Kamukta story


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ही पहुंच गया और मैंने जोमेटो से रात के लिए खाना मंगवा लिया.

इस तरह दूसरे दिन उसके पापा को छुट्टी मिल गयी और वो दोनों घर आ गए. उसके पापा के दोनों पैरों की हड्डी टूट गयी थीं, पर इस दौरान मैं और मोना करीब आ गए थे. अब वो बेहिचक मेरे रूम में आ जाती थी और हम दोनों बातें करते रहते.

एक दिन मैं अपने रूम में था. उस दिन बारिश हो रही थी और मेरे तीनों अंडरवियर गीले थे, तो मैं बिना अंडरवियर के ढीला सा नेकर पहने हुए लेटा था.

तभी मोना मेरे रूम में आ गयी. उस वक्त वो क़यामत ढा रही थी. उसने चुस्त जींस और स्लीव लैस लोन का झीना सा टॉप पहना हुआ था, जिसमें से उसके चूचे बहुत ही ज्यादा कामुक लग रहे थे. आज उसके हाव भाव भी कुछ ज्यादा ही बदले हुए दिखाई दे रहे थे. वो बार बार अपने चुचों के खुले हिस्से को ऐसे सहला रही थी, जैसे उसे खुजली हो रही हो.

मैं उठ कर खड़ा हो गया.
वो आकर मुझसे पूछने लगी- मैं कैसी लग रही हूँ?

पहले मैं उसे एकटक देखता रहा. मेरी निगाह उसके गले और चुचियों पर से होती हुईं, उसकी जींस तक गईं और वापस आकर उसकी चुचियों के खुले हिस्से पर टिक गईं.

वाह क्या सुन्दर सीन था. उसकी दोनों चुचियों के बीच में जो दूधिया दरार बन रही थी, वो लगभग तीन इंच की थी.

मोना ने नजरों को पढ़ते हुए पूछा- क्या हुआ … कहां खो गए?
अचानक मेरे मुँह से निकल गया- तुम्हारी चुचियों में!
वो एकदम से बोली- क्या!?

वह बिल्कुल मेरे नजदीक ही खड़ी थी. मैंने कोई जवाब न देकर उसे कंधों से पकड़ लिया और अपनी तरफ खींच लिया. उसने भी कोई विरोध नहीं किया.

इसे उसकी सहमति मान कर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए. उसने अपनी आंखें बंद कर लीं. मैं उसके होंठों को चूसने लगा. उसकी सांसें भी तेज होने लगीं और उसने अपने हाथ मेरी कमर के इर्द गिर्द लपेट लिए.

मैं कभी उसके निचले होंठ को चूसता, कभी ऊपर वाले को. हम दोनों ने एक बहुत लम्बा चुम्बन किया. इसी दौरान मेरे हाथ उसके मम्मों तक पहुंच गए और मैं उन्हें दोनों हाथों से दबाने, सहलाने लगा. हम दोनों एक दूसरे से बुरी तरह लिपटे हुए थे. मेरे हाथ कभी उसके नितम्बों पर होते, कभी उसकी कमर पर.

मैंने उसका टॉप ऊपर करना शुरू किया, तो उसने अपने हाथ ऊपर करके मुझे पूरा सहयोग किया और वो खुद भी मेरी सैंडो बनियान को उतारने लगी. साथ ही वो मेरे बालों से भरे सीने को चूसने और चूमने लगी.



मैंने टॉप अलग करके उसकी ब्रा को भी खोल कर उतार दिया. मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया था, जिसे उसने अभी तक छुआ भी नहीं था.

मैंने उसका हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया, जिसे उसने हटा लिया और मुझे किस करने लगी. अब हम दोनों ऊपर से नंगे हो चुके थे. मैंने उसे बिस्तर पर लिटा लिया और उसकी चूचियों को चूसने लगा. मैं एक चूची को चूसता, तो दूसरी को दबा कर मजा लेने लगता.

उसकी सांसें तेज होने लगीं. मैं दोनों चूचियों को अच्छी तरह चूसने के बाद उन्हें मसलने लगा. वो गर्म हुई, तो मैं उसके पेट पर अपनी जीभ फेरने लगा.

मैं पेट से उसकी नाभि तक पहुंच गया. मगर मेरी जीभ के आगे का रास्ता उसकी जींस ने रोक लिया जिसे उतारना जरूरी हो गया था. मैंने उसकी जींस का हुक खोला तो उसने अपनी आंखें बंद कर लीं … और गांड उठा कर मुझे सहयोग किया.


उसकी जींस उतारते ही वो पूरी नंगी हो गयी थी. उसने जींस के अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी.

मैंने एक बार नजर भर के चुत को निहारा. उसकी चुत एकदम साफ़ थी. ऐसा लग रहा था, जैसे उसने आज ही झांटों को साफ किया हो. उसकी गोरी चिकनी चुत, इतनी खूबसूरत थी मानो संगमरमर की बनी हो. मैंने अपना नेकर भी उतार दिया और पूरा नंगा हो गया. अब मैं उसके बाजू में लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा.

उसका हाथ मेरे लंड को टच कर रहा था, पर वो उसे पकड़ नहीं रही थी. तभी मैंने अपने हाथ से उसकी चुत को सहलाना शुरू कर दिया. उसके मुँह से आह उह की आवाज आने लगी.

जैसे ही मैंने उसकी चुत के भगनासा को छेड़ा, उसने मेरा लंड अपने हाथ में कस के पकड़ लिया. उसकी मेरे लंड पर पकड़ इतनी सख्त थी कि मेरे मुँह से भी आह निकल गयी.

