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अंकल अपना हाथ ऊपर ले जाकर मेरे जीन्स के हुक को … और चैन को खोला और जीन्स के अन्दर हाथ डालकर पैंटी के ऊपर सही मेरी मुनिया को रगड़ने लगे. मेरी गीली चुत उस मर्दाने स्पर्श को पाकर झरने की तरह बहने लगी. मैंने अपनी आंखें बंद की … और गर्दन पीछे ले जाते हुए मेरी सिसकारियां रोकने की कोशिश करने लगीं.

“आह … उउम्म..” मेरे मुँह से एक जोर की सिसकारी कमरे में गूंजी.

पता ही नहीं चला कि कब अंकल ने अपना हाथ मेरी पैंटी के अन्दर घुसा दिया. अंकल एक उंगली मेरी चुत में घुसा कर अन्दर बाहर करने लगे, तो अपने अंगूठे से मेरी मदनमणि को छेड़ने लगे. वह अपना पूरा अनुभव इस्तेमाल करते हुए मुझे उत्तेजित कर रहे थे.

अंकल अपनी उंगलियों का जादू मेरी चुत पर चला रहे थे कि तभी मुझे मेरी गर्दन पर गर्म सांसें महसूस हुईं … और अगले ही पल उनकी जीभ का ठंडा स्पर्श मेरी गर्दन पर हुआ.
“आह..” मैंने अंकल को कस कर गले लगा लिया और उनके सीने पर अपना सर रखते हुए छुपा लिया.

अंकल के साथ मेरी चुदाई की कहानी आपको कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल करके बताएं. इस सेक्स कहानी पर आपके मेल मेरी हिम्मत को बढ़ाने का काम करेंगे.


दो मिनट बाद वह हीरो सोफे पर बैठ गया, उस एक्ट्रेस ने अपने ठोकू का मूसल लंड सहलाते हुए उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और उसके लंड को मुँह में भर लिया. वो हीरो भी अपनी आंखें मूंदते हुए अपने हाथों से लड़की के सर को अपने लंड पर खींचने लगा.

थोड़ी देर बाद सीन बदला, हीरो ने उस लड़की को सोफे पर लिटाया और उसकी बुर पर अपना लंड घिसने लगा.

उफ्फ … लंड के चुत पर घिसने पर जिस्म में कितनी मस्ती चढ़ती है, इसका मुझे अनुभव था. उस सीन को देख कर मुझे मेरे एक्स बॉयफ्रेंड के लंड की याद आयी और मेरा हाथ अपने आप मेरी जीन्स पर चला गया. मैंने जीन्स का हुक और चैन खोली और पैंटी के ऊपर से ही बुर को सहलाने लगी.

चुत का गीलापन मेरी उत्तेजना को दर्शा रहा था. मैंने अपनी उंगलियां अपनी पैंटी के अन्दर घुसा दीं और रस टपकाती अपनी मुनिया को सहलाने लगी. उत्तेजना में मैं भूल गयी थी कि मैं कहां हूँ. जब जब मेरी उंगलियां मेरी चुत के दाने को टकरा जातीं, मेरी सिसकारियां निकल जातीं. सामने टीवी पर चल रही ब्लू फिल्म में उन दोनों की जोरदार चुदाई चालू थी.

मैं अपनी आंख मूंदकर अपनी मुनिया पर उंगलियाँ चलने लगी थी. तभी मेरे हाथ पर गीला स्पर्श महसूस हुआ. मैंने चौंक कर पीछे देखा, तो अंकल पीछे खड़े थे. उन्होंने सिर्फ टॉवेल पहना था और ऊपर से नंगे थे. उनका सीना बालों से भरा हुआ था.

मैं डर कर टीवी बंद करने गयी, तो हड़बड़ाहट मैं टीवी को अनम्यूट कर दिया.
टीवी से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाजें कमरे में गूंजने लगीं.

सामने उन दोनों की जोरदार धकापेल चुदाई चालू थी. मैंने फिर एक बार प्रयत्न किया और टीवी को बंद कर दिया. मैं शर्म से नीचे देख रही थी, अंकल भी कुछ बोल नहीं रहे थे.

“रिलैक्स … नीतू.” अंकल थोड़ी देर बाद बोले.
“अंकल … आए एम सॉरी … पापा को कुछ मत बताना … प्लीज!” मैं रोनी सूरत और आवाज निकालकर बोली.
“रिलैक्स … नीतू … शांत हो जाओ.” अंकल मुझे समझाते हुए बोले.
“अंकल … प्लीज … सॉरी.” मैं रोने लग गयी.
“तुम चिंता मत करो … मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा … तुम रोना बंद करो.” उनके समझाने पर मैंने अपनी आंखें पौंछ लीं.
“इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है, मैंने ही गलती से प्लेयर चालू छोड़ दिया. सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए.”

मैंने रोना बंद कर दिया था, पर अभी भी नीचे देख रही थी.
“और यह सब देख कर तुम्हारा एन्जॉयमेंट करना नार्मल है, तुम चिंता मत करो. मैं किसी से कुछ नहीं बोलूंगा. तुम बैठो, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाता हूँ.”

अंकल रसोई में चले गए, तो मैंने अपनी जीन्स ठीक की. पोर्न देखने की वजह से बदन मैं अभी भी उत्तेजना भरी हुई थी. बार बार मन में वही ख्याल आ रहे थे, तो विचार बदलने के लिए मैं सीमा के नोट्स पढ़ने लगी. तभी अंकल हॉल में आ गए.

“यह लो गरमागरम चाय … तुम्हें अच्छा लगेगा.”

अंकल ने मुझे कप दिया और मेरे पास ही बैठ गए. वह अभी भी सिर्फ टॉवल पहने हुए थे, सिर्फ बाल बनाकर आये थे. मेरे मन में अभी भी उत्तेजना और शर्म के भाव थे और उस वजह से मुझे चाय पीने की इच्छा नहीं हो रही थी.

अंकल ने अपनी चाय खत्म की और कप सामने के टेबल पर रख दिया.
“अरे पी नहीं अभी तक?” अंकल अपना हाथ मेरे कंधे पर रख कर कहा- जल्दी पी लो … ठंडी अच्छी नहीं लगेगी.”

उन्होंने अपना हाथ मेरे कंधे पर ही रखा था, रखा क्या … अपने पंजे से मेरे कंधे को लगभग दबोच लिया था. उनकी उंगलियां मेरे सीने के ऊपर टच कर रही थीं. उनके स्पर्श से मेरी धड़कनें बढ़ने लगी थीं, सांसें तेज चलने लगीं, हाथ थरथराने लगे. एक तो ब्लू फिल्म के वो गरमागरम सीन और दूसरा अंकल का स्पर्श मेरे बदन में कपकपी पैदा करने लगा. मेरे हाथों में पकड़ा हुआ कप भी हिलने लगा और चाय की कुछ बूंदें जीन्स के कपड़े से अन्दर होते हुए मेरी जांघों के ऊपर आ गईं.

“अरे संभल कर!” अंकल ने कप को अपने हाथों में पकड़ा और टेबल पर रख दिया. वो मेरी जांघों पर पड़े चाय को अपने हाथों से पौंछने लगे.

अंकल मेरी जांघ पर गिरी हुई पौंछ कम रहे थे और मेरी जांघ को सहला ज्यादा रहे थे. जीन्स के मोटे कपड़े से भी उनका स्पर्श मेरी जांघों पर उत्तेजना पैदा कर रहा था. मैं इन्कार करने की स्थिति में नहीं थी. उनका स्पर्श मेरी उत्तेजना और भड़का रहा था. मैं अपने होंठ दांतों तले दबाकर अपनी सीत्कार रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी.

मेरी तरफ से कुछ विरोध न होता देख कर अंकल अपना हाथ जांघों से ऊपर सरकाने लगे, तो मैंने झट से उनका हाथ पकड़ लिया.
“न..न..नहीं … अंकल … प्लीज..”
“नीतू … तुमको इसकी जरूरत है … नहीं तो तुम्हें आराम नहीं मिलेगा.”
ये कहते उन्होंने अपने हाथों पर से मेरा हाथ हटा दिया.

अब तक उन्हें अपने अनुभव से मेरे मन की स्थिति का अंदाजा लग चुका था. उत्तेजना की वजह से मेरे निप्पल खड़े हो गए थे. अंकल को रोकना मेरे लिए अब और मुश्किल होता जा रहा था.


