चन्द्रशेखर आज़ाद से सम्बंधित 9 अनजाने एवं रोचक तथ्य-
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1.चन्द्रशेखर आज़ाद केवल 14 वर्ष के थे जब उन्होंने 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया था| उनकी बुद्धिमत्ता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब इस आंदोलन में भाग लेने पर अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो जज ने उनसे उनके तथा उनके पिता के नाम के बारे में सवाल किया तो जवाब में चन्द्रशेखर ने कहा, “मेरा नाम आज़ाद है, मेरा पिता का नाम स्वतंत्रता और पता कारावास है”| इसी घटना के बाद से उन्हें चंद्रशेखर आजाद के नाम से जाना जाने लगा |
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2.वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी थे जिन्होंने देश के लाखों युवाओं को प्रेरित किया| वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से एक थे| वर्ष 1922 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन अचानक बंद करने की घोषणा की उस समय उनकी विचारधारा में बदलाव आया| वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये|
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3.इस संस्था के साथ जुड़ कर उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड को अंजाम दिया तथा गिरफ़्तारी से बचने के लिए फरार हो गये थे |
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4.चन्द्रशेखर आज़ाद ने झांसी के पास एक मंदिर में 8 फीट गहरी और 4 फीट चौड़ी गुफा बनाई थी जहां वे सन्यासी के वेश में रहा करते थे| ऐसा माना जाता है कि जब अंग्रेजों को उनके इस गुप्त ठिकाने के बारे में पता चला तो वे स्त्री का वेश बनाकर अंग्रजों को चकमा देने में कामयाब रहे|
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5.जलियांवाला गोली काण्ड के पश्चात् चंद्रशेखर आजाद ने मध्य प्रदेश के झाबुआ क्षेत्र के आदिवासियों से तीरंदाजी का प्रशिक्षण लिया था| वे सदैव अपने साथ एक माउजर (ऑटोमेटिक पिस्टल) रखते थे| ऐसा भी माना जाता है कि आज़ाद रूस जाकर स्टालिन से मदद लेना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने जवाहर लाल नेहरु से 1200 की सहायता राशि की मांग की थी|
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6.आज़ाद ने अपनी सभी फोटो को नष्ट करना चाहा क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी फोटो अंग्रेजों के हाथ ना लगे| उन्होंने अपने एक दोस्त को झांसी भेजा ताकि अंतिम फोटो की प्लेट नष्ट हो जाए लेकिन वह नहीं टूटी सकी|
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7.उनकी अंतिम मुठभेड़ के बारे में सर्वविदित है कि इलाहाबाद की एक पार्क में पुलिस ने उन्हें घेर लिया और उन पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं| दोनों ओर से लम्बे समय तक मुठभेड़ चलती रही| चंद्रशेखर आज़ाद एक पेड़ की ओट से पुलिस से बचने के लिए गोलियां चलाते रहे|
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8.अपने पास गोलियां समाप्त होते देख उन्होंने अंतिम निर्णय लिया| उन्होंने अंग्रेजों के हाथ कभी भी जीवित गिरफ्तार नहीं होने की अपनी प्रतिज्ञा पर कायम रहते हुए अंतिम कारतूस से स्वयं को गोली मार ली|
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9.इलाहाबाद के पार्क में उनका निधन हुआ, उस पार्क को स्वतंत्रता के बाद चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया| मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका नाम धिमारपुरा से बदलकर आजादपुरा रखा गया|
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1.चन्द्रशेखर आज़ाद केवल 14 वर्ष के थे जब उन्होंने 1921 में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया था| उनकी बुद्धिमत्ता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब इस आंदोलन में भाग लेने पर अंग्रेजों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया तो जज ने उनसे उनके तथा उनके पिता के नाम के बारे में सवाल किया तो जवाब में चन्द्रशेखर ने कहा, “मेरा नाम आज़ाद है, मेरा पिता का नाम स्वतंत्रता और पता कारावास है”| इसी घटना के बाद से उन्हें चंद्रशेखर आजाद के नाम से जाना जाने लगा |
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2.वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख सेनानी थे जिन्होंने देश के लाखों युवाओं को प्रेरित किया| वे पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल व सरदार भगत सिंह सरीखे क्रान्तिकारियों के अनन्यतम साथियों में से एक थे| वर्ष 1922 में जब महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन अचानक बंद करने की घोषणा की उस समय उनकी विचारधारा में बदलाव आया| वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसियेशन के सक्रिय सदस्य बन गये|
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3.इस संस्था के साथ जुड़ कर उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 9 अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड को अंजाम दिया तथा गिरफ़्तारी से बचने के लिए फरार हो गये थे |
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4.चन्द्रशेखर आज़ाद ने झांसी के पास एक मंदिर में 8 फीट गहरी और 4 फीट चौड़ी गुफा बनाई थी जहां वे सन्यासी के वेश में रहा करते थे| ऐसा माना जाता है कि जब अंग्रेजों को उनके इस गुप्त ठिकाने के बारे में पता चला तो वे स्त्री का वेश बनाकर अंग्रजों को चकमा देने में कामयाब रहे|
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5.जलियांवाला गोली काण्ड के पश्चात् चंद्रशेखर आजाद ने मध्य प्रदेश के झाबुआ क्षेत्र के आदिवासियों से तीरंदाजी का प्रशिक्षण लिया था| वे सदैव अपने साथ एक माउजर (ऑटोमेटिक पिस्टल) रखते थे| ऐसा भी माना जाता है कि आज़ाद रूस जाकर स्टालिन से मदद लेना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने जवाहर लाल नेहरु से 1200 की सहायता राशि की मांग की थी|
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6.आज़ाद ने अपनी सभी फोटो को नष्ट करना चाहा क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनकी फोटो अंग्रेजों के हाथ ना लगे| उन्होंने अपने एक दोस्त को झांसी भेजा ताकि अंतिम फोटो की प्लेट नष्ट हो जाए लेकिन वह नहीं टूटी सकी|
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7.उनकी अंतिम मुठभेड़ के बारे में सर्वविदित है कि इलाहाबाद की एक पार्क में पुलिस ने उन्हें घेर लिया और उन पर गोलियां दागनी शुरू कर दीं| दोनों ओर से लम्बे समय तक मुठभेड़ चलती रही| चंद्रशेखर आज़ाद एक पेड़ की ओट से पुलिस से बचने के लिए गोलियां चलाते रहे|
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8.अपने पास गोलियां समाप्त होते देख उन्होंने अंतिम निर्णय लिया| उन्होंने अंग्रेजों के हाथ कभी भी जीवित गिरफ्तार नहीं होने की अपनी प्रतिज्ञा पर कायम रहते हुए अंतिम कारतूस से स्वयं को गोली मार ली|
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9.इलाहाबाद के पार्क में उनका निधन हुआ, उस पार्क को स्वतंत्रता के बाद चंद्रशेखर आजाद पार्क रखा गया| मध्य प्रदेश के जिस गांव में वह रहे थे उसका नाम धिमारपुरा से बदलकर आजादपुरा रखा गया|
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