उनके चूचे मुझे रात को सोने नहीं देते थे. मैं रोज उनके बारे में सोच कर मुट्ठ मार लिया करता था.
कुछ दिन बीत जाने के बाद नानी ने मेरी मां के पास फोन किया और मेरे आने के बारे में पूछा क्योंकि मामा जी कुछ दिन के बाहर जा रहे थे और नानी ने मां को कह दिया कि वो मुझे यहां मामा के घर जल्दी ही भेज दें क्योंकि वहां पर घर की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. मां ने मेरे कपड़े पैक कर दिये और मैं वापस नानी के यहां आने के लिए तैयार हो गया.
मैं मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि अब मुझे मामी को चोदने का मन कर रहा था और मैं सोच रहा था कि अब ये मौका भी अच्छा हाथ लगा है क्योंकि मामा के रहते हुए तो मैं मामी से इस तरह की बात नहीं कर पाता. अब जो कि मामा बाहर जा रहे हैं तो मामी की चूत चुदाई का रास्ता भी मेरे लिए आसान हो जायेगा. मैं किसी ने किसी बहाने से मामी से उनके मन की इच्छा जान ही लूंगा.
मेरे नानी के यहां आने पर मामा जी तैयार हो गए और मैं उन्हें ट्रेन में बिठा कर वापस आ गया. शाम हुई तो खाना वगैरह खा कर फिर सोने की तैयारी होने लगी. मामी जी ना बोला कि रोहित तुम हमारे साथ ही सो जाओ, आज तो मामा जी भी नहीं है.
मैं तो जैसे मामी के मुंह से यही सुनना चाह रहा था. मैं झट से तैयार हो गया उनके साथ सोने के लिए. हम लोग मामी जी के साथ ही सोने लगे.
मामी एक साइड सो रही थी, मैं एक साइड में था और बीच में दोनों बच्चे सो रहे थे. अब मैं मामी जी के सोने का इंतजार कर रहा था.
रात को करीब 12:00 बजे जब मुझे विश्वास हो गया कि सब सो गए हैं तब मैं जागा और मामी जी के बगल में जाकर लेट गया और उनकी जांघ पर हाथ रख कर उनकी मांसल जाँघों को छूने लगा.
छूते ही मेरा लंड जैसे फटने को हो गया. मैं धीरे-धीरे जांघों पर हाथ फेरने लगा. मैं उनकी मैक्सी के ऊपर से ही हाथ फेरने में लगा था. मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा. मामी ने शायद पैंटी नहीं पहनी हुई थी. उनकी चूत की झांट मेरे हाथ पर महसूस हो रही थी. यह अहसास पाकर मैं तो जैसे पागल ही हो गया.
मैंने धीरे-धीरे मैक्सी को ऊपर उठाना शुरू किया और कमर तक मैक्सी ऊपर कर दी. अब मैं भूल चुका था कि अगर वह जाग गई तो कितना बड़ा कांड हो जाएगा. मैं तो हवस के चक्कर में पागल ही हो गया था.
मैंने अपना लौड़ा निकाला और उनकी जांघों पर फेरने लगा.
तभी थोड़ी सी हलचल हुई और मामी मेरी तरफ पीठ करके लेट गई. एक बार तो मैं घबरा गया … लेकिन मामी जगी नहीं थी शायद … इसलिए मैंने दोबारा से कोशिश करने के लिए सोचा.
मैं थोड़ा रुका और फिर अपना लौड़ा उनकी गांड पर रगड़ने लगा. मेरा मोटा और सख्त लंड उनको अपनी गांड पर शायद महसूस हुआ तो वो एकदम से उठ गई.
मैं भी झट से नीचे लेट गया. उसके बाद मैंने आंखें बंद कर लीं. मुझे डर लग रहा था. पता नहीं मामी ने क्या देखा और क्या नहीं. मगर जब मैंने दोबारा से आंखें खोलीं तो वो अपनी मैक्सी को अंधेरे में ही नीचे करके वापस लेट चुकी थी. मगर मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था. मैं सोच रहा था कि शायद ये मौका फिर नहीं मिलेगा.
