लंड से वीर्य की पिचकारी निकल रही थी. मामी ने मुझे इसी हालत में देख लिया.
उन्होंने हैरानी से मेरे लंड की तरफ देखा और फिर मेरे चेहरे की तरफ. फिर वो चली गईं.
मैंने सोचा कि मेरी किस्मत ही खराब है. मामी ने मेरा लंड देख कर भी कोई रिएक्शन नहीं दिया. अगर आज मामी गर्म हो जाती तो आज तो बाथरूम में ही मामी की चूत की चुदाई कर देनी थी मैंने।
मामी गेट बंद करके वापस चली गई रसोई में और मैं वापस आकर सोफे पर बैठ गया.
फिर हम लोगों ने ज्यादा कुछ बात नहीं की.
शाम को खाने के वक्त मामी ने सुबह वाली बात का जिक्र करते हुए कहा- सुबह के लिए सॉरी रोहित. मुझे ऐसे नहीं आना चाहिए था.
मैंने भी मामी को कह दिया- कोई बात नहीं मामी. मैं तो खुद आपसे कल रात के लिए माफी मांगने वाला था. मगर कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
मगर फिर मामी ने जो बोला … वो सुन कर मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ.
मामी ने कहा- कल की बात तो कल ही खत्म हो गई. अगर तुम्हारा मन करे तो तुम आज भी मेरे साथ ही सो सकते हो.
यह सुनते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने जल्दी से खाना खाया और अंदर जाकर लेट गया. मैं बस सोने की एक्टिंग कर रहा था. मैं तो असल में मामी के आने का इंतजार कर रहा था. मेरा लंड पहले से ही मामी की चूत के बारे में सोच कर तना हुआ था. मैंने अपने लंड को अंडरवियर में दबाया हुआ था ताकि मामी को मेरा तना हुआ लंड दिखाई न दे.
तभी मामी जी आई कमरे में और लाइट जलाई. तब तक बच्चे सो चुके थे और उन्हें लगा शायद मैं भी सो चुका हूं. मैं धीरे से आंख खोल कर देखा तो मामी अपने कपड़े उतार रही थी. वो अपने कपड़े उतार कर ब्रा और पैंटी में ही चादर के अंदर आ गई. उन्होंने लाइट बंद कर दी थी और कमरे में अंधेरा हो गया था.
मैं अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा. मैं जानता था कि अंधेरे में मामी को कुछ दिखाई नहीं पड़ेगा. वैसे भी मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था. मामी और मेरे बीच में पिछली रात की तरह बच्चे सो रहे थे.
एक दो घंटे के बाद भी मुझे नींद नहीं आई और मैं कल रात की तरह ही उठ कर मामी के बगल में जाकर लेट गया. मैंने धीरे से मामी के तन से चादर को हटाया और उनके बदन पर हाथ फिराने लगा. आज मामी कोई हलचल नहीं कर रही थी. मेरे लंड का बुरा हाल होने लगा. मैंने मामी के चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. मामी ने तब भी कोई हरकत नहीं की.
अब मेरी हिम्मत भी बढ़ गई थी. मैंने मामी की पैंटी को मसला और उनकी चूत को छूते ही मैं बेकाबू हो गया. मैंने मामी की पैंटी को खींच कर नीचे करने की कोशिश की तो मामी ने अपनी गांड को हल्के से उठा लिया और मैं समझ गया कि मामी की तरफ से भी लाइन क्लियर है.
बस फिर क्या था … मैं मामी पर टूट पड़ा, उनके चूचों को चूसने काटने लगा और मामी मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. उनके गुदाज बदन को छूकर मैं बेकाबू हो गया था और मैंने झट से अपने लंड को निकाल कर मामी की चूत में लगा दिया.
लंड को चूत में लगा कर मैंने एक झटका मारा और मेरा लंड मामी की चूत में घुस गया. मामी ने जरा सी भी हरकत नहीं की. मेरा लंड मामी की चूत में मैंने पूरा उतार दिया. फिर मैं धीरे-धीरे उनकी चूत में धक्के मारने लगा. मैं भी कोई आवाज नहीं कर रहा था क्योंकि साथ में ही बच्चे भी सो रहे थे.
