@Reetsocialscience
"वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 480वीं जयंती पर पढ़िए व शेयर करिए उनका संक्षिप्त जीवनकाल"
* 9 मई, 1540 ई. :- कुंभलगढ़ में जन्म
* 1552 ई. :- कुंभलगढ़ से चित्तौड़गढ़ प्रस्थान
* 1555 ई. :- 15 वर्ष की उम्र में जैताणा के युद्ध में करण सिंह को मारकर वागड़ की फ़ौज को परास्त किया
* 1556 ई. :- छप्पन के इलाके को जीता
* गोडवाड़ पर विजय प्राप्त की
* 1557 ई. :- बिजोलिया की राजकुमारी अजबदे बाई सा से विवाह
* 1563 ई. :- भोमठ पर विजय
* अक्टूबर, 1567 ई. :- कुंभलगढ़ पर हुसैन कुली खां के आक्रमण को विफल किया
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* 1572 ई. :- मेवाड़ के महाराणा बने व सिरोही पर कल्ला देवड़ा के ज़रिए अधिकार किया, कुछ समय बाद सिरोही राव सुरताण से मित्रता कर ली।
* 1572 ई. :- महाराणा द्वारा मंदसौर के मुगल थानों पर हमले व विजय
* 1573 ई. :- गुजरात से आगरा जाती हुई मुगल फौज पर हमला किया व खजाना लूट लिया
* 1572 ई. से 1573 ई. के बीच अकबर द्वारा भेजे गए 4 सन्धि प्रस्तावों को खारिज किया :-
1) जलाल खां
2) राजा मानसिंह
3) राजा भगवानदास
4) राजा टोडरमल
* 1574 ई. :- चुंडावत जी के ज़रिए सिन्हा राठौड़ को परास्त कर सलूम्बर पर विजय
* 1576 ई. :- हल्दीघाटी का विश्व प्रसिद्ध युद्ध हुआ, जो कि अनिर्णित रहा।
* 23 जून, 1576 ई. :- राजा मानसिंह द्वारा गोगुन्दा पर हमला। यहां तैनात मात्र 20 मेवाड़ी बहादुर काम आए।
* अगस्त, 1576 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा अजमेर, गोडवाड़, उदयपुर की मुगल छावनियों पर आक्रमण
* सितम्बर, 1576 ई. :- महाराणा प्रताप ने गोगुन्दा पर आक्रमण किया व कईं मुगलों को मारकर गोगुन्दा पर अधिकार किया
* अक्टूबर, 1576 ई. :- मुगल बादशाह अकबर का 80,000 जंगी सवारों समेत मेवाड़ पर हमला
अकबर एक वर्ष तक मेवाड़ व उसके आसपास ही रहा व महाराणा प्रताप पर कईं हमले किए, पर हर बार नाकामयाबी मिली
#RAJASTHAN_HISTORY
* अकबर द्वारा कुतुबुद्दीन, राजा भगवानदास, राजा मानसिंह को गोगुन्दा पर हमला करने भेजना। छोटे-बड़े कई हमलों के बाद अंततः गोगुन्दा पर महाराणा की दोबारा विजय।
* महाराणा प्रताप के खौफ से हज यात्रियों् के जुलूस की हिफाजत में अकबर द्वारा 2 फौजें भेजी गईं
* महाराणा प्रताप ने दूदा हाडा को बूंदी जीतने में फ़ौजी मदद की
* 1577 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा दिबल दुर्ग पर अधिकार
* 23 फरवरी, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप व राय नारायणदास राठौड़ ने मिलकर लड़ा ईडर का युद्ध
* 1577 ई. :- ईडर के दूसरे युद्ध में मुगलों की रसद व खजाना लूट लिया
* मई-सितम्बर, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप ने गोगुन्दा, उदयपुर में तैनात मुगल थाने उखाड़ फेंके
* अक्टूबर, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के सबसे बड़े मुगल थाने मोही पर आक्रमण किया। थानेदार मुजाहिद बेग कत्ल हुआ व मोही पर महाराणा का अधिकार हुआ।
* अक्टूबर, 1577 ई. :- अकबर ने शाहबाज खां को फौज समेत मेवाड़ भेजा
* नवम्बर, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा केलवाड़ा मुगल थाने पर आक्रमण, 4 मुगल हाथी लूटे गए
* 1578 ई. :- कुम्भलगढ़ का युद्ध :- शाहबाज खां ने कुम्भलगढ़ पर अधिकार किया
महाराणा प्रताप ने कुम्भलगढ़ की पराजय के प्रतिशोध स्वरुप जालौर व सिरोंज के सभी मुगल थाने जलाकर खाक किये
