इंडियन सेक्सी आंटी कहानी में पढ़ें कि मेरी नजर दोस्त की मम्मी के सेक्सी जिस्म पर थी. मैंने उनको कैसे ट्रिक से पटा कर उनके जिस्म का मजा लिया!
कहानी के पहले भाग
बबीता और उसकी बेटी करीना की चुदाई- 1
में आपने पढ़ा कि मेरे दोस्त ने चूत के चक्कर में अपनी कुंवारी बहन ही मुझसे चुदवा दी.
अब आगे की इंडियन सेक्सी आंटी कहानी:
एक हफ्ते के बाद कुलजीत के मम्मी पापा अमृतसर से वापस लौटे तो हनी को चोदने के मेरे कार्यक्रम में थोड़ा व्यवधान आया.
जिसे मैंने जल्दी ही मैनेज कर लिया.
अब मैं हनी को अपने उसी फ्लैट में ले जाकर चोदने लगा जहां श्यामली को चोदता था.
मेरी नजर अब कुलजीत की मम्मी बबिता आंटी पर टिक गई थी.
मैं भारी भरकम शरीर को चोदने का अनुभव करना चाहता था.
बहुत सोचने के बाद मैंने एक योजना बनाई.
मुझे मालूम था कि कुलजीत और हनी एक बेडरूम में सोते हैं और बबिता आंटी दूसरे बेडरूम में.
रात को बारह बजे मैंने आंटी को फोन किया.
आंटी ने फोन उठाया और बोलीं- हैलो!
उनकी आवाज से अन्दाज हो गया कि आंटी अभी जाग रही थीं.
“आंटी नमस्ते, विजय बोल रहा हूँ.”
“हाँ, बेटा. बताओ?”
“आंटी, कुलजीत?”
“बेटा, वो तो सो गया.”
“आंटी, मुझे आपसे ही बात करनी थी.”
“बताओ, बेटा?”
“आंटी, मैं दस बारह दिन से बहुत परेशान हूँ, पूरी रात नींद आती.”
“क्या हो गया, बेटा?”
“कुछ नहीं, आंटी.”
“दस बारह दिन पहले एक सपना देखा था, उसके बाद सोच सोचकर परेशान हूँ, सो नहीं पाता हूँ.”
“क्या सपना देख लिया, बेटा?”
“आंटी, आप तो जानती ही हैं कि कुलजीत मेरा बचपन का दोस्त है, मैं बचपन से ही आपको देखता आ रहा हूँ और मुझे आप में और अपनी मम्मी में कोई फर्क नहीं दिखता. मेरे लिए आप माँ जैसी ही हैं लेकिन इस सपने के बाद से मैं बहुत परेशान हूँ.”
“ऐसा क्या देख लिया, बेटा?”
“कैसे बताऊँ, आंटी? लेकिन बिना बताये समाधान भी नहीं हो सकता इसलिये बताना ही पड़ेगा.”
“आंटी, प्रामिस करिये कि पहले पूरा सुन लीजिएगा फिर रियेक्ट करिएगा.”
“हाँ, बेटा. बोलो, मैं सुन रही हूँ.”
“आंटी, मैंने सपना देखा कि मैं सो रहा हूँ और आपने आकर मुझे जगा दिया. मेरी आँख खुली तो देखा कि आप काले रंग की शिफान की साड़ी पहनकर खड़ी हैं और बाँहें फैला कर मुझे अपने आगोश में बुला रही हैं. आपने ब्रा भी नहीं पहनी है और आपके गोरे गोरे स्तन शिफान की साड़ी में से झलक रहे हैं. आप बिलकुल श्री देवी जैसी लग रही हैं.
मैं उठा, आपके पास आया तो आपने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और प्यार करने लगीं.
फिर आप बोलीं- विजय मुझे प्यार करो. तुम्हारे अंकल मुझे प्यार नहीं करते.
पहली बात तो वो मेरे साथ होते नहीं और जब होते भी हैं तो कुछ करते नहीं, बुड्ढे हो गये हैं.
मेरी जवानी तड़प रही है. विजय, मुझे अपनी बाँहों में समेट लो.
इतना कहकर आपने मुझे अपनी बाँहों में समेट लिया और मेरी आँख खुल गई.
इसके बाद से मैं आपके बारे में सोच सोचकर परेशान हूँ.
जब भी लेटता हूँ तो मेरे सामने आपका चेहरा आ जाता है.
शिफान की साड़ी में झलकते आपके स्तन मुझे आमंत्रित करते हैं.
मैं बहुत परेशान हो गया हूँ, आंटी. मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ कि जिसे मैं अपनी माँ जैसा मानता था, उसके बारे में ऐसा सपना और ऐसे विचार मेरे मन में क्यों आ रहे हैं कि काश बबिता आंटी मुझे अपने आगोश में छिपा लें.
