मैं अपनी सहेली के घर नोट्स लेने गयी तो वो नहीं थी, उसके पापा थे. मैं नोट्स लेने सहेली के रूम में गयी और वापिस हाल में बैठ गयी. वहां मैंने टीवी चला लिया तो …
प्रिय पाठको, आपने मेरी पिछली कहानी
चूत चुदाई की हवस
पढ़ी. वो कहानी मेरी शादी के बाद की कहानी थी. आज मैं आपको अपनी कॉलेज की जिन्दगी में हुई
स्कूल खत्म करके मैंने कॉलेज में साइन्स में एड्मिशन ले लिया था. मेरे साथ सीमा, जो मेरी बचपन की सहेली है, उसने भी एड्मिशन लिया था.
उसके पापा और मेरे पापा साथ में ही काम करते थे. सीमा की फैमिली के लोग पास ही की सोसाइटी में रहते थे. हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थी तो एक दूसरे के घर जाना और रात को एक दूसरे के घर रुकना, हमारे लिए आम बात थी.
कॉलेज के हसीन दिन शुरू हो गए, बहुत सारे नए दोस्त भी बन गए थे, पर सीमा से मेरी दोस्ती कभी कम नहीं हुई.
इसी दौरान मेरी जिंदगी में एक लड़का आ गया. वह कॉलेज का सबसे हैंडसम लड़का था. मैं उसके प्यार में अंधी हो गयी थी. एक दो बार मैंने उसको अपना सब कुछ सौंप भी दिया था. हालांकि सीमा ने मुझे कई बार समझाया, पर मैंने उसकी एक भी नहीं सुनी. नितिन ने एक दो महीने मुझे भोगा और मुझे डंप कर दिया. मेरे उन मुश्किल दिनों में सीमा ने ही मुझे सहारा दिया और मुझे उस अंधेरे में से बाहर निकाला.
एक साल बीत गया और हमारी आगे की क्लास शुरू हो गयी. तीन महीने बाद हमारी दो तीन दिन की छुट्टी थी, तो मैं घर पर ही थी. मैं घर पर बैठे बैठे बोर हो रही थी तो मैंने मम्मी को बताया कि मैं सीमा के घर जा रही हूँ मुझे कुछ नोट्स लेने हैं. ये कह कर मैं घर से बाहर निकल आई.
सीमा के घर पर जाकर मैंने डोर बेल बजायी, पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला. मैं कुछ नाराज, कुछ मायूस होकर वापस जाने लगी, तभी घर का दरवाजा खुल गया. मैंने देखा कि सामने अंकल खड़े हुए थे. अंकल सिर्फ बनियान और टॉवल पहने हुए थे, बनियान से उनका चौड़ा सीना और मजबूत बाजू साफ दिख रहे थे. अंकल का पेट भी नहीं निकला था, शायद ये उनकी रोज की कसरत का असर था.
“अरे नीतू बेटा तुम!” अंकल बोले.
“अंकल … सीमा घर में है क्या?” मैंने पूछा.
“अरे वो तो मम्मी के साथ अपने मामा के घर गयी है.” अंकल ने बताया.
मैं चुप रही.
तो उन्होंने पूछा- कुछ काम था क्या?
“कुछ खास नहीं अंकल … नोट्स लेने थे.”
“अरे तो ढूंढ लो उसके रूम से … उसमें क्या बड़ी बात है.”
वैसे भी मैं उनके घर अक्सर आया करती थी, पर आज अंकल अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे. वैसे तो मेरा बदन गदराया हुआ है, क्लास की बाकी लड़कियों से मेरे मम्मे और कूल्हे कुछ ज्यादा ही बड़े हैं. अंकल भी बातें करते वक्त मेरे छाती के उभारों को चोरी चोरी घूर रहे थे.
“इट्स ओके अंकल … सीमा के आने के बाद में ले लूंगी.”
“अरे वह तो चार पांच दिन बाद आएगी … तुम चाहो तो उसके रूम में ढूंढ सकती हो.” अंकल बोले.
चार दिन मैं अपने पूरे नोट्स कम्पलीट कर लेती, इसलिए मैं नोट्स ढूंढने घर के अन्दर चली गई.
“तुम नोट्स ढूंढो … मैं शॉवर लेने जा रहा हूँ.”
यह बोलकर अंकल ने दरवाजा बंद किया और बाथरूम में चले गए.