मैं अपनी सहेली के घर नोट्स लेने गयी तो वो नहीं थी, उसके पापा थे. मैं नोट्स लेने सहेली के रूम में गयी और वापिस हाल में बैठ गयी. वहां मैंने टीवी चला लिया तो …

प्रिय पाठको, आपने मेरी पिछली कहानी
चूत चुदाई की हवस
पढ़ी. वो कहानी मेरी शादी के बाद की कहानी थी. आज मैं आपको अपनी कॉलेज की जिन्दगी में हुई

स्कूल खत्म करके मैंने कॉलेज में साइन्स में एड्मिशन ले लिया था. मेरे साथ सीमा, जो मेरी बचपन की सहेली है, उसने भी एड्मिशन लिया था.

उसके पापा और मेरे पापा साथ में ही काम करते थे. सीमा की फैमिली के लोग पास ही की सोसाइटी में रहते थे. हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थी तो एक दूसरे के घर जाना और रात को एक दूसरे के घर रुकना, हमारे लिए आम बात थी.

कॉलेज के हसीन दिन शुरू हो गए, बहुत सारे नए दोस्त भी बन गए थे, पर सीमा से मेरी दोस्ती कभी कम नहीं हुई.

इसी दौरान मेरी जिंदगी में एक लड़का आ गया. वह कॉलेज का सबसे हैंडसम लड़का था. मैं उसके प्यार में अंधी हो गयी थी. एक दो बार मैंने उसको अपना सब कुछ सौंप भी दिया था. हालांकि सीमा ने मुझे कई बार समझाया, पर मैंने उसकी एक भी नहीं सुनी. नितिन ने एक दो महीने मुझे भोगा और मुझे डंप कर दिया. मेरे उन मुश्किल दिनों में सीमा ने ही मुझे सहारा दिया और मुझे उस अंधेरे में से बाहर निकाला.

एक साल बीत गया और हमारी आगे की क्लास शुरू हो गयी. तीन महीने बाद हमारी दो तीन दिन की छुट्टी थी, तो मैं घर पर ही थी. मैं घर पर बैठे बैठे बोर हो रही थी तो मैंने मम्मी को बताया कि मैं सीमा के घर जा रही हूँ मुझे कुछ नोट्स लेने हैं. ये कह कर मैं घर से बाहर निकल आई.

सीमा के घर पर जाकर मैंने डोर बेल बजायी, पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला. मैं कुछ नाराज, कुछ मायूस होकर वापस जाने लगी, तभी घर का दरवाजा खुल गया. मैंने देखा कि सामने अंकल खड़े हुए थे. अंकल सिर्फ बनियान और टॉवल पहने हुए थे, बनियान से उनका चौड़ा सीना और मजबूत बाजू साफ दिख रहे थे. अंकल का पेट भी नहीं निकला था, शायद ये उनकी रोज की कसरत का असर था.

“अरे नीतू बेटा तुम!” अंकल बोले.
“अंकल … सीमा घर में है क्या?” मैंने पूछा.
“अरे वो तो मम्मी के साथ अपने मामा के घर गयी है.” अंकल ने बताया.
मैं चुप रही.

तो उन्होंने पूछा- कुछ काम था क्या?
“कुछ खास नहीं अंकल … नोट्स लेने थे.”
“अरे तो ढूंढ लो उसके रूम से … उसमें क्या बड़ी बात है.”

वैसे भी मैं उनके घर अक्सर आया करती थी, पर आज अंकल अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे. वैसे तो मेरा बदन गदराया हुआ है, क्लास की बाकी लड़कियों से मेरे मम्मे और कूल्हे कुछ ज्यादा ही बड़े हैं. अंकल भी बातें करते वक्त मेरे छाती के उभारों को चोरी चोरी घूर रहे थे.

“इट्स ओके अंकल … सीमा के आने के बाद में ले लूंगी.”
“अरे वह तो चार पांच दिन बाद आएगी … तुम चाहो तो उसके रूम में ढूंढ सकती हो.” अंकल बोले.

चार दिन मैं अपने पूरे नोट्स कम्पलीट कर लेती, इसलिए मैं नोट्स ढूंढने घर के अन्दर चली गई.

“तुम नोट्स ढूंढो … मैं शॉवर लेने जा रहा हूँ.”
यह बोलकर अंकल ने दरवाजा बंद किया और बाथरूम में चले गए.

मैं सीमा के कमरे में गयी, नोट्स ढूंढने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगा. मैं नोट्स लेकर हॉल में आ गई और अंकल के नहाकर वापस आने का इंतजार करने लगी. मैंने कुछ देर पेपर पढ़ा और फिर बोर होने के बाद रिमोट लेकर टीवी चालू किया.

टीवी पर का नजारा देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए. टीवी पर ब्लू फिल्म चालू थी, बाजू में सीडी प्लेयर चालू था. मतलब मेरे आने के वक्त अंकल ब्लू फिल्म देख रहे थे. मेरे आने के बाद उन्होंने हड़बड़ी में सिर्फ टीवी बंद कर दिया, पर सीडी प्लेयर बंद करना भूल गए.

मैंने भी झट से टीवी बंद कर दिया और बाथरूम की तरफ देखा, शॉवर की आवाज अभी भी आ रही थी.

मैंने कुछ पल ही फ़िल्म देखी थी, पर मेरा मन और देखने के लिए मचलने लगा था. अंकल ने पहले से ही सब दरवाजे खिड़कियां बंद करके रखे थे. मैं बाथरूम के पास गई और शॉवर की आवाज से अंदाज लगाया कि उन्हें और समय लगने वाला है. सोफे पर बैठते हुए मैंने थरथराते हुए हाथों से टीवी चालू किया, तो वो फ़िल्म फिर से शुरू हो गई.
मैंने टीवी की आवाज म्यूट कर दी.

फ़िल्म में एक आदमी एक लड़की की बुर चूस रहा था. नितिन के साथ किए हुए सेक्स में, उसने कभी मेरी बुर नहीं चाटी थी. वह आदमी अब उस लड़की की टांगों को फैलाते हुए अपनी जीभ उस लड़की की चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

यह सीन देख कर मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगीं. वैसे तो मैंने एक दो बार ब्लू फिल्म देखी थी, पर अकेले में देखी थी. पर आज की पोजीशन अलग थी. इस समय अंकल बाथरूम में थे और मैं उनके हॉल में बैठ कर ब्लू फिल्म देख रही थी. मैं तसल्ली के लिए एक बार और बाथरूम के पास जाकर चैक करती रही, शॉवर की आवाज अभी भी आ रही थी.






अब मैं पूजा भाभी की पैंटी पर किस करने लगा। मुझे भाभी की पैंटी पर किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
भाभी लगातार मदहोश हो रही थी।

अजब गजब नज़ारा था यारो … मैं पूजा भाभी को मसल रहा था और पूजा भाभी की मखमली चूत पर किस कर रहा था।

कल जिस पूजा भाभी को मैंने जब चोदा था तो भाभी ने बड़ी मुश्किल से मुझे चूत चोदने दी थी लेकिन आज भाभी खुद आगे होकर बड़े प्यार से चूत पर किस करने दे रही थी।

चूत कोई भी हो; जब वो पहली बार आपके लंड से चुदती है तो थोड़े बहुत नखरे तो ज़रूर दिखाती ही है.
लेकिन जब एक बार आपका लंड चूत को पेल देता है तो फिर चूत के सारे नखरे खत्म हो जाते है।

आज पूजा भाभी के सारे नखरे खत्म हो चुके थे। आज मैं इस मस्त शानदार माल को जी भरकर चोदना चाहता था।

पैंटी के ऊपर से ही भाभी की मस्त शानदार चूत को किस करने के बाद अब मैंने भाभी की हरे रंग की शानदार पैंटी को खींचकर नीचे सरका दिया।
अब भाभी की चूत नंगी हो चुकी थी।

आह! क्या मखमली जानदार, शानदार चूत है भाभी की!
कसम से यारो … भाभी की चूत को देखकर मेरे तो मुंह में ही पानी आ गया।

पूजा भाभी की चूत के बड़े बड़े दोनों किनारों के चारों ओर घनी झांटों का एक जंगल था और जंगल के बीच में नमकीन पानी की एक छोटी सी झील थी।
आज झील में पानी की बूंदें चमक रही थी।

भाभी की नंगी चूत को देखकर मेरे लन्ड को सौ वाट का करंट सा लगा।

अब मैंने मेरा मुंह भाभी की मखमली जानदार शानदार चूत पर मार दिया और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए भाभी की चूत को चूसने लगा।
मैं ज़ोर ज़ोर से भाभी की चूत को चाट रहा था।

भाभी की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी।
मेरे इस खतरनाक वार को भाभी ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाई।
थोड़ी ही देर में मैंने भाभी को ढेर कर दिया और भाभी की चूत ने मेरे मुंह को नमकीन पानी से भर दिया।
मैं भाभी की चूत के पूरे नमकीन पानी को सबड़ सबड़ कर पी गया।