कुछ करिये, आंटी. नहीं तो मैं ऐसे ही रातों को जाग जाग कर पागल हो जाऊंगा.”
“अब इसमें मैं क्या कह सकती हूँ, बेटा. मैंने तुममें और कुलजीत में कभी कोई फर्क नहीं समझा.”
“आंटी अगर आपने मुझमें और कुलजीत में कोई फर्क नहीं समझा तो जैसे कुलजीत को हजारों बार अपना दूध पिलाया है, एक बार मुझे भी पिला दीजिये.”
“कैसी बातें कर रहे हो, विजय?”
“कुछ करो, आंटी. नहीं तो मैं कुछ कर बैठूंगा.”
“अच्छा मुझे सोचने दो, मैं कोई रास्ता निकालती हूँ.”
“आंटी, कुलजीत और हनी दस बजे तक कालेज चले जाते हैं, उसके बाद मुझे सिर्फ़ पाँच मिनट का समय दे दीजिये, सिर्फ़ पाँच मिनट का. मैं कल साढ़े दस बजे आ जाऊंगा.”
“नहीं, साढ़े दस नहीं … बच्चों के जाने के बाद मुझे किचन का काम और घर समेटने के बाद नहाना होता है, साढ़े ग्यारह, बारह बज जाते हैं.”
“मैं बारह बजे आ जाऊंगा, आंटी पाँच मिनट के लिए आ जाने दीजिये, प्लीज.”
“ठीक है, आ जाना.”
“थैंक्यू आंटी, गुड नाइट!”
“गुड नाइट, विजय.”
तीर निशाने पर लगा था, आधा काम हो गया था.
अगले दिन बारह बजे मादक खुशबू वाला परफ्यूम लगाकर मैं पहुंचा.
तो देखा कि आंटी चाय बना रही थीं.
वो अभी अभी नहाकर निकली थीं, बालों से पानी की बूंदें टपक रही थीं.
आंटी ने पिंक कलर का गाउन पहना था जिसमें से उनकी मैरून पैन्टी और गोरी गोरी मांसल जांघें झलक रही थीं.
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी.
आंटी चाय लेकर आईं, मैंने उसी सोफे पर बैठकर चाय पी जिस पर बीस दिन पहले हनी को कुतिया बनाकर चोदा था.
चाय पीने के दौरा
कहानी के पहले भाग
बबीता और उसकी बेटी करीना की चुदाई- 1
में आपने पढ़ा कि मेरे दोस्त ने चूत के चक्कर में अपनी कुंवारी बहन ही मुझसे चुदवा दी.
अब आगे की इंडियन सेक्सी आंटी कहानी:
एक हफ्ते के बाद कुलजीत के मम्मी पापा अमृतसर से वापस लौटे तो हनी को चोदने के मेरे कार्यक्रम में थोड़ा व्यवधान आया.
जिसे मैंने जल्दी ही मैनेज कर लिया.
अब मैं हनी को अपने उसी फ्लैट में ले जाकर चोदने लगा जहां श्यामली को चोदता था.
मेरी नजर अब कुलजीत की मम्मी बबिता आंटी पर टिक गई थी.
मैं भारी भरकम शरीर को चोदने का अनुभव करना चाहता था.
बहुत सोचने के बाद मैंने एक योजना बनाई.
मुझे मालूम था कि कुलजीत और हनी एक बेडरूम में सोते हैं और बबिता आंटी दूसरे बेडरूम में.
रात को बारह बजे मैंने आंटी को फोन किया.
आंटी ने फोन उठाया और बोलीं- हैलो!
उनकी आवाज से अन्दाज हो गया कि आंटी अभी जाग रही थीं.
“आंटी नमस्ते, विजय बोल रहा हूँ.”
“हाँ, बेटा. बताओ?”
“आंटी, कुलजीत?”
“बेटा, वो तो सो गया.”
“आंटी, मुझे आपसे ही बात करनी थी.”
“बताओ, बेटा?”
“आंटी, मैं दस बारह दिन से बहुत परेशान हूँ, पूरी रात नींद आती.”
“क्या हो गया, बेटा?”
“कुछ नहीं, आंटी.”
“दस बारह दिन पहले एक सपना देखा था, उसके बाद सोच सोचकर परेशान हूँ, सो नहीं पाता हूँ.”
“क्या सपना देख लिया, बेटा?”
