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A ᴄᴏʟʟᴇᴄᴛɪᴏɴ ᴏꜰ ꜰᴀᴍᴏᴜꜱ ᴀɴᴅ ɪɴꜱᴩɪʀᴀᴛɪᴏɴᴀʟ qᴜᴏᴛᴇꜱ, sayingꜱ ᴀɴᴅ ᴄɪᴛᴀᴛɪᴏɴꜱ ᴩʟᴀᴄᴇᴅ ɪɴ ᴩʜᴏᴛᴏɢʀᴀᴩʜꜱ

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ये कविता मुझे आज कल के माहोल पे एकदम सही लगती है 👇

यह कविता जिसने भी लिखी है अद्भुत लिखी है।

*कहाँ पर बोलना है*
*और कहाँ पर बोल जाते हैं।*
*जहाँ खामोश रहना है*
*वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।*

*कटा जब शीश सैनिक का*
*तो हम खामोश रहते हैं।*
*कटा एक सीन पिक्चर का*
*तो सारे बोल जाते हैं।।*

*नयी नस्लों के ये बच्चे*
*जमाने भर की सुनते हैं।*
*मगर माँ बाप कुछ बोले*
*तो बच्चे बोल जाते हैं।।*

*बहुत ऊँची दुकानों में*
*कटाते जेब सब अपनी।*
*मगर मज़दूर माँगेगा*
*तो सिक्के बोल जाते हैं।।*

*अगर मखमल करे गलती*
*तो कोई कुछ नहीँ कहता।*
*फटी चादर की गलती हो*
*तो सारे बोल जाते हैं।।*

*हवाओं की तबाही को*
*सभी चुपचाप सहते हैं।*
*च़रागों से हुई गलती*
*तो सारे बोल जाते हैं।।*

*बनाते फिरते हैं रिश्ते*
*जमाने भर से अक्सर हम*
*मगर घर में जरूरत हो*
*तो रिश्ते भूल जाते हैं।।*

*कहाँ पर बोलना है*
*और कहाँ पर बोल जाते हैं*
*जहाँ खामोश रहना है*
*वहाँ मुँह खोल जाते हैं।।*

✍अज्ञात✍

🙏🙏🙏🙏🙏

यह कविता बार बार पढ़े।
आपको हर बार एक नया अहसास होगा


Success Story: 12वीं में हुआ था फेल, गर्लफ्रेंड का मांगा साथ और फिर बन गया IPS

मनोज शर्मा जिस लड़की से प्यार करते थे शुरुआत में उससे दिल की बात भी नहीं कह सके थे. उन्हें डर था वो ये कह न दे 12वीं फेल हो. इसलिए फिर पढ़ाई शुरू की.


IPS Success Story: आप हर दिन सक्सेस स्टोरी के जरिए एक ऐसी हस्ती से रूबरू होते हैं, जिसने देश की प्रतिष्ठित परीक्षा में कामयाबी पाई हो. हर हस्ती की कहानी संघर्ष के अलग-अलग पायदान को बयां कर प्रेरित करती है. आज की सक्सेस स्टोरी के जरिए मिलिए मनोज शर्मा से. मनोज की कहानी से आप जानेंगे, हम एक बार कुछ ठान लें तो उसे कर पाने का हर नामुमकिन रास्ता भी पार कर जाते हैं. मनोज 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से IPS ऑफिसर हैं.

शुरुआती पढ़ाई

मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में जन्मे मनोज 12वीं तक पढ़ाई में मामूली छात्र रहे. वे नौवीं, दसवीं और 11वीं में थर्ड डिवीजन से पास हुए. 12वीं में नकल नहीं कर पाए तो फेल हो गए थे. एक वीडियो इंटरव्यू के जरिए उन्होंने बताया, उनका प्लान 12वीं में जैसे-तैसे पास होकर, टाइपिंग सीखकर कहीं न कहीं जॉब ढूंढने का था. उन्होंने 12वीं की परीक्षा में नकल करने का भी पूरा प्लान बना रखा था. लेकिन एसडीएम ने स्कूल में सख्ती की और नकल नहीं होने दी. तब मनोज को लगा ऐसा पॉवरफुल आदमी कौन है जिसकी बात सब मान रहे हैं. उन्हें भी ऐसा ही बनना है.

एसडीएम से पहली मुलाकात

12वीं में फेल होने के बाद मनोज अपने भाई के साथ टेंपो चलाते थे. एक दिन टेंपो पकड़ गया. एसडीएम से मिलकर टेंपो छुड़ाने की बात करनी थी. मनोज उनसे मिलने तो गए लेकिन टेंपो छुड़वाने की बात करने की बजाय ये पूछा, आपने तैयारी कैसे की. तय कर लिया, अब यही बनेंगे.