अब मैंने अपना पोज बदला और मैं 69 के पोज में आ गया. मेरा मुँह उसकी चुत की तरफ था और उसका मुँह मेरे लंड की तरफ था. मैंने उसकी चुत पर एक किस किया, तो उसने अपने दोनों पैर फैला लिए, जिससे चुत पूरी खुल कर सामने आ गयी. उसकी चुत में अन्दर से लाल लाल रंग एकदम कामुकता बिखेर रहा था.

उसकी चुत एकदम गुलाब जैसी लग रही थी, जिसे मैं जीभ से सहलाने लगा.

उसने भी मेरा लंड अपने मुँह में भर लिया. वो एकदम किसी तजुर्बेदार के जैसे लंड चूस कर मेरा सहयोग कर रही थी.

मुझे उसके लंड चूसने की स्टायल से समझ आ गया कि वो पहले ही चुदवा चुकी थी. जिसके बारे में उसने बाद में बताया था कि उसने अपने भाई से अपनी सील किस तरह तुड़वा ली थी. वो सेक्स कहानी मैं बाद में बताऊंगा.

वो मेरे लंड को जितना अन्दर ले सकती थी, ले रही थी. कभी बाहर निकाल कर लंड के सुपारे को चाटती, तो कभी लॉ


लीपॉप की तरह लंड चूसने लगती. कभी अचानक से तेजी के साथ अन्दर बाहर करने लगती. मेरा लंड भी अपने पूरे रूप में आ गया था. इधर मैं भी अपनी जीभ से उसकी चुत की सेवा में लगा था. सच में बड़ी मस्त चुत थी. उसकी मेरी जीभ कभी उसकी चुत की गहराई नापती, कभी मैं चुत के दाने को होंठों में भर के खींचता.

हम दोनों अपने चरम पर पहुंचने वाले थे. मैं अपनी कमर चलाने लगा था और उसका मुँह चोद रहा था. मेरा लंड कई बार उसके हलक तक चला जाता, पर वो मजे से सब सहती रही. वो भी अपनी चुत मेरे मुँह पर रगड़ रही थी, जिससे उसकी चुत का रस मेरे पूरे मुँह पर फ़ैल गया था.

तभी उसकी चुत ने अपना मुँह खोल दिया, जिससे बहुत सारा रज बाहर आने लगा. इधर मैं भी अपने चरम पर पहुंच चुका था और उसके मुँह में ही मेरी पिचकारी चल पड़ी. उसने एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दी, सारा वीर्य पी गयी और मेरे लंड को चूस कर साफ़ कर दिया. हम दोनों हांफ़ते हुए लिपट कर लेटे रहे. अब तक हम दोनों ने एक दूसरे से कुछ नहीं कहा था.

मैंने उससे पूछा- कैसा लगा?
बदले में उसने मेरे होंठों पर किस किया और लिपट कर बोली- आई लव यू..
मैंने भी उसे भींच कर ‘लव यू टू जान..’ कहा.

फिर हम दोनों उठ कर बाथरूम गए और एक दूसरे को साफ़ किया. जब उसने मेरे लंड को पानी और साबुन से साफ़ किया, तो मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, जिसे उसने किस किया.

वो बोली- लो तुम्हारा शैतान फिर से जग गया.
मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर लाकर लिटा दिया. मैंने बोला- अब ये शैतान तुम्हारी चुड़ैल को निपटाएगा.
वो चुदास भरे स्वर में अपने मम्मे मसलते हुए बोली- तो देर किस बात की है … मैं तो कब से तुमसे चुदना चाह रही थी … पर तुम ही नहीं समझे.

हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे. मेरा लंड और उसकी चुत फिर से तैयार हो उठे थे.

मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चुत पर अपना लंड रख कर अन्दर डालने लगा.

उसने रोका और बोली- एक ही बार में पूरा अन्दर डालना.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर लंड चुत पर सैट किया और जोर की थाप उसकी चुत पर लगा दी. एक ही बार में मेरा लंड उसकी चुत में समां गया. उसकी चीख निकल गयी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ क्योंकि मेरा लंड सीधा जाकर उसकी बच्चेदानी से टकराया था.
लेकिन ये चीख आनन्द मिश्रित थी.

मैं उसे धीरे धीरे चोदने लगा.
वो बोली- मेरे भाई का तुम्हारे लंड से छोटा है … उसका इतना अन्दर तक नहीं जाता. आज से ये चुत तुम्हारी है, जब मर्जी हो चोद लेना.


वो नीचे से अपनी चुत उठा उठा कर चुदवाने लगी और मैंने भी अपनी स्पीड और बढ़ा दी. हम दोनों की भीषण चुदाई से पूरा पलंग हिल रहा था. लगातार ताबड़तोड़ चुदाई के दौरान वो न जाने क्या क्या बोल रही थी.

कोई बीस मिनट की चुदाई के दौरान वो तीन बार झड़ी, तब मेरा झड़ने को हुआ तो मैंने उससे पूछा- कहां निकालूं?
वो बोली- मेरी चुत में ही निकालो … मैं गोली खा लूंगी.

मैंने बेहिचक झटके मारे और उसकी ही चुत में झड़ गया.
कुछ देर बाद वो चली गई.