* 1578 ई. :- वागड़ की फौजों से हुए युद्ध में महाराणा प्रताप द्वारा भेजे गए रावत भाण सारंगदेवोत की विजय
* 15 दिसम्बर, 1578 ई. :- शाहबाज खां का दूसरा असफल मेवाड़ अभियान
#RAJASTHAN_HISTORY
* 1578 ई. :- भामाशाह को फौज देकर मालवा पर हमला करने भेजना
* 15 नवम्बर, 1579 ई. :- शाहबाज खां का तीसरा असफल मेवाड़ अभियान
* 1580 ई. :- अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना का असफल मेवाड़ अभियान, महाराणा प्रताप ने कुँवर अमरसिंह द्वारा बंदी बनाई गई रहीम की बेगमों को मुक्त कर क्षात्र धर्म का पालन किया
* 1580 ई. :- मालवा में भामाशाह के भाई ताराचंद के ज़ख़्मी होने पर महाराणा प्रताप द्वारा मालवा से ताराचंद को सुरक्षित चावण्ड लाना व रास्ते में आने वाली मुगल चौकियों को तहस-नहस करना, साथ ही मंदसौर के सबसे बड़े मुगल थाने पर आक्रमण व विजय
* अक्टूबर, 1582 ई. :- दिवेर का युद्ध :- महाराणा प्रताप द्वारा मुग़ल सेनापति सुल्तान खां की पराजय। कुँवर अमरसिंह द्वारा सुल्तान खां का वध।
* 1583 ई. :- महाराणा ने हमीरपाल झील पर तैनात मुगल छावनी हटाई
* 1583 ई. :- कुम्भलगढ़ का दूसरा युद्ध :- महाराणा प्रताप ने मुगल सेनापति को मारकर दुर्ग पर अधिकार किया।
#RAJASTHAN_HISTORY
* 1583 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा मांडल के थाने पर आक्रमण व विजय। मुगलों की तरफ से इस थाने के मुख्तार राव खंगार कछवाहा व नाथा कछवाहा मारे गए। राव खंगार की छतरी विद्यमान है, जिसपे इस लड़ाई में मरने वालों के नाम खुदे हैं।
* 1583 ई. :- बांसवाड़ा में मानसिंह चौहान से युद्ध
* 1584 ई. :- उदयपुर के राजमहलों में तैनात मुगलों पर महाराणा प्रताप का आक्रमण व विजय। अकबर द्वारा 1576 ई. में उदयपुर
"वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 480वीं जयंती पर पढ़िए व शेयर करिए उनका संक्षिप्त जीवनकाल"
* 9 मई, 1540 ई. :- कुंभलगढ़ में जन्म
* 1552 ई. :- कुंभलगढ़ से चित्तौड़गढ़ प्रस्थान
* 1555 ई. :- 15 वर्ष की उम्र में जैताणा के युद्ध में करण सिंह को मारकर वागड़ की फ़ौज को परास्त किया
* 1556 ई. :- छप्पन के इलाके को जीता
* गोडवाड़ पर विजय प्राप्त की
* 1557 ई. :- बिजोलिया की राजकुमारी अजबदे बाई सा से विवाह
* 1563 ई. :- भोमठ पर विजय
* अक्टूबर, 1567 ई. :- कुंभलगढ़ पर हुसैन कुली खां के आक्रमण को विफल किया
@Reetsocialscience
* 1572 ई. :- मेवाड़ के महाराणा बने व सिरोही पर कल्ला देवड़ा के ज़रिए अधिकार किया, कुछ समय बाद सिरोही राव सुरताण से मित्रता कर ली।
* 1572 ई. :- महाराणा द्वारा मंदसौर के मुगल थानों पर हमले व विजय
* 1573 ई. :- गुजरात से आगरा जाती हुई मुगल फौज पर हमला किया व खजाना लूट लिया
* 1572 ई. से 1573 ई. के बीच अकबर द्वारा भेजे गए 4 सन्धि प्रस्तावों को खारिज किया :-
1) जलाल खां
2) राजा मानसिंह
3) राजा भगवानदास
4) राजा टोडरमल
* 1574 ई. :- चुंडावत जी के ज़रिए सिन्हा राठौड़ को परास्त कर सलूम्बर पर विजय
* 1576 ई. :- हल्दीघाटी का विश्व प्रसिद्ध युद्ध हुआ, जो कि अनिर्णित रहा।
* 23 जून, 1576 ई. :- राजा मानसिंह द्वारा गोगुन्दा पर हमला। यहां तैनात मात्र 20 मेवाड़ी बहादुर काम आए।
* अगस्त, 1576 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा अजमेर, गोडवाड़, उदयपुर की मुगल छावनियों पर आक्रमण
* सितम्बर, 1576 ई. :- महाराणा प्रताप ने गोगुन्दा पर आक्रमण किया व कईं मुगलों को मारकर गोगुन्दा पर अधिकार किया