थोड़ी ही देर में मैंने भाभी के होंठो को अच्छे से चूस डाला और बोबों को मसल दिया।

अब मैंने भाभी से कहा- भाभी, बहुत दिन हो गए हैं आज तो मैं आपको नहीं छोडूंगा।
तो भाभी ने कहा- नहीं, अभी नहीं जब कोई नहीं होगा तब कर लेना।
यह सुनकर मैं खुश हो गया कि अब फिर से पूजा भाभी की मखमली चूत चोदने को मिलेगी और साथ में मस्त गांड भी।

मैंने भाभी के पेटीकोट में हाथ घुसाकर भाभी की चूत को मसल डाला और भाभी को छोड़ दिया।
भाभी की गांड मारने का इंतजार करते करते तीन चार दिन निकल गए लेकिन अभी भी पूजा भाभी की गांड मारने का मौका नहीं मिल रहा था।

आखिर वो दिन आ ही गया जिस दिन मुझे पूजा भाभी की गांड मारने का मौका मिला।

आज बड़े और छोटे मामाजी और दोनों मामीजी को किसी कार्यक्रम में शामिल होने दूसरे गांव में जाना पड़ा।
घर पर सिर्फ मामाजी, सीमा मामीजी, भैया, अर्चना, पूजा भाभी, मैं और बच्चे बचे थे।

जैसे तैसे रात निकली।
जब सुबह हुई तो मामाजी के साथ दोनों भैया खेत पर चले गए।

मौका देखकर मैंने पूजा भाभी को आंख मार दी। पूजा भाभी समझ चुकी थी कि आज मैं उन्हें चोदने वाला हूँ।

खाना तैयार कर उर्मिला मामीजी के साथ अर्चना भाभी भी खेत पर चली गई। सभी बच्चे स्कूल जा चुके थे। अब घर पर मेरी दोनों मस्त शानदार माल ही बची थी।

मेरा लन्ड पूजा भाभी की गांड मारने के लिए उछलने लगा।

थोड़ी देर बाद पूजा भाभी नहाकर चुदाने के लिए तैयार हो चुकी थी।
पूजा भाभी ने मस्त गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें भाभी मेरे लन्ड के ऊपर कहर ढा रही थी।

थोड़ी देर बाद मैंने सीमा मामीजी को बाड़े में जाने का इशारा कर दिया।

मेरा इशारा मिलते ही मामीजी पानी की बाल्टी लेकर बाड़े में चली गई।

पूजा भाभी बाथरूम में कुछ कपड़े धो रही थी. तभी मैं बाथरूम में गया और पूजा भाभी को कमरे में चलने के लिए कहने लगा।

भाभी कहने लगी- थोड़ी देर रुक … मैं बाकी बचे कपड़े धो लेती हूं।
मैंने कहा- भाभी इतना टाइम नहीं है, ये काम तो आप बाद में भी कर लेना!

लेकिन भाभी तो कपड़े धोने में लगी हुई थी.
तभी मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और बाथरूम से खींचकर लाने लगा।

भाभी कहने लगी- अरे तू ये क्या कर रहा है, मैं चल रही हूं ना!
ये कहकर भाभी फिर से कपड़ों को रगड़ने लगी।

यह देखकर मुझे गुस्सा आ गया। अब मैंने भाभी का हाथ पकड़ा और खींचकर कमरे में लाने लगा।

भाभी कहने लगी- मुझे हाथ तो धोने दे।
मैंने कहा- भाभी, सब कुछ मैं धो दूंगा।

पूजा भाभी के हाथों में अभी भी सर्फ लगा हुआ था।

थोड़ी ही देर में मैं भाभी को लेकर कमरे में पहुंच गया। मैंने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

दरवाजा बंद करते ही मेरी हवस उफान पर आने लगी। भाभी गुलाबी साड़ी पहनकर मेरे सामने खड़ी हुई थी। मेरा लन्ड भाभी की गांड मारने के लिए तड़प रहा था।

मैंने भूखे शेर की तरह भाभी को बांहों भरा और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए भाभी के गुलाबी पंखुड़ियों के जैसे होंठों को चूसने लगा।
भाभी के होंठों को चूसते चूसते मैंने भाभी को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया।

अब मैं बुरी तरह से भाभी के होंठों का रसपान कर रहा था। भाभी भी धीरे धीरे मेरे प्यासे होंठों को चूस रही थी।

थोड़ी ही देर में मैंने भाभी के रसीले होंठों को चूस डाला।

तब मैंने भाभी की साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया।
पल्लू नीचे गिरते ही भाभी का ब्लाउज मेरे सामने आ गया जिसमें भाभी के रसदार पपीते जैसे बोबे दबे हुए थे।

मैंने ब्लाउज के ऊपर से भाभी के बड़े बड़े बोबों को बुरी तरह से मसल डाला। मुझे भाभी के बोबों को मसलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
पूजा भाभी आह ओह उह ओह करने लगी।

क्या कमाल के बोबे थे भाभी के … कसम से यारो … मज़ा आ गया।

आज भाभी चुपचाप खड़ी होकर बोबों को मसलवा रही थी और मैं भी पूरी शिद्दत से पूजा भाभी के बोबों को मसल मसलकर निचोड़ रहा था।

बोबों को अच्छी तरह से निचोड़ने के बाद अब मैं थोड़ा नीचे सरका और भाभी के गोरे चिकने पेट को चूमने लगा।
मुझे भाभी के पेट को चूमने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

अब भाभी सिसकारियां भरने लगी।
मैं भाभी के पैरों में आ गया और पूजा भाभी की एक टांग को मेरे घुटने पर रख लिया।

मैंने भाभी के पेटीकोट और साड़ी को ऊपर उठा दिया। अब भाभी की गोरी चिकनी टांगें मेरे सामने थी।

मैं भाभी की नारियल के पेड़ के जैसी मस्त लंबी टांगों को चूमने लगा। मुझे भाभी की टांगों को किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
अब भाभी धीरे धीरे मदहोश हो रही थी।

मैं पूजा भाभी की जांघों को किस करता हुआ भाभी की चूत तक पहुंच गया। अब मेरा मुंह भाभी की दोनों टांगों के बीच में रखी हुई चूत पर था।
आह … क्या मस्त खुशबू आ रही थी भाभी की चूत से!
मैं तो पूजा भाभी की मस्त शानदार चूत की खुशबू से ही पागल हो रहा था।

भाभी ने हरे रंग की पैंटी पहन रखी थी। भाभी की पैंटी को देख देखकर मेरा लन्ड बेकाबू हो रहा था। अब मेरा लन्ड तनकर मूसल बन चुका था।


देसी नंगी भाभी की कहानी में पढ़ें कि मैं अपने ममेरे भाई की पत्नी को चोद चुका था. अब मैं उसकी गांड का मजा लेना चाहता था. इसके लिए मैंने क्या किया?

नमस्कार मित्रो, मेरा नाम रोहित है। मैं 22 साल का हूं। मेरा लन्ड 7 इंच का है जो किसी भी चूत की गहराइयों में समाता हुआ चूत के परखच्चे उड़ा सकता है।

मित्रो, मुझे पकी पकाई चूतें चोदना बहुत ज्यादा पसंद है।
मुझे भाभियां, चाचियाँ, आंटियाँ जैसी चूतें बहुत ज्यादा अच्छी लगती हैं क्योंकि ये चूतें एकदम मस्त माल होती हैं जिन्हें चोदने के लिए मेरा लन्ड हमेशा तैयार रहता है।

मित्रो, इन चूतों में भरपूर माल होता है जैसे बड़े बड़े दूध से भरे हुए बोबे, मखमली चूत, मदमस्त गांड, मादक जिस्म।
जब लंड को ऐसा कोई मस्त माल मिल जाता है तो फिर लंड पूर्ण तृप्त हो जाता है।

मेरी हमेशा से ही एक आदत रही है कि मैं ऐसी मखमली चूतों को जमकर चोदता हूं।

अब तक मैं सीमा मामीजी, सरिता मामीजी, निशा भाभी और पूजा भाभी की मस्त जवानी से भरपूर चूतों का पूरा मज़ा ले चुका हूं।
इन चूतों को मैंने जमकर चोदा है। ये चूतें भी चुदकर मेरे लन्ड की दीवानी हो चुकी है।
अब तक मैं इन सभी चूतों को चोद चोदकर भोसड़ा बना चुका हूं.