मैं सीमा के कमरे में गयी, नोट्स ढूंढने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगा. मैं नोट्स लेकर हॉल में आ गई और अंकल के नहाकर वापस आने का इंतजार करने लगी. मैंने कुछ देर पेपर पढ़ा और फिर बोर होने के बाद रिमोट लेकर टीवी चालू किया.
टीवी पर का नजारा देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए. टीवी पर ब्लू फिल्म चालू थी, बाजू में सीडी प्लेयर चालू था. मतलब मेरे आने के वक्त अंकल ब्लू फिल्म देख रहे थे. मेरे आने के बाद उन्होंने हड़बड़ी में सिर्फ टीवी बंद कर दिया, पर सीडी प्लेयर बंद करना भूल गए.
मैंने भी झट से टीवी बंद कर दिया और बाथरूम की तरफ देखा, शॉवर की आवाज अभी भी आ रही थी.
मैंने कुछ पल ही फ़िल्म देखी थी, पर मेरा मन और देखने के लिए मचलने लगा था. अंकल ने पहले से ही सब दरवाजे खिड़कियां बंद करके रखे थे. मैं बाथरूम के पास गई और शॉवर की आवाज से अंदाज लगाया कि उन्हें और समय लगने वाला है. सोफे पर बैठते हुए मैंने थरथराते हुए हाथों से टीवी चालू किया, तो वो फ़िल्म फिर से शुरू हो गई.
मैंने टीवी की आवाज म्यूट कर दी.
फ़िल्म में एक आदमी एक लड़की की बुर चूस रहा था. नितिन के साथ किए हुए सेक्स में, उसने कभी मेरी बुर नहीं चाटी थी. वह आदमी अब उस लड़की की टांगों को फैलाते हुए अपनी जीभ उस लड़की की चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
यह सीन देख कर मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगीं. वैसे तो मैंने एक दो बार ब्लू फिल्म देखी थी, पर अकेले में देखी थी. पर आज की पोजीशन अलग थी. इस समय अंकल बाथरूम में थे और मैं उनके हॉल में बैठ कर ब्लू फिल्म देख रही थी. मैं तसल्ली के लिए एक बार और बाथरूम के पास जाकर चैक करती रही, शॉवर की आवाज अभी भी आ रही थी.
प्रिय पाठको, आपने मेरी पिछली कहानी
चूत चुदाई की हवस
पढ़ी. वो कहानी मेरी शादी के बाद की कहानी थी. आज मैं आपको अपनी कॉलेज की जिन्दगी में हुई
स्कूल खत्म करके मैंने कॉलेज में साइन्स में एड्मिशन ले लिया था. मेरे साथ सीमा, जो मेरी बचपन की सहेली है, उसने भी एड्मिशन लिया था.
उसके पापा और मेरे पापा साथ में ही काम करते थे. सीमा की फैमिली के लोग पास ही की सोसाइटी में रहते थे. हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थी तो एक दूसरे के घर जाना और रात को एक दूसरे के घर रुकना, हमारे लिए आम बात थी.
कॉलेज के हसीन दिन शुरू हो गए, बहुत सारे नए दोस्त भी बन गए थे, पर सीमा से मेरी दोस्ती कभी कम नहीं हुई.
इसी दौरान मेरी जिंदगी में एक लड़का आ गया. वह कॉलेज का सबसे हैंडसम लड़का था. मैं उसके प्यार में अंधी हो गयी थी. एक दो बार मैंने उसको अपना सब कुछ सौंप भी दिया था. हालांकि सीमा ने मुझे कई बार समझाया, पर मैंने उसकी एक भी नहीं सुनी. नितिन ने एक दो महीने मुझे भोगा और मुझे डंप कर दिया. मेरे उन मुश्किल दिनों में सीमा ने ही मुझे सहारा दिया और मुझे उस अंधेरे में से बाहर निकाला.
एक साल बीत गया और हमारी आगे की क्लास शुरू हो गयी. तीन महीने बाद हमारी दो तीन दिन की छुट्टी थी, तो मैं घर पर ही थी. मैं घर पर बैठे बैठे बोर हो रही थी तो मैंने मम्मी को बताया कि मैं सीमा के घर जा रही हूँ मुझे कुछ नोट्स लेने हैं. ये कह कर मैं घर से बाहर निकल आई.