मैंने पांच मिनट तक मामी की चुदाई की और फिर मेरा वीर्य निकल गया. फिर मामी ने मेरे कान के पास मुंह लाकर मुझे वापस जाने के लिए कह दिया.
मगर मुझे अभी भी नींद नहीं आ रही थी. इतने दिनों के बाद मुझे मामी की चूत मिली थी. मैंने सुबह के करीब तीन बजे फिर से मामी को जगाया और हम दोनों चुपके से उठ कर बाथरूम में चले गये.
वहां जाते ही हमने धीरे से दरवाजा बंद किया और एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मैंने मामी के पूरे बदन को चूसा और चाटा और फिर उनकी चूत में उंगली दे दी. मामी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और फिर मैंने उनको दीवार के सहारे लगा कर उनकी चूत में लंड को पेल दिया.
मैं मामी को वहीं दीवार के सहारे लगा कर चोदने लगा. मैंने दस मिनट तक मामी की चुदाई की और फिर मैं दूसरी बार मामी की चूत में झड़ गया. फिर हम दोनों चुपके से आकर लेट गये.
सुबह जब मामी चाय देने आई तो वह मुस्करा रही थी. जब वो मेरे करीब आई तो मैंने मामी के चूचों को नजर बचाकर छू लिया और मामी ने मेरा हाथ झटक दिया. मामी को शायद डर था कि घर में कोई देख लेगा. उसके बाद मैंने मामी की चूत कई बार चोदी.
अब मामी भी खुश रहने लगी थी. हमें जब भी मौका मिलता था हम चुदाई कर लेते थे.
फिर जब मामा वापस आ गये तो हमें मौका मिलना बंद हो गया. मगर हम दोनों ही इस बात के इंतजार में रहते थे कि कब हमें चुदाई करने का मौका मिलेगा. मामी मेरा लंड लेकर खुश रहने लगी थी और मैं भी मामी की मामी की चुदाई करके मजे लेता रहा.
उन्होंने हैरानी से मेरे लंड की तरफ देखा और फिर मेरे चेहरे की तरफ. फिर वो चली गईं.
मैंने सोचा कि मेरी किस्मत ही खराब है. मामी ने मेरा लंड देख कर भी कोई रिएक्शन नहीं दिया. अगर आज मामी गर्म हो जाती तो आज तो बाथरूम में ही मामी की चूत की चुदाई कर देनी थी मैंने।
मामी गेट बंद करके वापस चली गई रसोई में और मैं वापस आकर सोफे पर बैठ गया.
फिर हम लोगों ने ज्यादा कुछ बात नहीं की.
शाम को खाने के वक्त मामी ने सुबह वाली बात का जिक्र करते हुए कहा- सुबह के लिए सॉरी रोहित. मुझे ऐसे नहीं आना चाहिए था.
मैंने भी मामी को कह दिया- कोई बात नहीं मामी. मैं तो खुद आपसे कल रात के लिए माफी मांगने वाला था. मगर कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी.
मगर फिर मामी ने जो बोला … वो सुन कर मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ.
मामी ने कहा- कल की बात तो कल ही खत्म हो गई. अगर तुम्हारा मन करे तो तुम आज भी मेरे साथ ही सो सकते हो.
यह सुनते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने जल्दी से खाना खाया और अंदर जाकर लेट गया. मैं बस सोने की एक्टिंग कर रहा था. मैं तो असल में मामी के आने का इंतजार कर रहा था. मेरा लंड पहले से ही मामी की चूत के बारे में सोच कर तना हुआ था. मैंने अपने लंड को अंडरवियर में दबाया हुआ था ताकि मामी को मेरा तना हुआ लंड दिखाई न दे.
तभी मामी जी आई कमरे में और लाइट जलाई. तब तक बच्चे सो चुके थे और उन्हें लगा शायद मैं भी सो चुका हूं. मैं धीरे से आंख खोल कर देखा तो मामी अपने कपड़े उतार रही थी. वो अपने कपड़े उतार कर ब्रा और पैंटी में ही चादर के अंदर आ गई. उन्होंने लाइट बंद कर दी थी और कमरे में अंधेरा हो गया था.