लेकिन मुझे एक बात का अफसोस रहा कि मैं किसी भी माल की गांड नहीं मार पाया।

अब मेरे लन्ड को गांड मारने की इच्छा होने लगी; तब मैंने गांड मारने की सोची।

मैं मामाजी के यहां था और यहां मुझे भरपूर चूत चोदने का मौका मिल रहा था.
या यों कहें कि मुझे यहां चूत चोदने का चस्का लग चुका था।

मैंने अपनी पिछली कहानी में आपको बताया था कि किस तरह मैंने सीमा मामीजी की सहायता से पूजा भाभी को चोदा था।

इस समय मुझे मामाजी के यहां सीमा मामीजी और पूजा भाभी की चूत मिल रही थी।
अब तक मैं सीमा मामीजी को तीन चार बार चोद चुका था और पूजा भाभी को केवल एक बार ही चोद पाया था।
मेरे लन्ड को अब एक मदमस्त शानदार गांड की जरूरत थी।

वैसे तो सीमा मामीजी और पूजा भाभी दोनों ही एकदम मस्त माल थी लेकिन मुझे ये समझ में नहीं आ रहा था कि सबसे अच्छी गांड किसकी है?

तभी मैंने नजर मारकर देखा तो मुझे पूजा भाभी की गांड बहुत ज्यादा शानदार नजर आई।
अब मैंने पूजा भाभी की गांड मारने की सोची।

पूजा भाभी 29 साल की एकदम मस्त जिस्म की मालकिन है। पूजा भाभी का साइज 34 – 30 – 32 की है जो किसी भी लंड को पूजा भाभी को मसलने के लिए मजबूर कर दे।

भाभी एक शानदार मस्त माल है जिनकी मस्त जवानी का मजा मैं ले चुका था। मुझे पूजा भाभी को चूसने, चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आया था।

पूजा भाभी की गांड बहुत ज्यादा उठी हुई है जिस पर बहुत ज्यादा चर्बी चढ़ी हुई है। पूजा भाभी के चूतड़ बहुत बड़े बड़े हैं.
जब पूजा भाभी चलती है तो उनके चूतड़ बहुत ज्यादा मटकते हैं।

अब मैंने सोच लिया था कि बस अब पूजा भाभी की गांड का गोदाम बनाना है.
लेकिन बस एक बात का डर था कि पूजा भाभी क्या गांड देने को तैयार होगी?
खैर डर के आगे ही तो जीत होती है।

मैंने सोच लिया था जो होगा सो देखा जायेगा लेकिन पूजा भाभी की गांड को ज़रूर ठोकना है।

मैं सीमा मामी के पास गया और गांड मारने के लिए कहने लगा।
मेरी बात पूरी होती … उससे पहले ही सीमा मामीजी कहने लगी- सोचना भी मत, जो मिल रहा है वहीं बहुत है। ज्यादा ज़िद करेगा तो वो भी नहीं दूंगी।

तभी मैंने ताव मैं आकर सीमा मामीजी के पेटीकोट में हाथ घुसाकर चूत को मसल दिया।
मेरे इस हमले से मामीजी को एकदम से करंट सा लगा और मामीजी चिहुंक उठी।

तब मैंने मामीजी से कहा- मैं आपकी गांड मारने की बात नहीं कर रहा हूं. मैं पूजा भाभी की गांड मारने की बात कर रहा हूं, समझी मेरी प्यारी मामीजी!

मामीजी ने कहा- तब तो ठीक है, पूजा की मार लेना। मुझे कोई परेशानी नहीं है। बता मुझे क्या करना है?
मैंने कहा- मामीजी, बस किसी भी तरह आपको गांड मारने के लिए मौका तैयार करना है।
तो सीमा मामी ने कहा- तू, चिंता मत कर मैं सब कर दूंगी।
मैंने मामीजी को किस किया और बोबों को दबाकर छोड़ दिया।

पूजा भाभी चूत चुदवाने के बाद मुझसे नजरें नहीं मिला पा रही थी शायद उन्हें शर्म आ रही थी।

भाभी की चूत चोदे हुए मुझे 5 दिन हो चुके थे लेकिन फिर से पूजा भाभी को चोदने का मौका नहीं मिल रहा था।

एक दिन बड़ी मामीजी थोड़ी देर के लिए घर से बाहर गई थी। तभी मैं मौका देखकर पूजा भाभी के पास गया।

उस समय पूजा भाभी कपड़ों को सम्हाल रही थी। भाभी की गांड मेरी ओर थी।

मैंने अन्दर घुसकर तुरंत भाभी को पीछे से दबोच लिया और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए भाभी के रसदार बोबों को मसलने लगा।
भाभी मेरे इस वार से एकदम चौंक गई और अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी।

तभी पूजा भाभी पलट गई और कहने लगी- छोड़ो, सब यही है कोई आ जाएगा।
मैंने कहा- कोई नहीं आयेगा!
और भाभी के रसीले होंठों को चूसने लग गया।

भाभी ना नू करने लगी।






उसके बाद एक बार आदित्य से चुदाई करवाने के दौरान मेरी दीदी आ गयी थी. उस दिन दीदी को मेरे और आदि के बारे में पता चला कि हम दोनों का सेक्स का रिश्ता है.

फिर हम तीनों ने ग्रुप सेक्स किया था. मुझे वो दिन आज भी याद है जब मैंने और दीदी ने ग्रुप सेक्स किया था. वो कहानी मैं फिर कभी सुनाऊंगी.

अब तक मैं 7 लोगों से चुद चुकी हूं. मेरी चुदाई का ये सिलसिला अभी भी जारी है.

मैं आशा करती हूं कि मेरी पहली चुदाई की ये सच्ची कहानी आप लोगों को पसंद आई होगी.
अगर आप इस हॉट बुर की सेक्स कहानी के बारे में कुछ कहना चाहते हैं या पूछना चाहते हैं तो मुझे आपके ईमेल्स का इंतजार रहेगा.


उस पोर्न फिल्म में लड़की के हाथों को बेड के सिरहाने से बांधा गया था और लड़का उसको ताबड़तोड़ चोद रहा था.

उसने मुझे ऐसा करने को कहा और मैंने उसे कुछ कपड़े दिए जिससे उसने मेरे हाथ बेड से बांध दिए.
अब वो अपनी मर्ज़ी का मालिक था.

उसने किचन से सरसों का तेल लिया और मेरे पास ले आया.

वो अपने लन्ड पर सरसों का तेल लगाने लगा.
उसके बाद उसने मेरे मुंह पर कपड़ा बांधा. मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था कि मेरे साथ ये सब हो रहा है और मुझे एक अलग ही रोमांच मिल रहा था.

उसने मेरी कमर के नीचे तकिया लगा दिया जिससे मेरी बुर ऊपर उठ गई.
अब उसने मेरी बुर पर तेल लगा दिया और अपनी एक उंगली मेरी बुर पर घुमाने लगा.

धीरे धीरे उसने पूरी उंगली अंदर डाल दी और उंगली से चोदने लगा.

काफ़ी देर तक एक उंगली से करने के बाद जब उसने दो उंगली साथ डालीं तो मैं बिल्कुल तड़प गई.

मेरी रोएंदार बुर बहुत टाइट थी इसलिए अब मेरी आंखों से आंसू आ गए.
मगर आदित्य रुका नहीं और अपनी दो उंगली अंदर बाहर करने लगा.

अब मुझे पता चला कि उसने मेरे हाथ और मुंह क्यों बांधे हुए थे.

ऐसा लग रहा था कि वो तो मानो आज मेरी बुर खा ही जाएगा और वो दो उंगलियों से मुझे चोदने लगा.

फिर मैं झड़ गई और थक कर ढीली पड़ गई।

उसके बाद उसने हॉट बुर पर तेल लगाया और अपना लन्ड मेरी बुर पर रख कर एक धक्का दिया.
मगर उससे उसका लन्ड अन्दर नहीं गया और बाहर ही फिसल गया.

उसके बाद उसने फिर से अपना लन्ड मेरी बुर पर रखा और बहुत तेज़ से धक्का दिया.

इस बार मेरी तो जैसे जान ही निकल गई क्योंकि अब उसका टोपा मेरी बुर में था.
मैं अब रोए जा रही थी और वो मेरे आंसू पौंछते हुए बोला- घबराओ नहीं जान … अब बहुत धीरे करूंगा.

फिर वो मेरे ऊपर लेट गया और धीरे धीरे धक्के देने लगा.

मुझे दर्द हो रहा था लेकिन तब वो धीरे धीरे ही धक्के मार रहा था और मेरे ऊपर लेट कर मेरी चूचियों से खेलने लगा.

वो मेरी चूचियों को चूसने और दबाने लगा. ऐसे ही 5 मिनट तक करने के बाद एक जोरदार झटके के साथ उसका लन्ड 4 इंच तक मेरी बुर के अंदर चला गया.

इस प्रहार से मैं तो बेहोश ही हो गई.
मेरी सील टूट गई और खून निकलने लगा जिससे उसका लन्ड खून से रंग गया.
मुझे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा.

मुझे बेहोश होती देख कर वो रुका और मुझे होश में लाने लगा.

उसका लन्ड अभी भी अंदर ही था.