अपने घर ग्वालियर वापस आए. पैसे की तंगी थी. खाना तक न होने का वक्त भी देखा. फिर लाइब्रेरियन कम चपरासी का काम मिला. कवियों या विद्वानों की सभाओं में बिस्तर बिछाने, पानी पिलाने का काम भी किया. तैयारी शुरू की. एसडीएम ही बनना था लेकिन तैयारी धीरे-धीरे उच्च लेवल की करने लगे.

12वीं फेल का ठप्पा

12वीं फेल का ठप्पा पीछा नहीं छोड़ता था. जिस लड़की से प्यार किया, उससे भी दिल की बात न कह सके. डर था वो ये कह न दे 12वीं फेल हो. इसलिए फिर से पढ़ाई शुरू की. संघर्ष कर दिल्ली आए. पैसों की जरूरत थी. बड़े घरों में कुत्ते टहलाने का काम मिला. 400 रुपये प्रति कुत्ता खर्च मिलता था.

बिना फीस एडमिशन, लड़की का साथ

विकास दिव्यकीर्ति नाम के शिक्षक ने बिना फीस एडमिशन दिया. पहले अटेंप्ट में प्री क्लीयर किया. लेकिन दूसरे, तीसरे अटेंप्ट तक प्यार में था. जिस लड़की से प्यार करता था उससे कहा कि तुम हां करो, साथ दो तो दुनिया पलट सकता हूं. फिर चौथे अटेम्प्ट में  यूपीएससी की परीक्षा 121वीं रैंक के साथ पास कर आईपीएस बना. बता दें कि मनोज ग्वालियर से पोस्ट-ग्रैजुएशन करने के बाद पीएचडी भी पूरी कर चुके हैं.

मनोज शर्मा पर अनुराग पाठक ‘12th फेल, हारा वही जो लड़ा नहीं’ शीर्षक से किताब लिख चुके है. अनुराग ने एक इंटरव्यू में कहा, इनकी कहानी लिखने के पीछे बच्चों को प्रेरित करने का उद्देश्य है. बता दें कि 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस बने मनोज मुंबई में एडिशनल कमिश्रनर ऑफ वेस्ट रीजन के पद पर तैनात हैं.
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@good_thought


Video oldindan ko‘rish uchun mavjud emas
Telegram'da ko‘rish
बदलाव से डरों मत,
जितना जल्दी बदलाव को
स्वीकार करोगे...
जिंदगी में कुछ कर पाओगे l
😊😊😊

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༺Ꭻᴏɪɴ➛ @good_Thought
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आई है सुबह वो रोशनी लेके,
जैसे नए जोश की नयी किरण चमके,
विश्वास की लौ सदा जला के रखना,
देगी अंधेरों में रास्ता आपको दीया बनके।
शुभ प्रभात


जो मुस्कुरा रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा,
जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा..
बिना संघर्ष के इन्सान चमक नही सकता,
जो जलेगा उसी दिये में तो, उजाला होगा...


अकेला ना समझ खुद को
रास्ता वही दिखाता है,
एक दरवाजा बंद होता है,
तो दूसरा खुल जाता है..!!


किसी के, मैं हूं ना,
कहने से सिर्फ हौसला बढ़ता है,
सच्चाई यह है,
अंधेरे में अपना साया भी साथ
छोड़ जाता है..!!


कभी टूटते हैं,
तो कभी बिखरते हैं…!!!
विपत्तियों में ही इन्सान,
ज्यादा निखरते हैं...!!!


आमदनी कम हो तो "ख़र्चों" पर क़ाबू रखिए__
जानकारी कम हो तो "लफ़्ज़ों" पर क़ाबू रखिए__


मुझे पता नहीं पाप पुण्य क्या है..
बस इतना पता है
जिस शब्द से किसी का दिल दुखे वो पाप है..
और जिस किसी के चेहरे पर हंसी आये वो पुण्य है..

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@Good_thought


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ईर्ष्या और हमारा जीवन


🌷एक बार एक महात्मा ने अपने शिष्यों से कहा कि वे कल प्रवचन में अपने साथ एक थैली में कुछ आलू 🥔भरकर लाएं। साथ ही निर्देश भी दिया कि उन आलुओं पर उस व्यक्ति का नाम लिखा होना चाहिए जिनसे वे ईर्ष्या करते हैं। अगले दिन किसी शिष्य ने चार आलू, किसी ने छह तो किसी ने आठ आलू लाए। प्रत्येक आलू पर उस व्यक्ति का नाम लिखा था जिससे वे नफरत करते थे।