पड़ोस की देसी सेक्सी लड़की की चूत की प्यास



दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है. मैं 32 साल का एक स्मार्ट लड़का हूँ. लंड 6 इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा है. मेरे लंड की सबसे खास बात ये है कि मेरा वीर्य देर से निकलता है.
मेरी पिछली कहानी थी
मेरी कामवाली की चिकनी हॉट चूत
यह बात आज से दस साल पहले उस समय की है, जब मैं पढ़ाई के लिए दिल्ली आया था. दिल्ली में मैं एक मकान में कमरा किराये पर लेकर रहने लगा.

ये मकान 4 मंजिल का कम एरिया में बना हुआ मकान था. इसकी पहली मंजिल पर एक परिवार रहता था, जो पांच लोगों का औसत सा परिवार था.
मैं दूसरी मंजिल पर अकेला रहता था.
तीसरी मंजिल पर मकान मालिक अपने परिवार के साथ रहता था.

मकान मालिक का नाम संजय था, उनकी पत्नी का नाम शारदा था. उन दोनों के साथ उनकी चार बेटियां डोली, पूजा, सोनिया और शालू रहती थीं. उन लड़कियों में डोली की उम्र 22 साल, पूजा 20 की, सोनिया 19 की शालू 18 की थी. चारों छोकरियां बहुत मस्त और सेक्सी आइटम थीं, पर मेरी यह कहानी पहली मंजिल पर रहने वाले परिवार से जुड़ी है.


पहली मंजिल पर उत्तरप्रदेश का एक परिवार रहता था. इस परिवार में मां बाप के साथ उनके दो लड़के और एक लड़की मोना रहते थे.

शुरू शरू में मेरा किसी से कोई लेना देना नहीं था, पर धीरे धीरे सभी से जान पहचान हो गयी.

मैं मोना को जब भी देखता, तो उसकी नजरों में मुझे अपने लिए एक खास चमक दिखाई पड़ती. वैसे वो कोई ज्यादा सुन्दर तो नहीं थी, पर उसका बदन बहुत ही कसा और मादक था. उसके 36 साइज के चुचे तो मानो उसके कपड़ों से बाहर आने को बेताब रहते थे. मोना के मम्मों को देख आकर ऐसा लगता था जैसे बड़ी मुश्किल से उन्हें बांधा गया हो.

वो अकसर मेरे सामने आती जाती थी और एकटक निगाह मिला कर ऐसे देखती थी, जैसे कुछ कहना चाहती हो.

उसकी पतली कमर और उसके नीचे उसके नितम्ब, उसके जिस्म को और भी ज्यादा सुन्दर बनाते थे. जब भी वो चलती, तो उसके चूतड़ों की थिरकन देखते ही बनती थी. मेरा दिल भी उसे चोदने को बेक़रार हो चला था, पर मुझे कोई मौका नहीं मिल रहा था. क्योंकि घर छोटा था और बात खुल कर हो नहीं पाती थी.

ऐसे में एक दिन उसके घर फोन आया कि उसके पिता का एक्सिडेंट हो गया था. उस समय घर पर वो अकेली थी और मैं भी ऑफिस से छुट्टी करके आया ही था.

मैं कमरे में जाने के लिए हुआ ही था कि उसने मुझे आवाज दी और बोली- क्या आप मेरे साथ अस्पताल तक चल सकोगे. मेरे पापा को चोट लग गयी है. मां दोनों भाइयों के साथ गांव गई हैं.

मैंने उससे पूरी बात समझी और तुरंत उसके साथ अपनी बाईक पर अस्पताल के लिए निकल गया. वो दोनों पैर एक तरफ करके मेरे कंधे पर हाथ रख कर बैठ गयी.

रास्ते में जब मुझे ब्रेक मारने पड़ते, तो उसके चुचे मेरी पीठ से सट जाते. दो तीन बार ऐसा होने पर उसने बाईक रुकवाई और मुस्कुराते हुए दोनों तरफ पैर करके बैठ गयी.

मैं अभी कुछ ही आगे गया था कि अचानक से एक कुत्ता सामने आ गया. अचानक ब्रेक मारने से उसका पूरा भार मेरे ऊपर आ गया. उसके बड़े बड़े चूचे बुरी तरह से मेरी पीठ से दब गए और उसके दोनों हाथ मेरी जांघों पर आ गए.

इस घटना ने हम दोनों को और भी ज्यादा आंदोलित कर दिया था. हालांकि उसने कुछ नहीं कहा, मगर अब वो थोड़ा और सट कर बैठ गयी और उसने मुझे कसके जकड़ लिया.

उसका एक हाथ मेरे पेट पर जींस की बेल्ट पर था और दूसरा मेरे सीने पर जमा था. मेरी पीठ पर उसके चुचे रगड़ खा रहे थे, जिसका असर मेरे लंड पर हो रहा था. मेरा लंड अपने रौद्र रूप में आने लगा था और जींस की वजह से मुझे परेशानी हो रही थी.

कुछ देर बाद हम दोनों अस्पताल के करीब आ गए थे. अस्पताल पहुंचने से पहले मैंने एक सुनसान जगह देखी और मैं पेशाब करने खड़ा हो गया. कहीं कोई ओट न मिलने के कारण मुझे वहीं खुले में सुसु करना पड़ी.

मोना यह सब देख कर हंसने लगी. उसकी निगाह मेरे लंड पर भी पड़ गयी थी.

उसके बाद जैसे ही वो मेरे पीछे बाईक पर बैठी, उसने अपना सीना मेरी पीठ से रगड़ा और बैठ कर मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया.

