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"ऐब" भी बहुत हैं मुझमें, और "खूबियां" भी,

ढूँढने वाले तूं सोच, तुझे चाहिए क्या मुझमें...


आग में सिर्फ लकड़ियां ही नहीं......
सपने, उम्मीदें, रिश्ते और अपने भी जलते हैं।

कुछ आग ऐसी भी होती है पूरा जीवन ख़ाक कर देती है ,
जिसकी लपट मैं झुलस जाते हैं कई कोमल मन
जो फिर कभी हरे नहीं होते।


अजीब है दुनिया का दस्तूर।

ख़ुश रहने से ज्यादा खुश दिखना जरूरी हो गया।😔


मैंने देखी एक बन्द खिड़की
मैं वहाँ से जीवन चाहता था
पर मैं उसे खोल नही सकता था
मैं बस उम्मीद से उसे देखता रह गया
और फिर अचानक एक रात हवा ने
खिड़की खोल दी
और खिड़की से बहकर आने लगा
अपनापन
अब खिड़की,कमरा,दरवाजे और मैं
सब एक हो गए हैं
उम्मीद ने हमेशा से ही अपने रास्ते बनाये हैं!


शेष क्या है अब...मर्माहत मन,कुछ सपने,कुछ उम्मीदें...टूटती हुई और उदास जिंदगी जो बस मुस्कराते मुस्कराते रह गयी!😁


इतने ऊँचे उठो कि जितना उठा गगन है।

देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से
सिंचित करो धरा, समता की भाव वृष्टि से
जाति भेद की, धर्म-वेश की
काले गोरे रंग-द्वेष की
ज्वालाओं से जलते जग में
इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है॥


कहाँ तक ये मन को अंधेरे छलेंगे
उदासी भरे दिन कभीं तो ढलेंगे

कभी सुख कभी दुख, यही ज़िंदगी हैं
ये पतझड़ का मौसम घड़ी दो घड़ी हैं........


झूठ की दरारों के नाते रिश्तों की पूरी जमीन नदी में धँस जाती है...!

और अब वक़्त है सब कुछ,खुद को,रोशनी को बचाने का।

टूटी उम्मीदों को रफू करने का,मुस्कराने का...!😊


बिन सफ़र, बिन मंज़िलों का एक रास्ता होना चाहता हूँ।

कहीं दूर किसी जंगल में, ठहरा दरिया होना चाहता हूँ।

एक ज़िन्दगी होना चाहता हूँ, बिना रिश्तों और रिवाजों की।

दूर आसमान से गिरते, झरने में कहीं खोना चाहता हूँ।

मैं आज 'मैं होना चाहता हूँ।


कितना आसान है यूँ बिखर जाना भी
ये दिन कभी हवा,कभी आँखे,कभी आँसू,कभी मुस्कान,कभी मृत्यु हो रही है और ये मन किसी समन्दर के खारेपन में डूबा कोई शंख
जिसकी ध्वनि गूंजती है कानो में
और सुनाई पड़ते हैं तुम्हारे जाते हुए पदचाप
मैं जानता हूँ...😔


अभिव्यक्ति वो...
जिसे शब्दों की आवश्यकता न हो

स्पर्श वो...
जिसकी कोई पराकाष्ठा न हो


जो आप आगे बढ़ोगे तो सब कुछ छूटता चला जायेगा, मित्र छूट जायेंगे, संबंध टूट जायेंगे, जो कुछ रह जायेगा तो वो होगा आपका अकेलापन, पर एक पड़ाव होगा सफलता का...!!!


हसरतें कुछ और हैं,
वक्त की इल्तजा कुछ और है..

कौन जी सका है,
ज़िन्दगी अपने मुताबिक..

दिल चाहता कुछ और है,
होता कुछ और है..!!❤️


जिंदगी में भागे जा रहे हैं,
कामयाबी की तलाश में...

सुकून से ही दूर जा रहे हैं,
सुकून की तलाश में....!!


जो आप आगे बढ़ोगे तो सब कुछ छूटता चला जायेगा, मित्र छूट जायेंगे, संबंध टूट जायेंगे, जो कुछ रह जायेगा तो वो होगा आपका अकेलापन, पर एक पड़ाव होगा सफलता का...!!!


अपने आप को इस तरह बनाएँ...
कि
आप हमेशा समाधान का हिस्सा हों,
समस्या का नहीं.


हर जीत इक सिक्के के, दो पहलू हैं
इक जीत से हर जीत, निश्चित नहीं है

इक हार से दुनियां, कभी ख़त्म नहीं है
जीत के गुरूर पे इतराना, सही नहीं हैं

हार के ग़म से मुंह छुपाना, सही नहीं हैं
जीत का गुरूर पतन का, मार्ग बने हैं...

हार के डर से जीत का, मार्ग ही बने हैं
जीत पे भी जो विन्रम है, वहीं जीत है...


अतीत को ही भूलना

उससे मिले अनुभव को नही ...!!


सूरज निकला,आशा निकली,उम्मीदों के पर निकले....

#उम्मीदों


रंगमंच जैसी जिंदगी हो गई है
कभी हंस के दिखाना है
कभी रो कर,
क्यूंकि बिना बात हंस भी नहीं सकते
दर्शकों को बुरा लग सकता
अरे! तुम टुच्चे कलाकार तुमको पटकथा के अनुसार ही भावभंगिमा रखनी है
जितना किरदार है उतना करो और चलते बनो
पर कलाकार के मन का क्या?
उसके अंदर का गुबार कब बाहर आयेगा?

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