जब मुझे थोड़ा होश आया तो मुझे उस पर गुस्सा आया.
मैंने उसको धीरे करने को कहा.

मैं उसको पीछे हटाने लगी लेकिन उसने मुझे चोदना शुरू कर दिया.

वो मुझे किस करने लगा और मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया.
5 मिनट धक्के लगने के बाद मुझे भी अब मज़ा आने लगा.

उसके लन्ड पर मेरी सील टूटने से खून लग गया था लेकिन जो चरमसुख मुझे और आदित्य को मिल रहा था वो मैं लफ्जों में नहीं बता सकती.

फिर मुझे भी बहुत मज़ा आने लगा और मैं भी नीचे से कमर उठा उठा कर चुदवाने लगी.

हम दोनों पूरे जोश में आ गए.

20 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई करने के बाद वो झड़ने वाला था.

तब मैंने उसे बाहर निकालने को बोला. उसने अपना लन्ड बाहर निकाला और गर्मा गर्म वीर्य की धार मेरी चूचियों पर गिरा दी.
वो मेरे ऊपर ही लिपटता हुआ लेट गया.

उसने मेरे मुंह की पट्टी खोल दी और मुझे किस करने लगा.

करीब आधे घंटे के बाद हम दोनों फिर जोश में आए और मैंने उसका लन्ड खड़ा किया.

इस बार उसने मुझे दीवार से सटा दिया और मुझे अपनी गोद में उठा लिया.
उसके बाद मैंने उसका लंड पकड़ कर अपनी बुर पर रखा और उसने धक्का देना शुरू किया.

10 मिनट में इस पोजीशन में चुदने के बाद मैंने उसे बेड पर लेटने को कहा और मैं उसके ऊपर बैठ गई.

लंड पर बैठकर मैंने उसके लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी बुर पर लगा लिया.
बुर पर लंड को लगाकर मैं बैठ गयी और उसका लंड मेरी बुर में उतर गया.

उसके लंड को बुर में लेने के बाद मैं कूदने लगी.
अब मैं खुद को ही उसके लंड से चोद रही थी. मुझे अब बहुत मजा आ रहा था.
लंड का मजा वाकई में ही सुखदायी होता है.

15 मिनट तक कूदने के बाद मैं थकने लगी लेकिन अब झड़ने के करीब थी.
मैंने आदित्य को 69 पोजिशन में आने को कहा.

वो झट से उठा और मैंने उसके मुंह पर बुर लगा दी.

उसने मेरी हॉट बुर में जीभ डाली और एक दो बार बुर में जीभ चलाने के बाद ही मेरी बुर ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया.
उसका लंड मेरे मुंह में था और उधर से उसके लंड से भी वीर्य की धार मेरे मुंह में आ गिरी.

उसका वीर्य मेरे मुंह में आ गया लेकिन मैंने उसको अंदर नहीं लिया.
मैंने वीर्य को बाहर थूक दिया.

फिर हम उठे और दोनों एक दूसरे से लिपट कर सो गए.

उसने उस दिन मुझे तीन बार चोदा. उसी दिन उसके बहुत जिद करने पर मैंने उसका लन्ड दोबारा भी चूसा.

दोबारा करीब 15 मिनट चूसने के बाद उसने अपना वीर्य मेरे मुंह में ही डाल दिया जिसे मैं पी गई.
मगर उसका स्वाद नमकीन और बहुत अच्छा था.
मुझे मजा आया.


तो दोस्तो, 10 मिनट बाद मेरी चीख और पानी दोनों निकल गए. वो पहली बार था जब मैंने पानी निकालने के बाद उसे अपनी उंगली से पीया था.
उसका वो नमकीन स्वाद मुझे अभी भी याद है.

अब मेरा भी मन सेक्स के लिए तरसने लगा था और जल्द ही वो मौका आया.
मैंने दीदी से आदित्य को मिलवाया.

दोनों ही एक नम्बर के नाटकबाज थे. दीदी सती सावित्री जैसे दिखा रही थी और आदित्य इतना शरीफ बन रहा था कि नजरें तक नहीं उठा रहा था.

खैर, मेरा मकसद था आदित्य को अपने रूम में एंट्री देना.
एक बार जब उसने आना शुरू किया तो फिर वो अक्सर आने लगा.

अब दीदी को उसके आने से कोई दिक्कत नहीं थी. हमारा एक दूसरे के घर आना जाना होने लगा।

फिर वो दिन आ ही गया जब मुझे सील टूटने में होने वाले मीठे दर्द का अहसास हुआ.

गर्मी का मौसम था. मैंने आदित्य को अपने रूम पर बुलाया हुआ था.
उससे कुछ पढ़ाई से संबंधित सवाल पूछने थे. वो दोपहर का वक़्त था.

मैंने सोच रखा था कि अगर आज आदित्य आगे नहीं बढ़ा तो मैं खुद उससे सेक्स के लिए कहूंगी.
मगर ऐसा हुआ नहीं और शुरूआत उसने ही की.

गर्मी की वजह से मैंने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी और फ्रॉक और टॉप पहन कर बैठी थी.
आदित्य आया तो मैंने दरवाजा खोला.

उसने मुझे देख कर आंख मारी और बोला- आज बहुत गर्मी है. उसकी नजर बार बार मेरे निप्पलों पर जा रही थी.
फिर हमने बेड पर जाकर पढ़ाई शुरू की लेकिन फिर लाइट भी चली गई.

फिर दीदी ने हम दोनों को खाना खाने के लिए बुलाया और हमारा खाना लगाया.
खाना खाने के बाद ज्यादा गर्मी लगने लगी.

उसके बाद दीदी अपनी कोचिंग क्लास चली गई और हम दोनों ने फिर पढ़ाई शुरू की.

गर्मी की वजह से हम दोनों पसीने से लथपथ हो गए और मेरे टॉप पर से मेरे निप्पल ज्यादा झलकने लगे.

आदित्य मेरे निप्पलों को घूरे जा रहा था और उसने गर्मी का बहाना बनाकर अपनी टीशर्ट उतार दी.

उसने अन्दर बनियान नहीं पहनी थी तो मैं उसकी तरफ नहीं देख रही थी.
मेरी निप्पल देखकर उसके लोअर में टेंट बनने लगा था.

अब उसने मुझसे कहा- एक बात बोलूं?
ये कहकर उसने मुझे बेड पर धकेल दिया. वो मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे एक स्मूच किया और बोला- मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं. ये बात मैं कई दिनों से बोलना चाहता था लेकिन मौका नहीं मिला।

मैं उसे अपने ऊपर से हटाने की नाकामयाब कोशिश करने लगी लेकिन मज़ा तो मुझे भी आ रहा था क्यूंकि मुझे जो चाहिए था मुझे आज मिलने वाला था।

मगर मैं नाटक करने लगी और बोली- मैं वर्जिन हूं. मुझे अभी ये सब नहीं करना!

वो मुझे मनाने लगा और विश्वास दिलाने लगा कि वो ज्यादा जोर से नहीं करेगा.

उसने मेरे गले पर किस किया और मेरे होंठों को अपने होंठों में भरकर किस करने लगा और लगभग 20 मिनट तक हमने किस की.

फिर उसने मेरी टॉप को निकाल दिया.
मेरे चूचियों को देखकर वो मदहोश हो गया और चूचियों को जोर से दबाने और चूसने लगा.

मेरे निप्पल टाइट हो गए और उसने निप्पलों को दांतों से काटा और चूसने लगा.

मैं तो जैसे अब नशे में खोती हुई जा रही थी.

ये उसने 20 मिनट तक किया.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी आहें भर रही थी- आह्ह … आह्ह … आदि … आह्ह … ओह्ह … आदि … हाय … आह्ह।

मेरी आंखों में बस सेक्स भरा था और तभी उसने अपनी लोअर और अंडरवियर उतारनी शुरू की.
वो नंगा हो गया और उसका 7 इंच मोटा लंड मेरे सामने तनकर खड़ा था.

मैंने कहा- ये तो बहुत मोटा है. अंदर नहीं जाएगा.
मैं वापस बाथरूम की तरफ जाने लगी.

तभी उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और बेड पर लाकर पटक दिया.
फिर उसने मेरी फ्रॉक और पैंटी एक झटके में निकाल दी।

अब वो मुझे बेड के कोने में लाकर खुद नीचे बैठ गया और मेरी बिना बालों वाली रोएंदार गुलाबी रसीली बुर को अपने होंठों से चूमने चाटने लगा.
मैं तो पागल सी होने लगी.

पहली बार मेरी बुर को जीभ का स्पर्श मिला था.
अब तक मैंने उंगली से बुर सहलाई थी लेकिन जीभ का जो आनंद था वो लाजवाब था.
ऐसा होते ही मैं तो मानो स्वर्ग में पहुंच गई और तभी मैंने उसका सिर पकड़ कर अपनी बुर पर दबा लिया.