कुछ मिनट बाद हम दोनों अस्पताल आ पहुंचे और उसके पिताजी की हालत की जानकारी ली. डॉक्टर ने उनको अस्पताल में रात रुकने के लिए कहा, जिस वजह से हम दोनों को रात को वहीं अस्पताल में रुकना पड़ा.

अगले दिन मैं चला गया. मैंने जाते वक्त उसको अपना फोन नम्बर दे दिया था कि कोई दिक्कत या मेरी जरूरत हो, तो बेहिचक फोन करके मुझे बता देना.
उसने हां कर दी.

दोपहर में उसका फोन आया- पापा को आज भी यहीं रुकना पड़ेगा, तुम कुछ खाने का ला सको, तो ले आना.
मैंने पूछा- दिन में खाने का क्या हुआ?
उसने बताया कि यहीं बाहर से ले लिया था, मगर खाने की क्वालिटी अच्छी नहीं थी.
मैंने पूछा- क्या खाओगी?
उसने हंस कर कहा- जो तुमको पसंद हो.

मैंने पूछा- पापा के लिए?
उसने कहा- पापा के लिए कुछ हल्का फुल्का ले आना.
मैंने उससे हम दोनों के खाने के लिए चिकन के लिए पूछा, तो उसने हां कर दी.

मैं शाम को ऑफिस से सीधे उसके पास


लंड से वीर्य की पिचकारी निकल रही थी. मामी ने मुझे इसी हालत में देख लिया.

उन्होंने हैरानी से मेरे लंड की तरफ देखा और फिर मेरे चेहरे की तरफ. फिर वो चली गईं.

मैंने सोचा कि मेरी किस्मत ही खराब है. मामी ने मेरा लंड देख कर भी कोई रिएक्शन नहीं दिया. अगर आज मामी गर्म हो जाती तो आज तो बाथरूम में ही मामी की चूत की चुदाई कर देनी थी मैंने।

मामी गेट बंद करके वापस चली गई रसोई में और मैं वापस आकर सोफे पर बैठ गया.
फिर हम लोगों ने ज्यादा कुछ बात नहीं की.

शाम को खाने के वक्त मामी ने सुबह वाली बात का जिक्र करते हुए कहा- सुबह के लिए सॉरी रोहित. मुझे ऐसे नहीं आना चाहिए था.
मैंने भी मामी को कह दिया- कोई बात नहीं मामी. मैं तो खुद आपसे कल रात के लिए माफी मांगने वाला था. मगर कहने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

मगर फिर मामी ने जो बोला … वो सुन कर मुझे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ.
मामी ने कहा- कल की बात तो कल ही खत्म हो गई. अगर तुम्हारा मन करे तो तुम आज भी मेरे साथ ही सो सकते हो.

यह सुनते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. मैंने जल्दी से खाना खाया और अंदर जाकर लेट गया. मैं बस सोने की एक्टिंग कर रहा था. मैं तो असल में मामी के आने का इंतजार कर रहा था. मेरा लंड पहले से ही मामी की चूत के बारे में सोच कर तना हुआ था. मैंने अपने लंड को अंडरवियर में दबाया हुआ था ताकि मामी को मेरा तना हुआ लंड दिखाई न दे.

तभी मामी जी आई कमरे में और लाइट जलाई. तब तक बच्चे सो चुके थे और उन्हें लगा शायद मैं भी सो चुका हूं. मैं धीरे से आंख खोल कर देखा तो मामी अपने कपड़े उतार रही थी. वो अपने कपड़े उतार कर ब्रा और पैंटी में ही चादर के अंदर आ गई. उन्होंने लाइट बंद कर दी थी और कमरे में अंधेरा हो गया था.

मैं अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाने लगा. मैं जानता था कि अंधेरे में मामी को कुछ दिखाई नहीं पड़ेगा. वैसे भी मुझसे तो रहा नहीं जा रहा था. मामी और मेरे बीच में पिछली रात की तरह बच्चे सो रहे थे.

एक दो घंटे के बाद भी मुझे नींद नहीं आई और मैं कल रात की तरह ही उठ कर मामी के बगल में जाकर लेट गया. मैंने धीरे से मामी के तन से चादर को हटाया और उनके बदन पर हाथ फिराने लगा. आज मामी कोई हलचल नहीं कर रही थी. मेरे लंड का बुरा हाल होने लगा. मैंने मामी के चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया. मामी ने तब भी कोई हरकत नहीं की.

अब मेरी हिम्मत भी बढ़ गई थी. मैंने मामी की पैंटी को मसला और उनकी चूत को छूते ही मैं बेकाबू हो गया. मैंने मामी की पैंटी को खींच कर नीचे करने की कोशिश की तो मामी ने अपनी गांड को हल्के से उठा लिया और मैं समझ गया कि मामी की तरफ से भी लाइन क्लियर है.

बस फिर क्या था … मैं मामी पर टूट पड़ा, उनके चूचों को चूसने काटने लगा और मामी मेरे बालों में हाथ फिराने लगी. उनके गुदाज बदन को छूकर मैं बेकाबू हो गया था और मैंने झट से अपने लंड को निकाल कर मामी की चूत में लगा दिया.

लंड को चूत में लगा कर मैंने एक झटका मारा और मेरा लंड मामी की चूत में घुस गया. मामी ने जरा सी भी हरकत नहीं की. मेरा लंड मामी की चूत में मैंने पूरा उतार दिया. फिर मैं धीरे-धीरे उनकी चूत में धक्के मारने लगा. मैं भी कोई आवाज नहीं कर रहा था क्योंकि साथ में ही बच्चे भी सो रहे थे.

