मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं
शायद...
वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते
हैं.
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के
खंजर,
रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।
❤️❤️
शायद...
वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते
हैं.
मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के
खंजर,
रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।
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