अब महात्मा जी ने कहा कि अगले सात दिनों तक आपलोग ये आलू हमेशा अपने साथ रखें। शिष्यों को कुछ समझ में नहीं आया कि महात्मा जी क्या चाहते हैं, लेकिन सबने आदेश का पालन किया। दो-तीन दिनों के बाद ही शिष्यों को कष्ट होने लगा। जिनके पास ज्यादा आलू थे, वे बड़े कष्ट में थे। किसी तरह उन्होंने सात दिन बिताए और महात्मा के पास पहुंचे। महात्मा ने कहा, ‘अब अपनी-अपनी थैलियां निकाल कर रख दें।’ शिष्यों ने चैन की सांस ली। महात्मा जी ने विगत सात दिनों का अनुभव पूछा। शिष्यों ने अपने कष्टों का विवरण दिया। उन्होंने आलुओं की बदबू से होने वाली परेशानी के बारे में बताया। सभी ने कहा कि अब बड़ा हल्का महसूस हो रहा है।…

महात्मा ने कहा, ‘जब मात्र सात दिनों में ही आपको ये आलू बोझ लगने लगे, तब सोचिए कि आप जिन व्यक्तियों से ईर्ष्या या नफरत करते हैं, आपके मन पर उनका कितना बड़ा बोझ रहता होगा। और उसे आप जिंदगी भर ढोते रहते हैं। सोचिए, ईर्ष्या के बोझ से आपके मन और दिमाग की क्या हालत होती होगी?

ईर्ष्या के अनावश्यक बोझ के कारण आपलोगों के मन में भी बदबू भर जाती है, ठीक उन आलुओं की तरह। इसलिए अपने मन से इन भावनाओं को निकाल दो। यदि किसी से प्यार नहीं कर सकते तो कम से कम नफरत मत करो। आपका मन स्वच्छ, निर्मल और हल्का रहेगा।🙏🏻

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🌺 सुप्रभात संदेश 🌺
उदय किसी का भी
अचानक नहीं होता है,
सूर्य भी धीरे-धीरे निकलता है,
और ऊपर उठता है।


धैर्य और तपस्या जिसमें है...
वही संसार को प्रकाशित
कर सकता हैं।

जीवन में प्रसन्न व्यक्ति वह हैं,
जो स्वयं का मूल्यांकन
करता हैं।

दुःख़ी व्यक्ति वह हैं जो सिर्फ
दूसरों का मूल्यांक
करता है।

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अपने अन्दर से अहंकार को
निकाल कर स्वयं को हल्का कीजिये,

क्यूंकि ऊँचा वही उठता है
जो हल्का होता है।


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बाद में पछतावा करने से अच्छा है
एक बार और जी जान लगाकर
कोशिश कर ली जाए।


राह संघर्ष की जो चलता है,
वही संसार को बदलता है,
जिसने रातों में जंग जीती,
सूर्य बनकर वही निकलता है ।।


मैं पैदल घर आ रहा था । रास्ते में एक बिजली के खंभे पर एक कागज लगा हुआ था । पास जाकर देखा, लिखा था:

कृपया पढ़ें

"इस रास्ते पर मैंने कल एक 50 का नोट गंवा दिया है । मुझे ठीक से दिखाई नहीं देता । जिसे भी मिले कृपया इस पते पर दे सकते हैं ।" ...

यह पढ़कर पता नहीं क्यों उस पते पर जाने की इच्छा हुई । पता याद रखा । यह उस गली के आखिरी में एक घऱ था । वहाँ जाकर आवाज लगाया तो एक वृद्धा लाठी के सहारे धीरे-धीरे बाहर आई । मुझे मालूम हुआ कि वह अकेली रहती है । उसे ठीक से दिखाई नहीं देता ।

"माँ जी", मैंने कहा - "आपका खोया हुआ 50 मुझे मिला है उसे देने आया हूँ ।"

यह सुन वह वृद्धा रोने लगी ।

"बेटा, अभी तक करीब 50-60 व्यक्ति मुझे 50-50 दे चुके हैं । मै पढ़ी-लिखी नहीं हूँ, । ठीक से दिखाई नहीं देता । पता नहीं कौन मेरी इस हालत को देख मेरी मदद करने के उद्देश्य से लिख गया है ।"

बहुत ही कहने पर माँ जी ने पैसे तो रख लिए । पर एक विनती की - ' बेटा, वह मैंने नहीं लिखा है । किसी ने मुझ पर तरस खाकर लिखा होगा । जाते-जाते उसे फाड़कर फेंक देना बेटा ।'मैनें हाँ कहकर टाल तो दिया पर मेरी अंतरात्मा ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि उन 50-60 लोगों से भी "माँ" ने यही कहा होगा । किसी ने भी नहीं फाड़ा ।जिंदगी मे हम कितने सही और कितने गलत है, ये सिर्फ दो ही शक्स जानते है..
परमात्मा और अपनी अंतरआत्मा..!! मेरा हृदय उस व्यक्ति के प्रति कृतज्ञता से भर गया । जिसने इस वृद्धा की सेवा का उपाय ढूँढा । सहायता के तो बहुत से मार्ग हैं , पर इस तरह की सेवा मेरे हृदय को छू गई । और मैंने भी उस कागज को फाड़ा नहीं ।मदद के तरीके कई हैं सिर्फ कर्म करने की तीव्र इच्छा मन मॆ होनी चाहिए
🌿
*कुछ नेकियाँ*
*और*