सीमा के घर पर जाकर मैंने डोर बेल बजायी, पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला. मैं कुछ नाराज, कुछ मायूस होकर वापस जाने लगी, तभी घर का दरवाजा खुल गया. मैंने देखा कि सामने अंकल खड़े हुए थे. अंकल सिर्फ बनियान और टॉवल पहने हुए थे, बनियान से उनका चौड़ा सीना और मजबूत बाजू साफ दिख रहे थे. अंकल का पेट भी नहीं निकला था, शायद ये उनकी रोज की कसरत का असर था.
“अरे नीतू बेटा तुम!” अंकल बोले.
“अंकल … सीमा घर में है क्या?” मैंने पूछा.
“अरे वो तो मम्मी के साथ अपने मामा के घर गयी है.” अंकल ने बताया.
मैं चुप रही.
तो उन्होंने पूछा- कुछ काम था क्या?
“कुछ खास नहीं अंकल … नोट्स लेने थे.”
“अरे तो ढूंढ लो उसके रूम से … उसमें क्या बड़ी बात है.”
वैसे भी मैं उनके घर अक्सर आया करती थी, पर आज अंकल अजीब नजरों से मुझे देख रहे थे. वैसे तो मेरा बदन गदराया हुआ है, क्लास की बाकी लड़कियों से मेरे मम्मे और कूल्हे कुछ ज्यादा ही बड़े हैं. अंकल भी बातें करते वक्त मेरे छाती के उभारों को चोरी चोरी घूर रहे थे.
“इट्स ओके अंकल … सीमा के आने के बाद में ले लूंगी.”
“अरे वह तो चार पांच दिन बाद आएगी … तुम चाहो तो उसके रूम में ढूंढ सकती हो.” अंकल बोले.
चार दिन मैं अपने पूरे नोट्स कम्पलीट कर लेती, इसलिए मैं नोट्स ढूंढने घर के अन्दर चली गई.
“तुम नोट्स ढूंढो … मैं शॉवर लेने जा रहा हूँ.”
यह बोलकर अंकल ने दरवाजा बंद किया और बाथरूम में चले गए.
मैं सीमा के कमरे में गयी, नोट्स ढूंढने में मुझे ज्यादा समय नहीं लगा. मैं नोट्स लेकर हॉल में आ गई और अंकल के नहाकर वापस आने का इंतजार करने लगी. मैंने कुछ देर पेपर पढ़ा और फिर बोर होने के बाद रिमोट लेकर टीवी चालू किया.
टीवी पर का नजारा देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए. टीवी पर ब्लू फिल्म चालू थी, बाजू में सीडी प्लेयर चालू था. मतलब मेरे आने के वक्त अंकल ब्लू फिल्म देख रहे थे. मेरे आने के बाद उन्होंने हड़बड़ी में सिर्फ टीवी बंद कर दिया, पर सीडी प्लेयर बंद करना भूल गए.
मैंने भी झट से टीवी बंद कर दिया और बाथरूम की तरफ देखा, शॉवर की आवाज अभी भी आ रही थी.
मैंने कुछ पल ही फ़िल्म देखी थी, पर मेरा मन और देखने के लिए मचलने लगा था. अंकल ने पहले से ही सब दरवाजे खिड़कियां बंद करके रखे थे. मैं बाथरूम के पास गई और शॉवर की आवाज से अंदाज लगाया कि उन्हें और समय लगने वाला है. सोफे पर बैठते हुए मैंने थरथराते हुए हाथों से टीवी चालू किया, तो वो फ़िल्म फिर से शुरू हो गई.
मैंने टीवी की आवाज म्यूट कर दी.
फ़िल्म में एक आदमी एक लड़की की बुर चूस रहा था. नितिन के साथ किए हुए सेक्स में, उसने कभी मेरी बुर नहीं चाटी थी. वह आदमी अब उस लड़की की टांगों को फैलाते हुए अपनी जीभ उस लड़की की चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
यह सीन देख कर मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगीं. वैसे तो मैंने एक दो बार ब्लू फिल्म देखी थी, पर अकेले में देखी थी. पर आज की पोजीशन अलग थी. इस समय अंकल बाथरूम में थे और मैं उनके हॉल में बैठ कर ब्लू फिल्म देख रही थी. मैं तसल्ली के लिए एक बार और बाथरूम के पास जाकर चैक करती रही, शॉवर की आवाज अभी भी आ रही थी.