चंचल बहता
झरना मैं
तुम समुद्र
शांत से
कलरव कर
चलती मैं
तुम निश्छल
निमग्न से
नए पथ
खोजती रहती
सदियां समेट
तुम अविचल
मैं अलमस्त
बेबाक सी
पदछाप असंख्य
छिपाते तुम
आयी हूँ
समीप तुम्हारे
अपनी आशा
अधीरता लिए
कर लो तुम
तट बंध मुझे
असीम अपने
आलिंगन में
सोने दो मुझे
शांत अपनी
लहरों में
🖤
झरना मैं
तुम समुद्र
शांत से
कलरव कर
चलती मैं
तुम निश्छल
निमग्न से
नए पथ
खोजती रहती
सदियां समेट
तुम अविचल
मैं अलमस्त
बेबाक सी
पदछाप असंख्य
छिपाते तुम
आयी हूँ
समीप तुम्हारे
अपनी आशा
अधीरता लिए
कर लो तुम
तट बंध मुझे
असीम अपने
आलिंगन में
सोने दो मुझे
शांत अपनी
लहरों में
🖤