Precious Warrior dan repost
कई लोग जब बहुत सी किताब, उपन्यास, नाटक आदि पढ़ लेते हैं तब वे वेद की book खरीदते हैं।
👉जब वेद का अर्थ ज्ञान है तो क्या ज्ञान को खरीद सकते हैं?
♥️वेद लिखे नहीं जाते। वेद अपौरुषेय हैं। वेद पढ़े भी नहीं जाते। वेद श्रुति हैं। गुरुमुख से सुने जाते हैं।♥️
लिखित नहीं होने के कारण ही वेद में मिलावट नहीं हो पाई। शेष लगभग कोई ग्रन्थ नहीं जिनमें मिलावट नहीं कर दी गई।
सभी सनातन धर्म शास्त्रों का मूल वेद है। ज्ञान नित्य है, इस कारण प्रलय के समय भी ज्ञानरूपी वेद ओंकार रूप से नित्य स्थित रहते हैं। महर्षि वेदव्यासजी ने कहा है :
अनादिनिधना नित्या वागुत्सृष्टा स्वयम्भुवा ।
श्रादौ वेदमयी विद्या यतः सर्व्वा: प्रवृत्तयः ॥
श्री भगवान के वाक्यरूपी वेद अनादि नाशविहीन तथा नित्य हैं। वेद ही सृष्टि की प्रथम अवस्था में प्रकाशित आदिविद्या है। इनसे ही सकल संसार का विस्तार होता है। प्रलय के समय में भी परमात्मा में सूक्ष्म रूप से वेद की स्थिति रहती है। महाप्रलय में भी वेदों का नाश नहीं होता।
भौतिक रूप में जो वेद मिलते हैं वे वेद को खोलने की कुंजी मात्र हैं। सम्पूर्ण वेद तो ज्ञानमय कोष में पहुँचने पर ही प्रकट होता है।