वो रात की कहानियां,ना हुस्न था ना शबाब था
जो बुझ गया आफ़ताब था,जो जल गया वो चिराग था,
देर तक चलते रहे फिर,सुन्न था सब रास्ता
जल उठा मुझे देखकर,जो दूर कोई महताब था
#परवीन
जो बुझ गया आफ़ताब था,जो जल गया वो चिराग था,
देर तक चलते रहे फिर,सुन्न था सब रास्ता
जल उठा मुझे देखकर,जो दूर कोई महताब था
#परवीन