* अक्टूबर, 1576 ई. :- मुगल बादशाह अकबर का 80,000 जंगी सवारों समेत मेवाड़ पर हमला
अकबर एक वर्ष तक मेवाड़ व उसके आसपास ही रहा व महाराणा प्रताप पर कईं हमले किए, पर हर बार नाकामयाबी मिली
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* अकबर द्वारा कुतुबुद्दीन, राजा भगवानदास, राजा मानसिंह को गोगुन्दा पर हमला करने भेजना। छोटे-बड़े कई हमलों के बाद अंततः गोगुन्दा पर महाराणा की दोबारा विजय।
* महाराणा प्रताप के खौफ से हज यात्रियों् के जुलूस की हिफाजत में अकबर द्वारा 2 फौजें भेजी गईं
* महाराणा प्रताप ने दूदा हाडा को बूंदी जीतने में फ़ौजी मदद की
* 1577 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा दिबल दुर्ग पर अधिकार
* 23 फरवरी, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप व राय नारायणदास राठौड़ ने मिलकर लड़ा ईडर का युद्ध
* 1577 ई. :- ईडर के दूसरे युद्ध में मुगलों की रसद व खजाना लूट लिया
* मई-सितम्बर, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप ने गोगुन्दा, उदयपुर में तैनात मुगल थाने उखाड़ फेंके
* अक्टूबर, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के सबसे बड़े मुगल थाने मोही पर आक्रमण किया। थानेदार मुजाहिद बेग कत्ल हुआ व मोही पर महाराणा का अधिकार हुआ।
* अक्टूबर, 1577 ई. :- अकबर ने शाहबाज खां को फौज समेत मेवाड़ भेजा
* नवम्बर, 1577 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा केलवाड़ा मुगल थाने पर आक्रमण, 4 मुगल हाथी लूटे गए
* 1578 ई. :- कुम्भलगढ़ का युद्ध :- शाहबाज खां ने कुम्भलगढ़ पर अधिकार किया
महाराणा प्रताप ने कुम्भलगढ़ की पराजय के प्रतिशोध स्वरुप जालौर व सिरोंज के सभी मुगल थाने जलाकर खाक किये
* 1578 ई. :- वागड़ की फौजों से हुए युद्ध में महाराणा प्रताप द्वारा भेजे गए रावत भाण सारंगदेवोत की विजय
* 15 दिसम्बर, 1578 ई. :- शाहबाज खां का दूसरा असफल मेवाड़ अभियान
#RAJASTHAN_HISTORY
* 1578 ई. :- भामाशाह को फौज देकर मालवा पर हमला करने भेजना
* 15 नवम्बर, 1579 ई. :- शाहबाज खां का तीसरा असफल मेवाड़ अभियान
* 1580 ई. :- अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना का असफल मेवाड़ अभियान, महाराणा प्रताप ने कुँवर अमरसिंह द्वारा बंदी बनाई गई रहीम की बेगमों को मुक्त कर क्षात्र धर्म का पालन किया
* 1580 ई. :- मालवा में भामाशाह के भाई ताराचंद के ज़ख़्मी होने पर महाराणा प्रताप द्वारा मालवा से ताराचंद को सुरक्षित चावण्ड लाना व रास्ते में आने वाली मुगल चौकियों को तहस-नहस करना, साथ ही मंदसौर के सबसे बड़े मुगल थाने पर आक्रमण व विजय
* अक्टूबर, 1582 ई. :- दिवेर का युद्ध :- महाराणा प्रताप द्वारा मुग़ल सेनापति सुल्तान खां की पराजय। कुँवर अमरसिंह द्वारा सुल्तान खां का वध।
* 1583 ई. :- महाराणा ने हमीरपाल झील पर तैनात मुगल छावनी हटाई
* 1583 ई. :- कुम्भलगढ़ का दूसरा युद्ध :- महाराणा प्रताप ने मुगल सेनापति को मारकर दुर्ग पर अधिकार किया।
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* 1583 ई. :- महाराणा प्रताप द्वारा मांडल के थाने पर आक्रमण व विजय। मुगलों की तरफ से इस थाने के मुख्तार राव खंगार कछवाहा व नाथा कछवाहा मारे गए। राव खंगार की छतरी विद्यमान है, जिसपे इस लड़ाई में मरने वालों के नाम खुदे हैं।
* 1583 ई. :- बांसवाड़ा में मानसिंह चौहान से युद्ध
* 1584 ई. :- उदयपुर के राजमहलों में तैनात मुगलों पर महाराणा प्रताप का आक्रमण व विजय। अकबर द्वारा 1576 ई. में उदयपुर