मैंने पांच मिनट तक मामी की चुदाई की और फिर मेरा वीर्य निकल गया. फिर मामी ने मेरे कान के पास मुंह लाकर मुझे वापस जाने के लिए कह दिया.

मगर मुझे अभी भी नींद नहीं आ रही थी. इतने दिनों के बाद मुझे मामी की चूत मिली थी. मैंने सुबह के करीब तीन बजे फिर से मामी को जगाया और हम दोनों चुपके से उठ कर बाथरूम में चले गये.

वहां जाते ही हमने धीरे से दरवाजा बंद किया और एक दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे. मैंने मामी के पूरे बदन को चूसा और चाटा और फिर उनकी चूत में उंगली दे दी. मामी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और फिर मैंने उनको दीवार के सहारे लगा कर उनकी चूत में लंड को पेल दिया.

मैं मामी को वहीं दीवार के सहारे लगा कर चोदने लगा. मैंने दस मिनट तक मामी की चुदाई की और फिर मैं दूसरी बार मामी की चूत में झड़ गया. फिर हम दोनों चुपके से आकर लेट गये.

सुबह जब मामी चाय देने आई तो वह मुस्करा रही थी. जब वो मेरे करीब आई तो मैंने मामी के चूचों को नजर बचाकर छू लिया और मामी ने मेरा हाथ झटक दिया. मामी को शायद डर था कि घर में कोई देख लेगा. उसके बाद मैंने मामी की चूत कई बार चोदी.

अब मामी भी खुश रहने लगी थी. हमें जब भी मौका मिलता था हम चुदाई कर लेते थे.

फिर जब मामा वापस आ गये तो हमें मौका मिलना बंद हो गया. मगर हम दोनों ही इस बात के इंतजार में रहते थे कि कब हमें चुदाई करने का मौका मिलेगा. मामी मेरा लंड लेकर खुश रहने लगी थी और मैं भी मामी की मामी की चुदाई करके मजे लेता रहा.


उनके चूचे मुझे रात को सोने नहीं देते थे. मैं रोज उनके बारे में सोच कर मुट्ठ मार लिया करता था.

कुछ दिन बीत जाने के बाद नानी ने मेरी मां के पास फोन किया और मेरे आने के बारे में पूछा क्योंकि मामा जी कुछ दिन के बाहर जा रहे थे और नानी ने मां को कह दिया कि वो मुझे यहां मामा के घर जल्दी ही भेज दें क्योंकि वहां पर घर की देखभाल करने वाला कोई नहीं था. मां ने मेरे कपड़े पैक कर दिये और मैं वापस नानी के यहां आने के लिए तैयार हो गया.

मैं मन ही मन खुश हो रहा था क्योंकि अब मुझे मामी को चोदने का मन कर रहा था और मैं सोच रहा था कि अब ये मौका भी अच्छा हाथ लगा है क्योंकि मामा के रहते हुए तो मैं मामी से इस तरह की बात नहीं कर पाता. अब जो कि मामा बाहर जा रहे हैं तो मामी की चूत चुदाई का रास्ता भी मेरे लिए आसान हो जायेगा. मैं किसी ने किसी बहाने से मामी से उनके मन की इच्छा जान ही लूंगा.

मेरे नानी के यहां आने पर मामा जी तैयार हो गए और मैं उन्हें ट्रेन में बिठा कर वापस आ गया. शाम हुई तो खाना वगैरह खा कर फिर सोने की तैयारी होने लगी. मामी जी ना बोला कि रोहित तुम हमारे साथ ही सो जाओ, आज तो मामा जी भी नहीं है.

मैं तो जैसे मामी के मुंह से यही सुनना चाह रहा था. मैं झट से तैयार हो गया उनके साथ सोने के लिए. हम लोग मामी जी के साथ ही सोने लगे.

मामी एक साइड सो रही थी, मैं एक साइड में था और बीच में दोनों बच्चे सो रहे थे. अब मैं मामी जी के सोने का इंतजार कर रहा था.

रात को करीब 12:00 बजे जब मुझे विश्वास हो गया कि सब सो गए हैं तब मैं जागा और मामी जी के बगल में जाकर लेट गया और उनकी जांघ पर हाथ रख कर उनकी मांसल जाँघों को छूने लगा.

छूते ही मेरा लंड जैसे फटने को हो गया. मैं धीरे-धीरे जांघों पर हाथ फेरने लगा. मैं उनकी मैक्सी के ऊपर से ही हाथ फेरने में लगा था. मैंने धीरे-धीरे अपना हाथ उनकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा. मामी ने शायद पैंटी नहीं पहनी हुई थी. उनकी चूत की झांट मेरे हाथ पर महसूस हो रही थी. यह अहसास पाकर मैं तो जैसे पागल ही हो गया.

मैंने धीरे-धीरे मैक्सी को ऊपर उठाना शुरू किया और कमर तक मैक्सी ऊपर कर दी. अब मैं भूल चुका था कि अगर वह जाग गई तो कितना बड़ा कांड हो जाएगा. मैं तो हवस के चक्कर में पागल ही हो गया था.

मैंने अपना लौड़ा निकाला और उनकी जांघों पर फेरने लगा.

