कितने हमदर्द मिले, दोस्त मिले, यार मिले
सब उभरते हुए सूरज के परस्तार मिले
जिंदगी तूं हमें बाजार में क्यों ले आई
हम तो यूसुफ भी नहीं कोई खरीदार मिले
सब उभरते हुए सूरज के परस्तार मिले
जिंदगी तूं हमें बाजार में क्यों ले आई
हम तो यूसुफ भी नहीं कोई खरीदार मिले