"WHO की घोषणा के बाद लॉकडाउन अधिकांश राष्ट्रों के लिए जरूरी था।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जब भी ऐसा अनुभव किया जाता है कि कोई रोग किसी देश की सीमाओं को लांग कर एक अंतरराष्ट्रीय महामारी का रूप ले सकता है तो वह (PHEIC) Public Health Emergency Of International Concern की घोषणा करता है। WHO द्वारा बनी हुई एक 'आपातकालीन समिति' इसकी घोषणा करती है। इस समिति में अलग अलग राष्ट्रों से उस महामारी के विशेषज्ञ होते हैं। उस राष्ट्र का एक सदस्य समिति में अवश्य होता है जहाँ से यह रोग फैला होता है।
2002 के सार्स (SARS) बीमारी के फैलाव के बाद महामारियों की गंभीरता को समझते हुए 2005 में 'अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिनियम' बनाए गए। सभी सदस्य राष्ट्रों को इन अधिनियमों की अनुपालना आवश्यक रूप से करनी पड़ती है।
2009 के बाद 6 बार PHEIC या पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा निम्नानुसार की जा चुकी है।
1. 2009 में स्वाइन फ्लू की घोषणा।
2. 2014 में पोलियो की घोषणा।
3. 2014 में ईबोला की घोषणा।
4. 2014-15 में जीका वायरस की घोषणा।
5. 2018-20 किवू ईबोला की घोषणा।
6. 2019-20 कोविड-19 की घोषणा।
इस तरह की महामारियों की घोषणा तीन महीने के लिए आपदा समिति करती है उसके तीन महीने बाद समिति फिर से उसका पुनरावलोकन करती है। यह समिति तदर्थ (ad hoc) ही होती है।
समिति ने 11 मार्च 2020 को यह माना कि कोविड-19 विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।
समिति को यह सुनिश्चित करना होता है कि समस्या वैश्विक है तभी इसकी घोषणा होती है। यही कारण है कि सीरिया में हुए केमिकल युद्ध, जापान में फुकुशिमा सयंत्र त्रासदी एवं हैती में कॉलेरा को वैश्विक आपदा घोषित नहीं किया।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा जब भी ऐसा अनुभव किया जाता है कि कोई रोग किसी देश की सीमाओं को लांग कर एक अंतरराष्ट्रीय महामारी का रूप ले सकता है तो वह (PHEIC) Public Health Emergency Of International Concern की घोषणा करता है। WHO द्वारा बनी हुई एक 'आपातकालीन समिति' इसकी घोषणा करती है। इस समिति में अलग अलग राष्ट्रों से उस महामारी के विशेषज्ञ होते हैं। उस राष्ट्र का एक सदस्य समिति में अवश्य होता है जहाँ से यह रोग फैला होता है।
2002 के सार्स (SARS) बीमारी के फैलाव के बाद महामारियों की गंभीरता को समझते हुए 2005 में 'अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिनियम' बनाए गए। सभी सदस्य राष्ट्रों को इन अधिनियमों की अनुपालना आवश्यक रूप से करनी पड़ती है।
2009 के बाद 6 बार PHEIC या पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा निम्नानुसार की जा चुकी है।
1. 2009 में स्वाइन फ्लू की घोषणा।
2. 2014 में पोलियो की घोषणा।
3. 2014 में ईबोला की घोषणा।
4. 2014-15 में जीका वायरस की घोषणा।
5. 2018-20 किवू ईबोला की घोषणा।
6. 2019-20 कोविड-19 की घोषणा।
इस तरह की महामारियों की घोषणा तीन महीने के लिए आपदा समिति करती है उसके तीन महीने बाद समिति फिर से उसका पुनरावलोकन करती है। यह समिति तदर्थ (ad hoc) ही होती है।
समिति ने 11 मार्च 2020 को यह माना कि कोविड-19 विश्व के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है।
समिति को यह सुनिश्चित करना होता है कि समस्या वैश्विक है तभी इसकी घोषणा होती है। यही कारण है कि सीरिया में हुए केमिकल युद्ध, जापान में फुकुशिमा सयंत्र त्रासदी एवं हैती में कॉलेरा को वैश्विक आपदा घोषित नहीं किया।