तभी थोड़ी सी हलचल हुई और मामी मेरी तरफ पीठ करके लेट गई. एक बार तो मैं घबरा गया … लेकिन मामी जगी नहीं थी शायद … इसलिए मैंने दोबारा से कोशिश करने के लिए सोचा.
मैं थोड़ा रुका और फिर अपना लौड़ा उनकी गांड पर रगड़ने लगा. मेरा मोटा और सख्त लंड उनको अपनी गांड पर शायद महसूस हुआ तो वो एकदम से उठ गई.

मैं भी झट से नीचे लेट गया. उसके बाद मैंने आंखें बंद कर लीं. मुझे डर लग रहा था. पता नहीं मामी ने क्या देखा और क्या नहीं. मगर जब मैंने दोबारा से आंखें खोलीं तो वो अपनी मैक्सी को अंधेरे में ही नीचे करके वापस लेट चुकी थी. मगर मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था. मैं सोच रहा था कि शायद ये मौका फिर नहीं मिलेगा.

कुछ समय बाद मैंने उनके मम्मों पर हाथ रखा और धीरे-धीरे उन्हें दबाने लगा.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने मैक्सी ऊपर उठाई और जल्दी से लौड़ा निकाल कर उनकी चूत के छेद पर रख दिया. तभी मामी जग गई और मुझे देख कर एकदम सकपका गई और धीमी आवाज में चिल्लाते हुए गुस्से से बोली- यह क्या कर रहे हो रोहित? तुम्हें समझ नहीं आता? मैं तुम्हारी मामी हूं. यह सब जो तुम कर रहे हो, यह गलत है.

मामी का गुस्सा देख कर मेरी गांड फट गई और मैंने उनको सॉरी बोला और उठ कर कमरे से बाहर चला गया और सोफे पर लेट गया और वहीं लेटे लेटे सो गया. मुझे डर लग रहा था कि कहीं वह शिकायत ना कर दे.

फिर सुबह वह चाय लेकर आई और मुझे जगाया. मैंने उनकी तरफ देखा भी नहीं. मैं नजर नीचे करके चाय पीता रहा और वह मेरे सामने ही टेबल साफ कर रही थी तो उनके मम्मों के दर्शन होने लगे.

पता नहीं क्यों अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. जब भी उनको देखता था तो खुद को रोकना मुश्किल हो जाता था. उनके चूचों को देखते ही उस वक्त भी मेरा लौड़ा तो जैसे फटने को हो रहा था. मैं चाय बीच में ही रख कर बाथरूम की तरफ भागा.

मुझे एकदम से ऐसे अधूरी चाय छोड़ कर जाते हुए देख कर मामी ने पूछ लिया कि कहां जा रहे हो. मैंने बाथरूम में घुस कर मामी को अंदर से ही आवाज लगाई कि कुछ नहीं मामी, बस अभी आ रहा हूं वापस.

अंदर जाने के बाद मैं बाथरूम का गेट लगाना भूल गया और लंड की मुट्ठ मारने लगा. मेरी आंखें बंद थीं और मैं तेजी से अपने लंड को हिला रहा था. पता नहीं कब मामी आ गई और उन्होंने मुझे देख लिया.

जब मुझे मामी के आने की आवाज सुनाई दी तो मैंने आंखें खोली ही थीं लेकिन उस वक्त मेरे हाथ में मेरा लंड था और मेरे लंड से वीर्य क


मामी की चुदाई करके प्यास बुझाई
01-08-2019 by रोहित इंदौर
मैं पढ़ाई के लिए अपने मामा के घर रहता था. एक रात मैंने चुपके से मामा मामी की चुदाई देखी. तब से मैं मामी की चुदाई के ख्वाब देखने लगा. मैंने मामी की गर्म चूत की प्यास कैसे बुझाई?

नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम रोहित है और मैं इंदौर (मध्य प्रदेश) का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 22 साल है.

मेरे मामाजी ग्वालियर में रहते हैं. उनका परिवार बहुत ही मॉडर्न है. मामा जी के घर पर मेरे नाना-नानी, मामा-मामी और उनके दो जुड़वा बच्चे हैं जो बहुत छोटे हैं.

मामी जी के बारे में बताऊं तो वह बिल्कुल गरदाई हुई मस्त जवान महिला है. उनके बूब्स मीडियम साइज के हैं. वह बहुत ही गोरी भी हैं देखने में। मतलब कि उन्हें देख कर किसी भी मर्द का लंड खड़ा हो सकता है.

मामी जी से मेरी बहुत ही अच्छी दोस्ती है और मैं उनसे अपनी हर बात शेयर करता हूं लेकिन उनसे मैंने कभी भी सेक्स वगैरह के बारे में बात नहीं की थी। मैंने कभी भी मामी जी को गलत नजरों से नहीं देखा था।

अब मैं असली कहानी पर आता हूं. यह कहानी तब की है जब मैं 20 साल का था और मेरे कॉलेज का फर्स्ट ईयर था. जब मैं वहां पर पढ़ाई करने के लिए गया तो मेरा बहुत ही अच्छे तरीके से स्वागत किया गया और मेरे लिये स्पेशल खाना बनाया गया. रात का खाना खाने के बाद हम लोगों की सोने की तैयारी हो गई.

फ्लैट में दो ही कमरे थे। एक में नाना-नानी सोते हैं और एक में मामा जी, मामी जी और उनके बच्चे सोते हैं.
मैं ड्राइंग रूम में टीवी देखने लगा और वहीं सोफे पर सो गया.

कुछ समय बाद मेरी आंख खुली और मैं बाथरूम में गया तो मुझे कुछ आवाजें आईं. मैंने मामी जी के कमरे के पास जाकर देखा तो देखता ही रह गया.