फिर उसने भी जोर जोर से अपनी जीभ को मेरी बुर में घुमाना शुरू कर दिया. वो इतना अच्छा चाटता था कि मानो उसे इसी काम के लिए बनाया गया हो.

ऐसे ही 15 मिनट तक करने के बाद मैं उसके मुंह पर ही झड़ गई और उसने मेरी बुर का पानी अपने मुंह में भर लिया.

फिर मुझे किस करने के साथ मेरी बुर का पानी अपने मुंह से मेरे मुंह में देने लगा.
वो बहुत ही अच्छा अनुभव था. अब वो मेरी जीभ से खेलने लगा और उसे चूसने लगा।

मेरी बुर और मैं अब तड़पने लगे और मैंने उससे बोला- अब मुझे और मत तरसाओ प्लीज … मैं तुमसे कब से चुदवाने के लिए तड़प रही थी. मेरी सील आज तोड़ दो।

ये सुनते ही वो खुशी से फूल गया कि आज सील पैक बुर मिलने वाली है और बुर खुद ही अपनी सील तुड़वाने के लिए तैयार है.

उसने मुझे बेड पर लिटा लिया.
फिर उसने मेरे लेपटॉप को ओपन किया और पोर्न फिल्म चला दी.


हॉट बुर की सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी चढ़ती जवानी में मेरी बुर को लंड की जरूरत महसूस हुई. मैंने दीदी की चुदाई वीडियो भी देखी. मैंने बुर की प्यास कैसे बुझवाई.

सभी पाठकों को मेरा नमस्कार. मैं स्नेहा 21 साल की एक जवान लड़की हूं और गदराए बदन की मालकिन हूं।

मुझे ऐसा लगता है कि सभी को अपनी पहली चुदाई हमेशा याद रहती है, तो आज मैं अपनी पहली चुदाई का अनुभव आप सभी के साथ बांटना चाहती हूं।
यह मेरी हॉट बुर की पहली सेक्स कहानी है इसलिए आप सभी मुझसे हुई गलती को माफ करें.

बात उस समय की है जब मैं जवानी को छू चुकी थी यानि कि जब मैं 19 साल की होने को थी.

इस कहानी को लड़की की सेक्सी आवाज में सुनें.

मेरे घर में मेरी मां, पापा और हम दो बहनें और एक भाई है. बड़ी बहन शुरूआत से ही शहर में रूम लेकर पढ़ाई कर रही थी. पापा ने पढ़ाई के लिए मुझे भी गांव से शहर दीदी के पास भेज दिया।

शहर आने के बाद मैंने कॉलेज में एडमिशन लिया और तैयारी के लिए कोचिंग में दाखिला ले लिया.
वहीं पहली बार मेरी मुलाकात मेरी सील तोड़ने वाले मेरे आशिक़ से हुई.

उसका नाम आदित्य था. उसका कद 5.10 फीट था और लंड 7 इंच लम्बा और करीबन 3 इंच मोटा था. जबकि मेरी फिगर साइज 32-26-33 का था.
मेरी पढ़ाई शुरू होने के बाद में हम दोनों की दोस्ती बढ़ गई और हम अक्सर पढ़ाई के बाद साथ में अपने रूम पर लौटते.

उसका रूम भी हमारी ही कॉलोनी में था जहां हम रहते थे. बात है 3 साल पहले की जब आदित्य को पहली बार मैंने हवस की नजर से अपनी ओर देखते हुए पाया था.

कारण भी आपको बता देती हूं. दरअसल उस दिन मैंने एक बहुत ही टाइट जीन्स पहनी हुई थी और वो मेरी गांड में ऐसी फंसी थी कि उसने मेरी बुर को भी अलग से उभार दिया था.

उस दिन मुझे कदम रखने में दिक्कत हो रही थी. मेरी बुर मेरी जीन्स में जैसे दब ही गयी थी. ऊपर मैंने एक नेक टॉप पहना हुआ था.

आदित्य की नजर बार बार मेरी जीन्स की जिप और मेरी छाती की उठान को टटोल रही थी.

ऐसा देखकर मुझे भी बहुत अच्छा लगा कि वो मेरी ओर झुकता चला जा रहा है.
मुझे अपनी फिगर पर गर्व हुआ कि मैं भी लड़कों का आकर्षण बन सकती हूं.

फिर मैं रूम पर आ गयी. मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और अपनी जवानी को अपने हाथों से प्यार से सहलाया.

कई दिन मैं आदित्य को ऐसे ही अपनी तरफ आकर्षित करती रही. कभी उसकी तरफ झुककर उसे अपनी छाती की गोलाइयां दिखती तो कभी अपनी चूचियों को उससे जानबूझ कर टकरा देती.

मुझे भी काफी अच्छा लग रहा था.
ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा.

उन्हीं दिनों मुझे मेरी दीदी के ब्वॉयफ्रेंड के बारे में पता चला. दीदी मुझे अपने फोन में कभी देखने नहीं देती थी.

एक दिन दीदी का फोन मुझे मिला.
मैंने उनकी सारी चैट पढ़ी तो पता चला कि वो पूरी रण्डी हो चुकी है.
वो 4 लड़कों से बात करती थी. बात यहीं तक सीमित नहीं थी.

व्हाट्सऐप में एक ग्रुप में भी वो शामिल थी. वो 40 साल के आदमियों का ग्रुप था जिसमें वो अपने जिस्म का जलवा बिखेर रही थी. उसके बदन का साइज 34-30-36 था.
अब तो उसकी शादी भी हो गई.

एक बात मैं भी नहीं छुपाऊंगी. मैंने अपने जीजा जी से भी चुदाई करवाई है. उसकी कहानी कभी और शेयर करूंगी.
फिलहाल मैं आपको अपनी पहली चुदाई की कहानी बता दूं.

तो हां, मैंने दीदी की फोन गैलरी में देखा तो उसमें 50 से ज्यादा वीडियो पड़े थे जिसमें वो अलग अलग लड़कों से चुदवा रही थी. किसी किसी में तो दो लड़कों से एक साथ चुदवा रही थी.

ये सब मैंने तुरंत अपने फोन में सेव किया और फिर मौके का इंतज़ार करने लगी।

एक दिन जब दीदी बाथरूम में नहा रही थी तो उनके फोन पर आलोक का मैसेज आया.

उसमें देखा तो पता चला कि उस दिन दीदी ने अपनी सुहागरात का इंतजाम कर रखा था।

ठीक कुछ देर बाद जब दीदी बाहर आई तो उसने अपने फोन में देख कर मुझसे कहा- स्नेहा, आज मेरी क्लासमेट ने अपने घर पर ग्रुप स्टडी प्लान की है, तो आज तुम यहां अरेंज कर लेना. मैं कल सुबह आ जाऊंगी।

मगर दोस्तो, मुझे तो पता था कि ये ग्रुप स्टडी नहीं सुहागरात की तैयारी है.
फिर भी मैंने कुछ नहीं कहा।
मैं सही मौके के इंतजार में थी।

उस रात उसके जाने के बाद मैंने भी पोर्न वीडियो लगाया और अपनी टॉप उतार दी.

उसके बाद अपनी ब्रा भी उतार दी. ब्रा को उतारने के बाद मैं अपनी चूचियों को मसलने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और उसके बाद मैं उठकर बाथरूम में गई.

अंदर जाकर मैंने अपनी पैंटी निकाल दी और नंगी होकर अपनी गुलाबी बुर को सहलाने लगी.
फिर अपनी बुर में मैंने पेंसिल डाल ली और अंदर बाहर करने लगी.

मैं बुर में पेंसिल को आहिस्ता से अंदर बाहर कर रही थी.
उस वक्त मेरी कुंवारी बुर पेंसिल ही संभाल सकती थी. मगर फिर बाद में उसने मेरे बॉयफ्रेंड के 7 इंची लंड को भी संभाला.






भाभी ने अपने हाथ मेरे ज़िप पर घुमाने लगी वो शायद देख रही थी कि प्रिया मेरा लौड़ा खड़ा कर रही हो।
पर ऐसा कुछ नहीं था और भाभी ने हाथ हटा लिया।

अब मेरा मूड बनने लगा मेरे साथ दो इतने सुन्दर माल थे और कुछ कर नहीं सकता था।

मैंने प्रिया के हाथ की उंगलियों में अपनी उंगली अंदर फंसा दी तो प्रिया ने भी हाथ जोर से पकड़ लिया।

तो मैं उसकी सीट की तरफ मुड़ा तो उसने अपना कान आगे किया।
उसे लगा कि मैं कुछ बोलने वाला हूं.
पर मैंने उसके गाल पर किस कर दिया।

उसने कहा- अरे दीदी हैं. कुछ तो शर्म करो।
मैं रुक गया और फिल्म देखने लगा।

फिर इंटरवल हो गया और हम बाहर आए।

मैं टॉयलेट करने गया अपना लंड को शांति देने के लिए!
तो प्रिया बोली- ऋतु, अब मैं तो जाती हूं। कॉलेज भी जाना है. तुम दोनों देख लो फिल्म।

वो चली गई तो मुझे बहुत अच्छा लगा कि अब भाभी के साथ कुछ हो सकता है।

हम फिर से अंदर आ गए.
फिल्म शुरू हो चुकी थी, अंधेरा छा गया था.

