तु क्या चहाता हे ये समझ नहीं आता ़।।
तु मुझसे ईश्क करता है या ढोंग,
तेरी...
इन आँखों की चमक से दीखाई नहीं देता ़।।
...या.....
तेरे लिए मेरा ईश्क ,, तेरे इस ढोंग को जान कर भी अनजान कर देता है....़़।।।
मानसी !!
तु मुझसे ईश्क करता है या ढोंग,
तेरी...
इन आँखों की चमक से दीखाई नहीं देता ़।।
...या.....
तेरे लिए मेरा ईश्क ,, तेरे इस ढोंग को जान कर भी अनजान कर देता है....़़।।।
मानसी !!