*कुछ अच्छाइयां..*

*अपने जीवन में ऐसी भी करनी चाहिए,*

*जिनका ईश्वर के सिवाय..*

*कोई और गवाह् ना हो...!!*

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*दूध को दुखी करो तो दही बनता है|*
*दही को सताने से मक्खन बनता है|*
*मक्खन को सताने से घी बनता है|*
*दूध से महंगा दही है,दही से महंगा मक्खन है,और मक्खन से महंगा घी है|*
*किन्तु इन चारों का रंग एक ही है सफेद|*
*इसका अर्थ है बाऱ- बार दुख और संकट आने पर भी जो इंसान अपना रंग नहीं बदलता,समाज में उसका ही मूल्य बढ़ता है|*

*दूध* उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो *खराब* हो जाता है....!!
*दूध* में एक बूंद *छाछ* डालने से वह *दही* बन जाता है जो केवल दो और दिन *टिकता* है....!!
*दही* का मंथन करने पर *मक्खन* बन जाती है, यह और तीन दिन टिकता है....!!
*मक्खन* को उबालकर *घी* बनता है, *घी* कभी खराब नहीं होता....!!
एक ही दिन में बिगड़ने वाले *दूध* में कभी नहीं बिगड़ने वाला *घी* छिपा है....!!
👉इसी तरह आपका *मन* भी अथाह *शक्तियों* से भरा है, उसमें कुछ *सकारात्मक विचार* डालो अपने आपको *मथो* अर्थात *चिंतन* करो....अपने *जीवन* को और *तपाओ* और तब देखना
*आप कभी हार नहीं मानने वाले सदाबहार व्यक्ति बन जाओगे....!!*🌹🌹


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एक दिन एक कुत्ता जंगल में रास्ता खो गया तभी उसने देखा एक शेर उसकी तरफ आ रहा है कुत्ते की सांस रूक गयी “आज तो काम तमाम मेरा” कुत्ते ने दिमाग लगाया – उसने सामने कुछ सुखी हड़ियाँ पड़ी देखीं वो आते हुए शेर की तरफ पीठ कर के बैठ गया और एक सूखी हड्डी को चूसने लगा और जोर – जोर से बोलने लगा

वाह ! शेर को खाने का मज़ा ही कुछ और है एक और मिल जाए तो पूरी दावत हो जायेगी ! ” और उसने जोर से डकार मारी इस बार शेर सोच में पड़ गया उसने सोचा ” ये कुत्ता तो शेर का शिकार करता है ! जान बचा कर भागने में ही भलाई है और शेर वहां से जान बचा कर भाग गया .

पेड़ पर बैठा एक बन्दर यह सब तमाशा देख रहा था उसने सोचा यह अच्छा मौका है , शेर को सारी कहानी बता देता हूँ . शेर से दोस्ती भी हो जायेगी और उससे ज़िन्दगी भर के लिए जान का खतरा भी दूर हो जायेगा वो फटाफट शेर के पीछे भागा, कुत्ते ने बन्दर को जाते हुए देख लिया और समझ गया कि कोई लोचा है

उधर बन्दर ने शेर को सारी कहानी बता दी कि कैसे कुत्ते ने उसे बेवकूफ बनाया है शेर जोर से दहाड़ा – ” चल मेरे साथ , ‘ अभी उसकी लीला ख़तम करता हूँ “ . और बन्दर को अपनी पीठ पर बैठा कर शेर कुत्ते की तरफ चल दिया, कुत्ते ने फिर से दिमाग लगाया कुत्ते ने शेर को आते देखा तो एक बार फिर उसके आगे जान का संकट आ गया ही

मगर फिर हिम्मत कर कुत्ता उसकी तरफ पीठ करके बैठ गया और जोर – जोर से बोलने लगा इस बन्दर को भेजे 1 घंटा हो गया साला एक शेर को फंसा कर नहीं ला सकता यह सुनते ही शेर ने बंदर को वहीं पटका और वापस पीछे भाग गया

शिक्षा 1 :- मुश्किल समय में अपना आत्मविश्वास कभी नहीं खोएं

शिक्षा 2 : हार्ड वर्क के बजाय स्मार्ट वर्क ही करें , क्योंकि यही जीवन की असली सफलता मिलेगी .

शिक्षा 3 : आपका ऊर्जा , समय और ध्यान भटकाने वाले कई बन्दर आपके आस – पास हैं , उन्हें पहचानिए और उनसे सावधान रहिये


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