कुछ समय बाद मैंने उनके मम्मों पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उन्हें दबाने लगा.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने मैक्सी ऊपर उठाई और जल्दी से लौड़ा निकाल कर उनकी चूत के छेद पर रख दिया. तभी मामी जग गई और मुझे देख कर एकदम सकपका गई और धीमी आवाज में चिल्लाते हुए गुस्से से बोली- यह क्या कर रहे हो रोहित? तुम्हें समझ नहीं आता? मैं तुम्हारी मामी हूं. यह सब जो तुम कर रहे हो, यह गलत है.
मामी का गुस्सा देख कर मेरी गांड फट गई और मैंने उनको सॉरी बोला और उठ कर कमरे से बाहर चला गया और सोफे पर लेट गया और वहीं लेटे लेटे सो गया. मुझे डर लग रहा था कि कहीं वह शिकायत ना कर दे.
फिर सुबह वह चाय लेकर आई और मुझे जगाया. मैंने उनकी तरफ देखा भी नहीं. मैं नजर नीचे करके चाय पीता रहा और वह मेरे सामने ही टेबल साफ कर रही थी तो उनके मम्मों के दर्शन होने लगे.
पता नहीं क्यों अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. जब भी उनको देखता था तो खुद को रोकना मुश्किल हो जाता था. उनके चूचों को देखते ही उस वक्त भी मेरा लौड़ा तो जैसे फटने को हो रहा था. मैं चाय बीच में ही रख कर बाथरूम की तरफ भागा.
मुझे एकदम से ऐसे अधूरी चाय छोड़ कर जाते हुए देख कर मामी ने पूछ लिया कि कहां जा रहे हो. मैंने बाथरूम में घुस कर मामी को अंदर से ही आवाज लगाई कि कुछ नहीं मामी, बस अभी आ रहा हूं वापस.
अंदर जाने के बाद मैं बाथरूम का गेट लगाना भूल गया और लंड की मुट्ठ मारने लगा. मेरी आंखें बंद थीं और मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था. पता नहीं कब मामी आ गई और उन्होंने मुझे देख लिया.
जब मुझे मामी के आने की आवाज सुनाई दी तो मैंने आंखें खोली ही थीं लेकिन उस वक्त मेरे हाथ में मेरा लंड था और मेरे लंड से वीर्य क
कुछ दिन बीत जाने के बाद नानी ने मेरी मां के पास फोन किया और मेरे आने के बारे में पूछा क्योंकि मामा जी कुछ दिन के बाहर जा रहे थे और नानी ने मां को कह दिया कि वो मुझे यहां मामा के घर जल्दी ही भेज दें क्योंकि वहां पर घर की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. मां ने मेरे कपड़े पैक कर दिये और मैं वापस नानी के यहां आने के लिए तैयार हो गया.
मैं मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि अब मुझे मामी को चोदने का मन कर रहा था और मैं सोच रहा था कि अब ये मौका भी अच्छा हाथ लगा है क्योंकि मामा के रहते हुए तो मैं मामी से इस तरह की बात नहीं कर पाता. अब जो कि मामा बाहर जा रहे हैं तो मामी की चूत चुदाई का रास्ता भी मेरे लिए आसान हो जायेगा. मैं किसी ने किसी बहाने से मामी से उनके मन की इच्छा जान ही लूंगा.
मेरे नानी के यहां आने पर मामा जी तैयार हो गए और मैं उन्हें ट्रेन में बिठा कर वापस आ गया. शाम हुई तो खाना वगैरह खा कर फिर सोने की तैयारी होने लगी. मामी जी ना बोला कि रोहित तुम हमारे साथ ही सो जाओ, आज तो मामा जी भी नहीं है.
मैं तो जैसे मामी के मुंह से यही सुनना चाह रहा था. मैं झट से तैयार हो गया उनके साथ सोने के लिए. हम लोग मामी जी के साथ ही सोने लगे.
मामी एक साइड सो रही थी, मैं एक साइड में था और बीच में दोनों बच्चे सो रहे थे. अब मैं मामी जी के सोने का इंतजार कर रहा था.
रात को करीब 12:00 बजे जब मुझे विश्वास हो गया कि सब सो गए हैं तब मैं जागा और मामी जी के बगल में जाकर लेट गया और उनकी जांघ पर हाथ रख कर उनकी मांसल जाँघों को छूने लगा.
