*कुछ बडे बडे झूठ-*
*1.सृष्टि अपने आप बनी है इसे बनाने वाला कोई परमात्मा नहीं।*
*2.शरीर अपने आप चल रहा है इसे चलाने वाली कोई आत्मा नहीं।*
*3.आत्मा परमात्मा व पुनर्जन्म काल्पनिक बातें हैं।*
*4.वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान नहीं है ये मनुष्यों द्वारा बनाये हुये हैं।*
*5.ईश्वर दुष्टों का संहार करने के लिये अवतार लेता है।*
*6.ईश्वर दूर कहीं गोलोक, विष्णु लोक, शिवलोक, बैकुंठ वा चौथे सातवें आसमान में रहता है वहीं से सब सृष्टि का संचालन करता है।*
*7.राम,कृष्ण,महावीर, गौतमबुद्ध,मुहम्मद, ईसा,यहोवा,कबीर,नानक ईश्वर वा ईश्वर के अवतार थे।*
*8.अल्लाह, परमात्मा वा देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिये गाय,भैंस,ऊंट बकरों की बलि देना धर्म है।*
*9. किसी पूजापाठ,अनुष्ठान, गंगा स्नान, तीर्थ यात्रा वा प्रायश्चित करने से ईश्वर पापों को क्षमा कर देता है।*
*10.मांस,अंडा,शराब राक्षसों का ही नहीं मानवों का भी भोजन है।*
*11. हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख,ईसाई,जैन,बौद्ध आदि धर्म हैं और ये ईश्वर प्राप्ति के भिन्न भिन्न मार्ग हैं।*
*12. यज्ञ से वातावरण दूषित होता है,ऋषिमुनि यज्ञों में बलि देते थे और मांस खाते थे।
जो जो लोग इतने बडे बडे झूठ बोलते हैं वे न्यायधीशों के न्यायाधीश, निराकार, सर्वव्यापक परमात्मा द्वारा अवश्य ही दण्डित किये जायेंगे,उन्हें पशुपक्षियों की योनियों में पड कर दारुन दु:ख भी उठाने पड सकते हैं।
*1.सृष्टि अपने आप बनी है इसे बनाने वाला कोई परमात्मा नहीं।*
*2.शरीर अपने आप चल रहा है इसे चलाने वाली कोई आत्मा नहीं।*
*3.आत्मा परमात्मा व पुनर्जन्म काल्पनिक बातें हैं।*
*4.वेद ईश्वर प्रदत्त ज्ञान नहीं है ये मनुष्यों द्वारा बनाये हुये हैं।*
*5.ईश्वर दुष्टों का संहार करने के लिये अवतार लेता है।*
*6.ईश्वर दूर कहीं गोलोक, विष्णु लोक, शिवलोक, बैकुंठ वा चौथे सातवें आसमान में रहता है वहीं से सब सृष्टि का संचालन करता है।*
*7.राम,कृष्ण,महावीर, गौतमबुद्ध,मुहम्मद, ईसा,यहोवा,कबीर,नानक ईश्वर वा ईश्वर के अवतार थे।*
*8.अल्लाह, परमात्मा वा देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिये गाय,भैंस,ऊंट बकरों की बलि देना धर्म है।*
*9. किसी पूजापाठ,अनुष्ठान, गंगा स्नान, तीर्थ यात्रा वा प्रायश्चित करने से ईश्वर पापों को क्षमा कर देता है।*
*10.मांस,अंडा,शराब राक्षसों का ही नहीं मानवों का भी भोजन है।*
*11. हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख,ईसाई,जैन,बौद्ध आदि धर्म हैं और ये ईश्वर प्राप्ति के भिन्न भिन्न मार्ग हैं।*
*12. यज्ञ से वातावरण दूषित होता है,ऋषिमुनि यज्ञों में बलि देते थे और मांस खाते थे।
जो जो लोग इतने बडे बडे झूठ बोलते हैं वे न्यायधीशों के न्यायाधीश, निराकार, सर्वव्यापक परमात्मा द्वारा अवश्य ही दण्डित किये जायेंगे,उन्हें पशुपक्षियों की योनियों में पड कर दारुन दु:ख भी उठाने पड सकते हैं।