"इसी से जान गया मैं कि बख़्त ढलने लगे
मैं थक के छाँव में बैठा तो पेड़ चलने लगे
मैं दे रहा था सहारे तो इक हुजूम में था
जो गिर पड़ा तो सभी रास्ता बदलने लगे"
- फ़रहत अब्बास शाह
मैं थक के छाँव में बैठा तो पेड़ चलने लगे
मैं दे रहा था सहारे तो इक हुजूम में था
जो गिर पड़ा तो सभी रास्ता बदलने लगे"
- फ़रहत अब्बास शाह