मामा जी बिल्कुल नंगे लेटे हुए थे। मगर उनका लंड बहुत ही छोटा था. मामी जी कपड़े उतार रही थी. मामी जी केवल ब्रा पेंटी में थी और उनकी गोरी गोरी मांसल जांघें देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मैं अपने लंड को रगड़ने लगा.

उनके कमरे में जीरो वाट का बल्ब जल रहा था जिसकी रोशनी में बहुत ही कम दिख रहा था और मैं गेट की सांस(दरार) में से यह सब देख रहा था. मामी जी लेट गई और मामा जी मिशनरी पोजिशन में आकर उन्हें चोदने लगे और 7-8 धक्कों के बाद ही मामा जी का निकल गया और वह चुपचाप लेट गए.

मामा-मामी की चुदाई देख कर मेरा लंड खड़ा हो चुका था. मेरे अन्दर भी सेक्स जाग गया था. मेरा लंड बिल्कुल तन गया था. मैं अपने लंड को वहीं पर खड़ा होकर मसलने लगा.

मैं अभी भी वहीं पर देख रहा था और मैंने महसूस किया कि मामी जी के चेहरे पर हल्की सी मायूसी सी दिखाई दे रही थी. वो मामा जी के द्वारा किये गये सेक्स से खुश नहीं लग रही थी. मुझे भी ऐसा लग रहा था कि मामा जी का बहुत जल्दी निकल गया. इसी वजह से मामी की प्यास अधूरी रह गई होगी.

कुछ देर तक मामा जी लेटे रहे फिर उठ कर एक तरफ होकर चादर तान ली और सो गये. मगर मामी की नंगी चूत अभी भी मुझे दिखाई दे रही थी. मैं वहां से हटना नहीं चाह रहा था. मैंने पहली बार मामी की नंगी चूत को देखा था और बार-बार उसको देख कर मैं अपने लंड को मसल कर मजा लेने में लगा हुआ था.

उसके बाद मामी जी ने अपनी चूत में अपने हाथ से ही उंगली करनी शुरू कर दी. कुछ ही देर में मामी जी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.

इधर मैं मामी जी की चूत को देख कर अपना लंड मसल रहा था और वहां मामी जी अपनी चूत में उंगली करके अपनी चूत को शांत करने की कोशिश कर रही थी. वो फिर जोर जोर से उंगली करने लगी और उनके मुंह में से तेज तेज सिसकारियां निकलने लगीं.

उसके बाद मैं वहां से आ गया. मैं चुपचाप जाकर सोफे पर लेट गया. मगर लेटे हुए भी मुझे नींद नहीं आ रहा थी. उस रात को मामी के प्रति मेरा नजरिया बदल गया. मैं काफी देर तक मामी की चूत के बारे में सोच कर मुट्ठ मारता रहा. जब तक मेरे लंड से वीर्य न निकल गया मुझे शांति नहीं मिली. अपना वीर्य निकाल कर फिर मैं शांत हो गया और मुझे नींद आ गई.

अगली सुबह को जब मेरी आंख खुली तो मामी मुझे चाय के लिए जगा रही थी. मैंने आंखें मलते हुए उनको देखा तो वो चाय का कप नीचे रख रही थी. मैंने उनके चूचों को देख लिया. मुझे जब उनके चूचों की झलक मिली तो मेरे लंड में हलचल सी होने लगी. उनकी वक्षरेखा देख कर मेरा लंड एकदम से अंदर ही अंदर तनना शुरू हो गया.

मैं उनको ताड़ रहा था और मामी ने मुझे ऐसा करते हुए देख लिया. मामी ने मुझसे पूछा- ऐसे क्यों देख रहा है?
मैंने शर्म के मारे नजर नीचे कर ली.
फिर मामी ने कहा- चाय पी लो, ये ठंडी हो रही है.

उस दिन मेरा मन कर रहा था कि मामी के चूचे को दबा ही दूं लेकिन अभी मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी. मामी वापस चली गई.

उसके बाद मैं कुछ दिन के लिए अपने घर पर चला गया. वहां पर जाकर भी मैं मामी के बारे में ही सोचता रहा. उनके


मामी की चुदाई गलती से
मुझे मेरे दोस्त की शादी में मामा के गाँव जाना था। रात को बहुत मस्ती की, नाचना-गाना हुआ फिर सब लोग सोने चले गये। मैं भी मामा के घर सोने चला गया। मामाजी की रात की नौकरी थी तो वो गए हुए थे।

मामाजी की एक लड़की ही थी 18 साल की। जब मैं घर में गया तो वो दोनों ( मामीजी और मामाजी की लड़की ) अपनी खटिया पर थी। मेरे लिए भी उनके बाजू में ही खटिया लगा दी थी।

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एक तरफ मैं सोया था, एक तरफ मामीजी और बीच में मेरी ममेरी बहन सोई हुई थी। रात को तक़रीबन ढाई बजे मेरी नींद खुल गई। मैंने देखा कि पूरे कमरे में अंधेरा था।

मैंने अपने लंड पर हाथ रखा तो वो एकदम खड़ा हो चुका था तक़रीबन आठ इन्च का। मुझ पर सेक्स सवार हो गया था !

