Репост из: 『🖊️🖋️कलम-ए-इश्क🖋️🖊️』
•?((¯°·..• कलम-ए-इश्क •..·°¯))؟•
ये कैसा पल था,
जो एक पल भी ना रुका
ये कैसी पहेली है,
जो उलझनों में उलझ सी गई।।
ये कैसा दर्द था,
जो सीने में रह गया।।
सुकून की बाते थी, जिससे,
वो रंग देखा भी नहीं
और बेरंग कर गया।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️
ये कैसा पल था,
जो एक पल भी ना रुका
ये कैसी पहेली है,
जो उलझनों में उलझ सी गई।।
ये कैसा दर्द था,
जो सीने में रह गया।।
सुकून की बाते थी, जिससे,
वो रंग देखा भी नहीं
और बेरंग कर गया।।
-लफ़्ज-ए-प्रशान्त✍🏻
🖊️☕𝒦𝒶𝓁𝒶𝓂-𝒜𝑒-𝐼𝓈𝒽𝓀 ☕🖊️