मैं अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा. मैं जानता था कि अंधेरे में मामी को कुछ दिखाई नहीं पड़ेगा. वैसे भी मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था. मामी और मेरे बीच में पिछली रात की तरह बच्चे सो रहे थे.
एक दो घंटे के बाद भी मुझे नींद नहीं आई और मैं कल रात की तरह ही उठ कर मामी के बगल में जाकर लेट गया. मैंने धीरे से मामी के तन से चादर को हटाया और उनके बदन पर हाथ फिराने लगा. आज मामी कोई हलचल नहीं कर रही थी. मेरे लंड का बुरा हाल होने लगा. मैंने मामी के चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. मामी ने तब भी कोई हरकत नहीं की.
अब मेरी हिम्मत भी बढ़ गई थी. मैंने मामी की पैंटी को मसला और उनकी चूत को छूते ही मैं बेकाबू हो गया. मैंने मामी की पैंटी को खींच कर नीचे करने की कोशिश की तो मामी ने अपनी गांड को हल्के से उठा लिया और मैं समझ गया कि मामी की तरफ से भी लाइन क्लियर है.
बस फिर क्या था … मैं मामी पर टूट पड़ा, उनके चूचों को चूसने काटने लगा और मामी मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. उनके गुदाज बदन को छूकर मैं बेकाबू हो गया था और मैंने झट से अपने लंड को निकाल कर मामी की चूत में लगा दिया.
लंड को चूत में लगा कर मैंने एक झटका मारा और मेरा लंड मामी की चूत में घुस गया. मामी ने जरा सी भी हरकत नहीं की. मेरा लंड मामी की चूत में मैंने पूरा उतार दिया. फिर मैं धीरे-धीरे उनकी चूत में धक्के मारने लगा. मैं भी कोई आवाज नहीं कर रहा था क्योंकि साथ में ही बच्चे भी सो रहे थे.
मैंने पांच मिनट तक मामी की चुदाई की और फिर मेरा वीर्य निकल गया. फिर मामी ने मेरे कान के पास मुंह लाकर मुझे वापस जाने के लिए कह दिया.
मगर मुझे अभी भी नींद नहीं आ रही थी. इतने दिनों के बाद मुझे मामी की चूत मिली थी. मैंने सुबह के करीब तीन बजे फिर से मामी को जगाया और हम दोनों चुपके से उठ कर बाथरूम में चले गये.
वहां जाते ही हमने धीरे से दरवाजा बंद किया और एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मैंने मामी के पूरे बदन को चूसा और चाटा और फिर उनकी चूत में उंगली दे दी. मामी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और फिर मैंने उनको दीवार के सहारे लगा कर उनकी चूत में लंड को पेल दिया.
मैं मामी को वहीं दीवार के सहारे लगा कर चोदने लगा. मैंने दस मिनट तक मामी की चुदाई की और फिर मैं दूसरी बार मामी की चूत में झड़ गया. फिर हम दोनों चुपके से आकर लेट गये.
सुबह जब मामी चाय देने आई तो वह मुस्करा रही थी. जब वो मेरे करीब आई तो मैंने मामी के चूचों को नजर बचाकर छू लिया और मामी ने मेरा हाथ झटक दिया. मामी को शायद डर था कि घर में कोई देख लेगा. उसके बाद मैंने मामी की चूत कई बार चोदी.
अब मामी भी खुश रहने लगी थी. हमें जब भी मौका मिलता था हम चुदाई कर लेते थे.
फिर जब मामा वापस आ गये तो हमें मौका मिलना बंद हो गया. मगर हम दोनों ही इस बात के इंतजार में रहते थे कि कब हमें चुदाई करने का मौका मिलेगा. मामी मेरा लंड लेकर खुश रहने लगी थी और मैं भी मामी की मामी की चुदाई करके मजे लेता रहा.