मेरे आर्यसमाज मे होने के बाद हुए फायदों की लिस्ट-
एक बार जरुर पढ़े,सारे भ्रम दुर हो जायेगा, आत्मबल बढ़ेगा
1- किसी भूत, प्रेत, चुड़ैल, डाकिनी, भटकती आत्मा, पीपल, बरगद से अब डर नहीं लगता।
2- जादू टोने टोटके किया कराया का डर ख़त्म हो गया है।
3- बिल्ली या नेवले के रास्ता काट जाने पर रास्ता बदलना नहीं पड़ता।
4- घर से निकलते ही छींक आने पर या खाली बाल्टी देख कर वापस नहीं लौटना पड़ता।
5- राहू केतु शनि की साढ़े साती के नाम पर कोई मुझे लूट नहीं सकता।
6- हर दुसरे तीसरे दिन व्रत-त्यौहार के नाम पर भूखों मरना नहीं पड़ता।
7- अपने किये अच्छे कामों का श्रेय खुद लेता हूँ और गलतियों को हरि इच्छा न मान कर आगे दोहराने से परहेज करता हूँ।
8- कोई भी काम शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाने की जरूरत नहीं पड़ती।
9- 11, 13, 21, 51, जैसी संख्याओं को शुभ अशुभ नहीं मानना पड़ता।
10- सप्ताह के किसी दिन को शुभ अशुभ नहीं मानना पड़ता।
11- सुबह सुबह अखबार में राशिफल देख कर अपने दिन का शेड्यूल नहीं बनाना पड़ता।
12- अपने माता पिता के मरने का इंतजार नहीं करता बल्कि उनके जीते जी ही सेवा सुश्रुषा करके उनका श्राद्ध तर्पण करता हूँ।
13- किसी को भी जाति, लिंग, रंग, क्षेत्र, भाषा, सम्पन्नता के आधार पर अलग नहीं समझता। इंसान को सिर्फ इंसान समझता हूँ।
और सबसे ख़ास
14- अपने परमेश्वर पर पक्का विश्वास होने के कारण अलग अलग मत पन्थ सम्प्रदायों के भगवानों और पीर दरगाहों के बीच भटकना नहीं पड़ता।
परमेश्वर की भक्ति करता हूँ और अच्छे कार्य करता हूँ। परमेश्वर भी अपनी कृपा बरसाने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
लेकिन आर्य होने के कुछ नुकसान भी हैं :)
1. सबसे बड़ा नुकसान तो यही है कि मेरे धरती से दूर बैकुंठ/जन्नत/हेवन का टिकट कैंसिल हो गया।
2. मेरे पापों के क्षमा होने की कोई सम्भावना न होने के कारण पाप करने की सोचता भी नहीं हूँ।
3. ईश्वर को रिश्वत का लालच देकर मनचाहे वर मन्नत पूरी होने का भी कोई चांस नहीं।
4. आर्य होने के नाते देश, धर्म, समाज और पर्यावरण के प्रति कुछ जिम्मेदारियाँ हैं जिन्हें पूरा करना पड़ता है।
हा हा हा
ये व्यंग्यरूप में कहा ... ये नुकसान नहीं ये भी फायदे ही तो हैं।
एक बार जरुर पढ़े,सारे भ्रम दुर हो जायेगा, आत्मबल बढ़ेगा
1- किसी भूत, प्रेत, चुड़ैल, डाकिनी, भटकती आत्मा, पीपल, बरगद से अब डर नहीं लगता।
2- जादू टोने टोटके किया कराया का डर ख़त्म हो गया है।
3- बिल्ली या नेवले के रास्ता काट जाने पर रास्ता बदलना नहीं पड़ता।
4- घर से निकलते ही छींक आने पर या खाली बाल्टी देख कर वापस नहीं लौटना पड़ता।
5- राहू केतु शनि की साढ़े साती के नाम पर कोई मुझे लूट नहीं सकता।
6- हर दुसरे तीसरे दिन व्रत-त्यौहार के नाम पर भूखों मरना नहीं पड़ता।
7- अपने किये अच्छे कामों का श्रेय खुद लेता हूँ और गलतियों को हरि इच्छा न मान कर आगे दोहराने से परहेज करता हूँ।
8- कोई भी काम शुरू करने के लिए शुभ मुहूर्त निकलवाने की जरूरत नहीं पड़ती।
9- 11, 13, 21, 51, जैसी संख्याओं को शुभ अशुभ नहीं मानना पड़ता।
10- सप्ताह के किसी दिन को शुभ अशुभ नहीं मानना पड़ता।
11- सुबह सुबह अखबार में राशिफल देख कर अपने दिन का शेड्यूल नहीं बनाना पड़ता।
12- अपने माता पिता के मरने का इंतजार नहीं करता बल्कि उनके जीते जी ही सेवा सुश्रुषा करके उनका श्राद्ध तर्पण करता हूँ।
13- किसी को भी जाति, लिंग, रंग, क्षेत्र, भाषा, सम्पन्नता के आधार पर अलग नहीं समझता। इंसान को सिर्फ इंसान समझता हूँ।
और सबसे ख़ास
14- अपने परमेश्वर पर पक्का विश्वास होने के कारण अलग अलग मत पन्थ सम्प्रदायों के भगवानों और पीर दरगाहों के बीच भटकना नहीं पड़ता।
परमेश्वर की भक्ति करता हूँ और अच्छे कार्य करता हूँ। परमेश्वर भी अपनी कृपा बरसाने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
लेकिन आर्य होने के कुछ नुकसान भी हैं :)
1. सबसे बड़ा नुकसान तो यही है कि मेरे धरती से दूर बैकुंठ/जन्नत/हेवन का टिकट कैंसिल हो गया।
2. मेरे पापों के क्षमा होने की कोई सम्भावना न होने के कारण पाप करने की सोचता भी नहीं हूँ।
3. ईश्वर को रिश्वत का लालच देकर मनचाहे वर मन्नत पूरी होने का भी कोई चांस नहीं।
4. आर्य होने के नाते देश, धर्म, समाज और पर्यावरण के प्रति कुछ जिम्मेदारियाँ हैं जिन्हें पूरा करना पड़ता है।
हा हा हा
ये व्यंग्यरूप में कहा ... ये नुकसान नहीं ये भी फायदे ही तो हैं।