“आंटी, आप तो जानती ही हैं कि कुलजीत मेरा बचपन का दोस्त है, मैं बचपन से ही आपको देखता आ रहा हूँ और मुझे आप में और अपनी मम्मी में कोई फर्क नहीं दिखता. मेरे लिए आप माँ जैसी ही हैं लेकिन इस सपने के बाद से मैं बहुत परेशान हूँ.”
“ऐसा क्या देख लिया, बेटा?”
“कैसे बताऊँ, आंटी? लेकिन बिना बताये समाधान भी नहीं हो सकता इसलिये बताना ही पड़ेगा.”
“आंटी, प्रामिस करिये कि पहले पूरा सुन लीजिएगा फिर रियेक्ट करिएगा.”
“हाँ, बेटा. बोलो, मैं सुन रही हूँ.”
“आंटी, मैंने सपना देखा कि मैं सो रहा हूँ और आपने आकर मुझे जगा दिया. मेरी आँख खुली तो देखा कि आप काले रंग की शिफान की साड़ी पहनकर खड़ी हैं और बाँहें फैला कर मुझे अपने आगोश में बुला रही हैं. आपने ब्रा भी नहीं पहनी है और आपके गोरे गोरे स्तन शिफान की साड़ी में से झलक रहे हैं. आप बिलकुल श्री देवी जैसी लग रही हैं.
मैं उठा, आपके पास आया तो आपने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और प्यार करने लगीं.
फिर आप बोलीं- विजय मुझे प्यार करो. तुम्हारे अंकल मुझे प्यार नहीं करते.
पहली बात तो वो मेरे साथ होते नहीं और जब होते भी हैं तो कुछ करते नहीं, बुड्ढे हो गये हैं.
मेरी जवानी तड़प रही है. विजय, मुझे अपनी बाँहों में समेट लो.
इतना कहकर आपने मुझे अपनी बाँहों में समेट लिया और मेरी आँख खुल गई.
इसके बाद से मैं आपके बारे में सोच सोचकर परेशान हूँ.
जब भी लेटता हूँ तो मेरे सामने आपका चेहरा आ जाता है.
शिफान की साड़ी में झलकते आपके स्तन मुझे आमंत्रित करते हैं.
मैं बहुत परेशान हो गया हूँ, आंटी. मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ कि जिसे मैं अपनी माँ जैसा मानता था, उसके बारे में ऐसा सपना और ऐसे विचार मेरे मन में क्यों आ रहे हैं कि काश बबिता आंटी मुझे अपने आगोश में छिपा लें.
कुछ करिये, आंटी. नहीं तो मैं ऐसे ही रातों को जाग जाग कर पागल हो जाऊंगा.”
“अब इसमें मैं क्या कह सकती हूँ, बेटा. मैंने तुममें और कुलजीत में कभी कोई फर्क नहीं समझा.”
“आंटी अगर आपने मुझमें और कुलजीत में कोई फर्क नहीं समझा तो जैसे कुलजीत को हजारों बार अपना दूध पिलाया है, एक बार मुझे भी पिला दीजिये.”
“कैसी बातें कर रहे हो, विजय?”
“कुछ करो, आंटी. नहीं तो मैं कुछ कर बैठूंगा.”
“अच्छा मुझे सोचने दो, मैं कोई रास्ता निकालती हूँ.”
“आंटी, कुलजीत और हनी दस बजे तक कालेज चले जाते हैं, उसके बाद मुझे सिर्फ़ पाँच मिनट का समय दे दीजिये, सिर्फ़ पाँच मिनट का. मैं कल साढ़े दस बजे आ जाऊंगा.”
“नहीं, साढ़े दस नहीं … बच्चों के जाने के बाद मुझे किचन का काम और घर समेटने के बाद नहाना होता है, साढ़े ग्यारह, बारह बज जाते हैं.”
“मैं बारह बजे आ जाऊंगा, आंटी पाँच मिनट के लिए आ जाने दीजिये, प्लीज.”
“ठीक है, आ जाना.”
“थैंक्यू आंटी, गुड नाइट!”
“गुड नाइट, विजय.”
तीर निशाने पर लगा था, आधा काम हो गया था.
अगले दिन बारह बजे मादक खुशबू वाला परफ्यूम लगाकर मैं पहुंचा.
तो देखा कि आंटी चाय बना रही थीं.
वो अभी अभी नहाकर निकली थीं, बालों से पानी की बूंदें टपक रही थीं.
आंटी ने पिंक कलर का गाउन पहना था जिसमें से उनकी मैरून पैन्टी और गोरी गोरी मांसल जांघें झलक रही थीं.
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी.
आंटी चाय लेकर आईं, मैंने उसी सोफे पर बैठकर चाय पी जिस पर बीस दिन पहले हनी को कुतिया बनाकर चोदा था.
चाय पीने के दौरा