तो मैं भाभी का हाथ पकड़ कर अपनी सीट पर आ गए।
भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चूची पर रख दिया।
मैं उनकी चूची दबाने लगा.

और वो मेरी ज़िप खोल कर लंड हाथ से पकड़ कर सहलाने लगी।

अब मैंने भाभी की गर्दन पकड़ी और उनके होंठ चूसने लगा. भाभी भी मुझे पूरे मज़े से चूस रही थी।

काफी देर चूसने के बाद भाभी ने आगे पीछे देखा और मेरा लौड़ा मुंह में लेकर चूसने लगी.
तो मेरा पानी निकलने लगा.
उन्होंने पूरा पानी चूस लिया।

फिर मैंने भाभी की चूत को छूने की कोशिश की तो भाभी बोली- साड़ी मत उतार देना. बहुत देर में बंधती है।

तो मैंने कहा- भाभी मुझे लंड अंदर डालना है.
वो बोली- सेक्स इन पब्लिक करेगा तू? अरे … घर जाकर डाल लेना. यहां तो प्रॉब्लम हो जाएगी.

पर मैंने काफी जिद की तो भाभी ने कहा- ठीक है, मैं साड़ी ऊपर उठा कर तुम्हारी गोद में बैठ जाऊंगी।

तो मेरे लंड में तनाव आ गया.

मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर नीचे लंड पर रख दिया. भाभी ने लंड सहलाकर खड़ा कर दिया।
फिर भाभी ने साड़ी के नीचे से अपनी पैंटी उतार दी और मुझे बैग को बगल में रखने को बोला.

और खुद अपनी साड़ी उठा कर मेरे लंड पर बैठने लगी तो पूरा लंड भाभी की चूत के अन्दर चला गया.
अब भाभी मेरी गोद में धीरे धीरे से ऊपर नीचे होने लगी.

पर मेरे लंड में तो आग सी लग गई थी.
मैंने भाभी के पेट को पकड़ा और ऊपर की तरफ उठ कर जोर से धक्का मारा तो लंड भाभी की चूत की गहराई तक उतार दिया।

भाभी के मुंह से भी आह निकल गई।
अब भाभी बिल्कुल अगले वाली सीट पर गिर गई उन्होंने हाथों से सीट पकड़ कर खुद को घोड़ी जैसे कर लिया.

मैं तो पूरे जोश से भर कर धक्के मारने लगा; और भाभी सिसकारी भरने लगी।
मेरा पानी भाभी की चूत के के अंदर ही निकल गया.

फिर मैं अपना लंड भाभी के अंदर से निकाल कर सीट पर वापस बैठ गया।

भाभी ने भी अपनी साड़ी ठीक की और पास वाली सीट पर वापस बैठ गई।
इस तरह मैंने भाभी के साथ सेक्स इन पब्लिक किया.

फिर हमने कुछ देर तक फिल्म देखी जिसमें मज़ा नहीं आया तो हम बाहर आ गए।

भाभी बोली- चलो अब घर चलते है।
और हम कुछ और सामान खरीद कर घर आ गए।
भाभी बोली- आज तो मज़ा सा गया! अब तू पूरा जवान हो गया है।


मैं बोला- भाभी, अगर आप साड़ी ना पहनती तो दोनों तरफ पैर करके बैठ जाती और मेरी से चिपक कर बैठती तो बड़ा मज़ा आता।
भाभी- हाँ गोद में बैठ जाऊं क्या?
और हंसने लगी।

मैं- भाभी, गोद में बैठ जाओगी तो मज़ा ही आ जायेगा।

हम बात करते हुए शहर में आ गए।

भाभी बोली- चल साथ आ जा. तेरे भी कपड़े लेने हैं।
उन्होंने मेरे और छोटू (उनका बेटा) के कपड़े लिए और फिर अपने लिए लेने लगी।
तो मैं भी उनके साथ ही था।

भाभी- 34 नंबर में दो दे दो।
दुकानदार- कलर कौन सा दूँ बहन जी?
भाभी- ब्लैक या रेड जो भी हो।

तो दुकानदार ने ब्रा और पैंटी के कई सेट निकाल दिए और भाभी ने दो ले लिए।

अब हम दुकान से बाहर आए तो मैंने भाभी को कहा- भाभी, दोनों ब्लैक ही ले लेती. मेरे भी ब्लैक कलर ही हैं।
भाभी- अच्छा, अब तेरी पसंद की ब्रा पहननी पड़ेगी मुझे?
और हंसने लगी।

मैं- नहीं भाभी, आपका रंग इतना गोरा है कि कुछ भी पहनो आप तो सुंदर ही लगो।
भाभी- और जब कुछ ना पहनी तब सुंदर ना लगती?
मैं- फिर तो मज़ा ही आ जावे।

मैंने भाभी को बेग दिए और वो बाइक पर सवार हो गई।
भाभी- शिवम्, मैं एक फोन मिला लूं, फिर चलना।

मैं रुक गया तो भाभी ने अपनी बहन से बात की।
उसने कहा कि वो शहर में ही है।

हमारा और भाभी का शहर एक ही है बस गांव दूर है।

भाभी- चल शिवम्, आज तुझे तेरी होने वाली दुल्हन से मिला ही दूँ। नहीं तो आज तू मेरे साथ ही कुछ कर देगा।
मैं- कहाँ है वो भाभी?

भाभी ने एक मॉल के बारे में बताया और हम वहाँ चले गए।

कुछ देर बाद भाभी की छोटी बहन प्रिया भी वहीं आ गई और वो अपनी बहन से बात करने लगी।

प्रिया- ऋतु, तुम तो जीजा जी के साथ आने को बोल रही थी?
भाभी- अरे, जीजा के साथ ही तो आई हूं।
प्रिया हंसने लगी- यू तो शिवम् है अब इससे दूसरी शादी कर ली के?
वो हंसने लगी।

भाभी- यू तेरा नहीं मेरा जीजा है। शादी तो तेरी होगी इसके साथ!
प्रिया शरमा गई और चुप हो गयी।

भाभी- चल शर्मावे ना ज्यादा … मैं तो तुम दोनों को मिलान के लिए लाई थी। तुम दोनों को पसंद हो तो मैं मम्मी से बोल दूंगी।
प्रिया कुछ नहीं बोली।

भाभी- चल कहीं बैठ कर बात करते हैं।

हम सब एक रेस्टोरेंट में बैठ गए।

प्रिया भाभी के कान में कुछ बोल रही थी।

मुझे कुछ अजीब सा लगा पर भाभी तो अपनी मस्त चीज़ है।
उसने प्रिया की बात का जवाब जोर से दिया जो मुझे भी सुना।

प्रिया- …
भाभी- पागल है तू? शरीफ बच्चा है मेरा! एकदम आज्ञाकारी।
प्रिया अब चुप हो गई.

तो मैंने पूछा- क्या हुआ भाभी?
भाभी- कुछ नहीं … तुझे कुछ पूछना हो तो पूछ ले।
मैं- भाभी बस नू पूछ लो या शादी करना चाहती है क्या?

भाभी- अरे इससे पूछ ले। मेरी शादी तो गई। मुझे दोबारा नहीं करनी है।
अब हम दोनों भी भाभी के साथ हंसने लगे।

भाभी- चलो अभी तो 10 बजे एक फिल्म ही देख लेते हैं. थोड़ा समय और साथ में बात करने का मौका मिल जायेगा।

तो हमने 10:15 पर शुरू होने वाली एक फिल्म के टिकट ले लिए (Mumbai 125 KM)

हम अंदर गए तो अभी ज्यादा भीड़ नहीं थी।
20 – 25 लोग थे जिनमें से ज्यादा तो कपल ही थे।

फिल्म शुरू हुई.
एक गाना आया और इस गाने में काफी हॉट सीन थे।

तो हमसे अगली सीट पर बैठे कपल ने किस करना शुरू कर दिया.
हम तीनों उन्हें देखने लगे।

मैं अब उनको देखते हुआ प्रिया और भाभी को भी देख रहा था।
ज्यादा रोशनी नहीं थी तो भाभी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया.

तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर अपनी ज़िप के ऊपर रख दिया.
भाभी ने मेरे सिर को पकड़ा और कान में धीरे से बोली- शिवम्, प्रिया के सामने अच्छे से रह … वरना इसको पता चल जाएगा। और तेरी शादी में प्रॉब्लम हो सकती है।

मैं चुपचाप बैठ गया और फिल्म देखने लगा.

उस फिल्म में किस के सीन बहुत ज्यादा थे.
पर अब तो हीरो हीरोइन को गोद में बैठा कर बुरी तरह चूस रहा था और मेरा लंड खड़ा हो गया था।

भाभी ने अब प्रिया के कान में कुछ कहा.
फिर भाभी उठ गई और मेरे आगे आ गई.

वैसे तो सीट में काफी जगह थी पर वो मेरी तरफ़ पीठ करके मेरी गोद में लगभग बैठते हुए मुझसे अगली सीट पर बैठ गई।
और अब प्रिया भाभी वाली सीट पर आ गई।
मुझे समझ नहीं आया क्या खिचड़ी पकी है।

अब प्रिया ने मेरी और अपनी सीट के बीच वाले हिस्से पर हाथ रखा.
वहाँ मेरा हाथ पहले से ही था.
तो उसने अपना हाथ हटा लिया और मेरी तरफ देखने लगी।

तो मैंने अपना हाथ उठा कर अपने पैर पर रख लिया और प्रिया को बोला कि वो अब हाथ रख सकती है।

पर उसने सुना नहीं तो मैंने उसके कान के पास जाकर बोला.
तो मेरा मुंह उसके कान से टकरा गया जैसे मैंने उसे किस किया हो।

मैंने बहुत जल्दी से खुद को पीछे किया और सॉरी बोला।
तो प्रिया ने अपना हाथ से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- कोई बात नहीं. तुमने जानबूझ कर नहीं किया. मैं जानती हूं।

फिर हम दोनों के हाथ एक साथ ही रखे हुए थे।


सेक्स इन पब्लिक स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपनी भाभी के साथ शहर में खरीदारी करने आया. वहां भाभी ने अपनी बहन को भी बुला लिया और हम फिल्म देखने गए.

मेरे प्यारे दोस्तो, आपने मेरी एक कहानी
भूसे वाले कोठे में भाभी की चुदाई
पढ़ी होगी.

अगर नहीं पढ़ी तो अब पढ़ लो।
चूत रगड़ रगड़ कर मचल जाओगी और लंड ढूंढती रहोगी अंदर घुसाने को।

आज मैं नई सेक्स इन पब्लिक स्टोरी लिख रहा हूं। इन कहानियों में बिल्कुल सच वाली घटना होती है.
तो नई चुदाई का मज़ा लो दोस्तो और आपको मज़ा आया या नहीं; ये मुझे कॉमेंट करके जरूर बताना।

मैं शिवम् उम्र 19 वर्ष
कद 6 फिट
लंड 8″ होगा।

मेरी भाभी की उम्र 23 वर्ष
कद 5′ 7″
फीगर 34 28 36
रंग बिल्कुल संगममर की तरह
कामुक अदाएं।

एक दिन खेत पर काम नहीं था तो भाई भाभी ने शहर जाने का प्लान बनाया।
तो पापा ने भी बुआ जी के यहां जाने की बात कही।

और अगली सुबह पापा जल्दी चले भी गए।

क्योंकि गांव में सब सुबह 4 या 5 बजे ही उठ जाते हैं तो भाभी और भाई भी शहर जाने की तैयारी कर रहे थे.
पता नहीं भाई के मन में क्या आया कि उसने शहर जाने के लिए मना कर दिया।

तो भाभी बोली- अब मैं अकेली कैसे आऊंगी?
भाई बोला- फिर किसी दिन चल पड़ेंगे. आज रहने दे!

तो भाभी निराश हो गई और रसोई में जाने लगी.
भाई भी घर से बाहर चले गए।

माँ ने पूछा- क्या हुआ; तुम दोनों जा नहीं रहे?
भाभी ने बताया कि उनका मन बदल गया और मना कर दिया।

तो माँ बोली- वो तो शुरू से ही ऐसा है. उसकी अक्ल खराब है. तू एक काम कर … छोटू (शिवम्) के साथ चली जा।
मैं खुश हो गया।

माँ- छोटू जा तू ले जा बहू को … इसको सामान लाना है शहर से!
मैं- ठीक है माँ … पर मैं अपने लिए भी कपड़े लूंगा।
माँ- दो महीने पहले तो लाया ही था। इतने पैसे खराब माँ करते भाई … थोड़ा खर्च करा करते।

तभी भाभी ने मुझे चुप होने का इशारा किया और अपनी तरफ बुलाया- शिवम्, चलो कपड़े बदल लो और जल्दी करो. 8 तो यहीं बज गए. फिर वापस आते आते शाम हो जाएगी।

मैंने मुंह धोया और कपड़े बदलने अंदर चला गया.
भाभी मेरी जीन्स और शर्ट निकाल कर बेड पर रखे थे।

मैंने अपनी शर्ट उतार दी और नई शर्ट पहनने लगा.
तो भाभी बोली- रुको शिवम्, बनियान भी बदल लो।
मैंने बनियान भी उतार दिया.

भाभी मुझे बनियान देती हुई मेरी छाती को ध्यान से देख रही थी.
ऐसा लग रहा था जैसे कोई लड़का किसी सेक्सी लड़की के चूचे को देख कर कामुक हो जाता है।

मैंने बनियान पहन लिया और जीन्स उतार दी.
तो भाभी अब मेरे अंडरवियर में से लंड के आकार को देख रही थी।
पर उन्हें ज्यादा डर नहीं दिखा.

मैंने कपड़े पहन लिए और हम दोनों कमरे से बाहर आए।

माँ- छोटू, आराम से जाइए. चाहे थोड़ा टाइम ज्यादा लग जावे। बहू तू घर का समान भी याद रखिए। कभी भूल जा!

मैं बाइक निकाल कर ले आया.
भाभी ने अपनी साड़ी को ठीक किया और घूंघट ओढ़ कर पीछे बैठ गई।

हम गांव के बाहर निकले तो भाभी ने घूंघट उठाया और मुझसे बात करने लगी।

भाभी- शिवम्, पहले तो कपड़े वाले के यहां जाना है. और फिर घर का सामान लेना है।

मैं- भाभी किसके कपड़े लेने आपको?
भाभी- अरे … छोटे से भाई के (भाभी का बेटा) और दो चार मैं अपने भी लूंगी। तू भी ले लेना।

मैं- भाभी कितने पैसे दिए माँ ने?
भाभी- तू फ़िक्र ना करे … बहुत हैं पैसे … सबके कपड़े आ जाएंगे और बच भी जाएंगे।

मैं- भाभी मैं तो दो जीन्स लूंगा और दो तीन शर्ट भी।
भाभी- हाँ दो चार अंडरवियर भी ले लेना। पुराना हो गए हैं अब!

मैं हंस दिया और कहा- भाभी, आप बड़ा ध्यान दो मेरे अंडरवियर पर?
भाभी- अरे तेरी वाइफ तो है नहीं. अब मुझे ही तो देखना पड़ेगा।

मैं- भाभी, वाइफ तो आ जाएगी. पर आप खुद ही देर कर रही।
भाभी- मुझे क्या फायदा देर करने से। मेरा बस चले तो आज ही ले आऊँ।

मैं- तो भाभी, आपने अपने घर बात क्यूँ ना करी. माँ ने कई महीने पहले कहा था।
भाभी- अरे शिवम्, मैं उस दिन के बाद मैं घर गई ही नहीं … तो बात कैसे करती?

मैं- भाभी फोन पर के लेती. कितनी बार तो बात की तुमने फोन पर!
भाभी- ऐसी बात फोन पर ना करते। तू पागल है. चल अबकी बार मैं जाते ही कर दूंगी तेरी बात!

मैं- भाभी, मुझे पता तू बहाना बना रही। शादी ना करवानी तो मना कर दे! मैं तेरे भरोसा पर बैठा हूं।
भाभी हंसने लगी- तू तो गुस्सा हो गया मेरे बच्चे! मैं तो हूं जब तक शादी ना होती! थोड़ा प्यार मुझसे कर लिया कर!

मैं- भाभी, आपके साथ प्यार करने का मौका कहाँ मिले।
भाभी- आज तो अकेले है आज कर ले।

मैं- भाभी यहाँ सड़क पे कैसे करूं?
भाभी आगे की तरफ खिसक गई और अपनी चूची मेरी कमर पर दबा दी।
फीर कान के पास धीरे से बोली- चल आज मैं तुझे शहर दिखाती हूं। वहीं करेंगे प्यार!
भाभी ने मेरे गाल पर एक किस कर दिया।

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