छूते ही मेरा लंड जैसे फटने को हो गया. मैं धीरे-धीरे जांघों पर हाथ फेरने लगा. मैं उनकी मैक्सी के ऊपर से ही हाथ फेरने में लगा था. मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा. मामी ने शायद पैंटी नहीं पहनी हुई थी. उनकी चूत की झांट मेरे हाथ पर महसूस हो रही थी. यह अहसास पाकर मैं तो जैसे पागल ही हो गया.
मैंने धीरे-धीरे मैक्सी को ऊपर उठाना शुरू किया और कमर तक मैक्सी ऊपर कर दी. अब मैं भूल चुका था कि अगर वह जाग गई तो कितना बड़ा कांड हो जाएगा. मैं तो हवस के चक्कर में पागल ही हो गया था.
मैंने अपना लौड़ा निकाला और उनकी जांघों पर फेरने लगा.
तभी थोड़ी सी हलचल हुई और मामी मेरी तरफ पीठ करके लेट गई. एक बार तो मैं घबरा गया … लेकिन मामी जगी नहीं थी शायद … इसलिए मैंने दोबारा से कोशिश करने के लिए सोचा.
मैं थोड़ा रुका और फिर अपना लौड़ा उनकी गांड पर रगड़ने लगा. मेरा मोटा और सख्त लंड उनको अपनी गांड पर शायद महसूस हुआ तो वो एकदम से उठ गई.
मैं भी झट से नीचे लेट गया. उसके बाद मैंने आंखें बंद कर लीं. मुझे डर लग रहा था. पता नहीं मामी ने क्या देखा और क्या नहीं. मगर जब मैंने दोबारा से आंखें खोलीं तो वो अपनी मैक्सी को अंधेरे में ही नीचे करके वापस लेट चुकी थी. मगर मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था. मैं सोच रहा था कि शायद ये मौका फिर नहीं मिलेगा.
कुछ समय बाद मैंने उनके मम्मों पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उन्हें दबाने लगा.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने मैक्सी ऊपर उठाई और जल्दी से लौड़ा निकाल कर उनकी चूत के छेद पर रख दिया. तभी मामी जग गई और मुझे देख कर एकदम सकपका गई और धीमी आवाज में चिल्लाते हुए गुस्से से बोली- यह क्या कर रहे हो रोहित? तुम्हें समझ नहीं आता? मैं तुम्हारी मामी हूं. यह सब जो तुम कर रहे हो, यह गलत है.
मामी का गुस्सा देख कर मेरी गांड फट गई और मैंने उनको सॉरी बोला और उठ कर कमरे से बाहर चला गया और सोफे पर लेट गया और वहीं लेटे लेटे सो गया. मुझे डर लग रहा था कि कहीं वह शिकायत ना कर दे.
फिर सुबह वह चाय लेकर आई और मुझे जगाया. मैंने उनकी तरफ देखा भी नहीं. मैं नजर नीचे करके चाय पीता रहा और वह मेरे सामने ही टेबल साफ कर रही थी तो उनके मम्मों के दर्शन होने लगे.
पता नहीं क्यों अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. जब भी उनको देखता था तो खुद को रोकना मुश्किल हो जाता था. उनके चूचों को देखते ही उस वक्त भी मेरा लौड़ा तो जैसे फटने को हो रहा था. मैं चाय बीच में ही रख कर बाथरूम की तरफ भागा.
मुझे एकदम से ऐसे अधूरी चाय छोड़ कर जाते हुए देख कर मामी ने पूछ लिया कि कहां जा रहे हो. मैंने बाथरूम में घुस कर मामी को अंदर से ही आवाज लगाई कि कुछ नहीं मामी, बस अभी आ रहा हूं वापस.
अंदर जाने के बाद मैं बाथरूम का गेट लगाना भूल गया और लंड की मुट्ठ मारने लगा. मेरी आंखें बंद थीं और मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था. पता नहीं कब मामी आ गई और उन्होंने मुझे देख लिया.
जब मुझे मामी के आने की आवाज सुनाई दी तो मैंने आंखें खोली ही थीं लेकिन उस वक्त मेरे हाथ में मेरा लंड था और मेरे लंड से वीर्य क