नासा द्वारा इस दूरबीन को वर्ष 2008 में लाॅन्च किया गया थाI

इसका प्रयोग पृथ्वी के आकार के ग्रहों की खोज करने के उद्देश्य से किया गया I

केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन का नाम खगोलविद जोहान्स केपलर के नाम पर रखा गयाI

नासा द्वारा केप्लर अंतरिक्ष दूरबीन को वर्ष 2009 में प्रयोग में लाया गया तथा अक्टूबर 2018 में इसे सेवानिवृत्त कर दिया गया हैI

✔️पारगमन विधि-

एक तारे और पृथ्वी के बीच एक ग्रह के गुजरने को पारगमन (Transit) कहा जाता है।

✔️प्रकाश वर्ष-

यह एक खगोलीय माप हैI

इसका प्रयोग अंतरिक्ष में तारों और ग्रहों के बीच की दूरी का आकलन करने के लिये किया जाता है।


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वन लाइनर्स ऑफ द डे, 02 मार्च 2020

महत्वपूर्ण दिन

विश्व नागरिक सुरक्षा दिवस - 1 मार्च

शून्य भेदभाव दिवस - 1 मार्च

रक्षा

यह बल और सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय ने रक्षा एवं सामरिक अध्ययन विभाग में एक 'चेयर ऑफ एक्सलन्स' की स्थापना करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके एक शैक्षिक सहयोग में प्रवेश किया - भारतीय वायु सेना

राष्ट्रीय

1 मार्च 2020 को यहां ‘सामाजिक अधिकारिता शिवीर’ का आयोजन किया गया - प्रयागराज, उत्तर प्रदेश

भारतीय रेलवे ने इस स्थानक पर अपना पहला "रेस्टोरेंट ऑन व्हील्स" शुरू किया - आसनसोल

1 मार्च 2020 को यहां ‘पूसा कृषि विज्ञान मेले’ का उद्घाटन किया गया - दिल्ली

व्यक्ति विशेष

राजनीति के लिए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी पुरस्कार 2020 के विजेता - सर्बानंद सोनोवाल (असम के मुख्यमंत्री)

राज्य विशेष

यह राज्य सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने सस्ते दामों में कृषि उपकरण उपलब्ध कराने के लिए छः केंद्रों के निर्माण के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं - त्रिपुरा (मनु क्षेत्र, धलाई जिला में)

पहली बार, इस शहर में ‘पेंशन अदालत’ दिल्ली के बाहर आयोजित किया जा रहा है - जम्मू

सामान्य ज्ञान

अंतरराष्ट्रीय नागरिक सुरक्षा संगठन (ICDO) – स्थापना: वर्ष 1931; मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड

शून्य भेदभाव दिवस के लिए प्रतीक - तितली

संयुक्त राष्ट्र संयुक्त एड्स / एचआईवी कार्यक्रम (UNAIDS) - स्थापना: 26 जुलाई 1994; मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) - स्थापना: 16 जुलाई 1929; स्थान: नई दिल्ली

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) - स्थापना: 07 अप्रैल 1948; मुख्यालय: जिनेवा, स्विट्जरलैंड

संयुक्त राष्ट्र (UN) - स्थापना: 24 अक्टूबर 1945; मुख्यालय: न्यूयॉर्क शहर, अमरीका


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✅ प्रतिवर्ष 11 फरवरी को संयुक्त राष्ट्र द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की पहुँच से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दिवस (International Day of Women and Girls in Science) मनाया जाता है।

✔️पृष्ठभूमि

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 22 दिसम्बर 2015 को एक संकल्प पारित कर विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की पहुँच से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय दिवस का शुभारंभ किया गया। यह विज्ञान और प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की भूमिका का मूल्यांकन करेगा।
@science_notes_mn
इसका क्रियान्वयन यूनेस्को और यूएन वुमेन के सहयोग से कई अन्य अंतर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं के द्वारा सामूहिक रूप से किया जा रहा है।

✔️उद्देश्य

संयुक्त राष्ट्र द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं और बालिकाओं की समान पहुँच एवं भागीदारी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इसे प्रोत्साहित किया जा रहा है।

इसके अतिरिक्त यह लैंगिक अंतराल को कम करने तथा महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी कार्य करेगा।
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✅ क्या है कोरोनावायरस?

कोरोनावायरस, एक विशिष्ट वायरस फैमिली से संबंधित है। इस वायरस फैमिली में कुछ वायरस सामान्य रोगों जैसे- सर्दी, जुकाम और कुछ गंभीर रोगों जैसे श्वसन एवं आँत के रोगों का कारण बनते हैं।

कोरोनावायरस की सतह पर क्राउन (Crown) जैसे कई उभार होते हैं, इन्हें माइक्रोस्कोप में देखने पर सौर कोरोना जैसे दिखते हैं। इसलिये इसका नाम ‘कोरोनावायरस’ है।

✔️कोरोनावायरस सामान्यतः निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-

229E अल्फा कोरोनावायरस (Alpha Coronavirus)

NL63 अल्फा कोरोनावायरस (Alpha Coronavirus)

OC43 बीटा कोरोनावायरस (Beta Coronavirus)

HKU1 बीटा कोरोनावायरस (Beta Coronavirus

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