"कभी दरियादिल बनकर देखना तुम
मुहब्बत भी लुटा कर देखना तुम।
नहीं परवाह जिनको अब तुम्हारी
नजर उनसे मिलाकर देखना तुम।
मिटेंगे फासले आसमां जमीं के
जरा नफ़रत भुलाकर देखना तुम।
शिकायत है अगर कह दो उसे तुम
कभी चुप्पी हटाकर देखना तुम।
मिलेगी तब खुशी कृष्णा सभी को
दिलों में प्यार भरकर देखना तुम।"
-कृष्ण कान्त बडोनी
मुहब्बत भी लुटा कर देखना तुम।
नहीं परवाह जिनको अब तुम्हारी
नजर उनसे मिलाकर देखना तुम।
मिटेंगे फासले आसमां जमीं के
जरा नफ़रत भुलाकर देखना तुम।
शिकायत है अगर कह दो उसे तुम
कभी चुप्पी हटाकर देखना तुम।
मिलेगी तब खुशी कृष्णा सभी को
दिलों में प्यार भरकर देखना तुम।"
-कृष्ण कान्त बडोनी