Репост из: खिड़की
"सुख के लम्हे तक पहुँचते-पहुँचते, हम उन सब लोगों से जुदा हो जाते हैं जिनके साथ हमने दुःख झेलकर, सुख का स्वप्न देखा था।"
— निर्मल वर्मा
— निर्मल वर्मा