"जीतने की उम्मीद नजर नहीं आती।
मरने की वजह नजर नहीं आती।
बेताब हूँ मंजिल पर पहुँचने के लिए,
पर मंजिल तक पहुँचने की राह नजर नहीं आती।
हाल-ए-दिल मेरा कैसे बयाँ करूँ,
कोई प्रेरित शख्स की नजर, नजर नहीं आती,
जिस पर बैठ कर देखा था आसमाँ में सितारों को,
पेड़ पर वो डाल नजर नहीं आती।
एक विश्वास ने सिखाया था जिंदगी जीने का हुनर
उस हुनर में फिर भी तब्दीलियाँ नजर नहीं आती
जीतने की उम्मीद नजर नहीं आती।
मरने की वजह नजर नहीं आती।"
-प्रकाश यादव "प्रयागी"
मरने की वजह नजर नहीं आती।
बेताब हूँ मंजिल पर पहुँचने के लिए,
पर मंजिल तक पहुँचने की राह नजर नहीं आती।
हाल-ए-दिल मेरा कैसे बयाँ करूँ,
कोई प्रेरित शख्स की नजर, नजर नहीं आती,
जिस पर बैठ कर देखा था आसमाँ में सितारों को,
पेड़ पर वो डाल नजर नहीं आती।
एक विश्वास ने सिखाया था जिंदगी जीने का हुनर
उस हुनर में फिर भी तब्दीलियाँ नजर नहीं आती
जीतने की उम्मीद नजर नहीं आती।
मरने की वजह नजर नहीं आती।"
-प्रकाश यादव "प्रयागी"