Mastram Desi Kahani – जवान लड़की की चुदाई

फिर मुझे याद आया कि गाँव के लड़के बात कर रहे थे कि तेरे मामा की लड़की बड़ी खराब हो रही है और पता चला है कि वो कई बार सेक्स कर चुकी है।

तो मैंने सोचा कि क्यों न आजमाया जाये बहन पर कुछ नया तरीका !तो मैंने नींद में ही होने का नाटक करते हुए अपना हाथ बहन की टांग पर रख दिया! फिर धीरे धीरे सहलाने लगा, वो नींद में थी।

मुझमें और हिम्मत आ गई तो मैं अपना हाथ धीरे से सरकाते हुए ऊपर ले गया। अब मेरा हाथ उसकी चड्डी के पास था। मैंने उसके कपड़ों पर से ही उसकी चूत पर हाथ रख दिया। फिर ऊपर से ही हाथ घुमाने लगा वो अभी तक नींद में ही थी।

मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था लेकिन गाँव के लड़कों की बात याद कर के मुझ में हिम्मत आ गई और मैंने उसका नाड़ा खोल दिया।

लाइट बंद थी इसलिए यह सब मेरी मामी को नहीं दिख रहा होगा या फिर वो भी गहरी नींद में होगी, यह सोच कर मैंने अपना काम चालू रखा।

Mastram Desi Kahani – दीदी की मदमस्त गांड

उसका नाड़ा खोलते ही मैंने अपना हाथ अंदर दाल दिया उसने चड्डी नहीं पहनी थी और मेरे हाथ में सीधी ही उसकी चूत आ गई। में बहुत उत्तेजित हो गया, मेरे रोंगटे खड़े हो गए और मेरा लंड लगता था फटने ही वाला हो !

मैंने अपना हाथ थोड़ा और नीचे जाने दिया तो उसकी चूत के दाने पर मैं अपनी उंगली से मसल पा रहा था। तभी अचानक कुछ हरकत हुई, मुझे लगा कि वो जाग गई है। और मैं तुरंत अपना मुँह दूसरी तरफ घुमाकर सो गया।

थोड़ी देर बाद मैं फिर से उठा। कमरे में अभी भी अँधेरा ही था, मैंने सोचा, चलो कुछ हो-हल्ला नहीं हुआ। और मेरी बहन शायद सू-सू करने गई होगी और आकर फिर सो गई होगी। यह सोच कर मैंने सोचा कि उसको भी शायद मज़ा आया हो।

तो मैंने आगे का कार्यक्रम फिर चालू करने के बजाय सीधा ही हाथ उसकी चूत के पास रख दिया और सहलाने लगा। फिर मैंने सोचा कि चलो नाड़ा फिर से खोला जाये तो मैंने हाथ ऊपर की तरफ नाड़े की ओर खिसकाया, लेकिन नाड़ा मिल नहीं रहा था।

मैं सीधा हाथ उसके मम्मे की ओर ले गया।

Mastram Desi Kahani – बुआ की चूत चुदाई

मुझे कुछ अजीब ही लगा, मम्मे एकदम बड़े थे ! मैं दंग रह गया, सोचा कि मेरी बहन के मम्मे तो छोटे सी थे, लेकिन यह क्या ! मेरी बहन की जगह पर मामी जी आकर सो गई थी।

मैं एक बार तो रुक गया, घबरा भी गया। फिर सोचा कि मैंने मामी की चूत को छुआ तो वो कुछ नहीं बोली, मम्मों को पकड़ा तो कुछ नहीं बोली, तो अब क्या बोलेगी।

सोचकर सीधे ही फिर से चूत की ओर बढ़ा ! मामी ने नाइटी पहनी हुई थी तो चूत को ऊपर से ही सहलाने लगा।

फिर लगा कि मामी कुछ बोल नहीं रही तो धीरे से नीचे हाथ डालकर मामी की नाइटी को कमर तक ऊपर उठाया और मामी की चूत को उनकी चड्डी के ऊपर से सहलाता गया।


! मैंने कौन सा अपनी गांड पर ताला लगा रखा है!

उनका लंड खड़ा हो गया, उन्होंने मुझे उठाया और एक दीवाल के सहारे खड़ा कर दिया, मेरी गांड में थूक लगा कर लंड मेरी गांड में पेलने की कोशिश करने लगे लेकिन लंड अंदर नहीं गया।

फिर कुछ देर बाद उन्होंने अच्छे से लंड को मेरी गांड के छेद पर टिकाया और जोर लगाया तो उनका लंड मेरी गांड में घुस गया।
मैं चिल्लाने लगी, उन्होंने मेरे मुंह पे हाथ रख दिया।
वे धक्के मारने लगे, मुझे बहुत दर्द होने लगा, कुछ देर बाद मुझे मजा भी आने लगा.

काफी देर तक उन्होंने मेरी गांड मारी, मैंने भी अपनी गांड उठा उठा कर मरवाई.

फिर मैं नीचे चली आयी और सो गई।

इसी तरह अब तक भी वो मौक़ा मिलते ही मुझे चोदते हैं। पर अब इतना टाइम नहीं मिलता उनसे चुदवाने का।


मुझे उन्होंने पूरी नंगी कर दिया और खुद भी पूरे नंगे हो गए और अपने लंड को मेरे मुंह में भरने लगे. मैं भी उनके लंड को मुख में लेकर मजा ले ले कर चूसने लगी।
वो बोल रहे थे- आआह सस्स ह्य्य्य्य… कितना अच्छा लंड चूसती हो तुम डॉलिंग! मजा आ गया! आह आह… हाँ… हाँ!
मैंने उनके लंड को मुँह में भरा हुआ था और उन्होंने बोला- मेरा माल निकल जाएगा।

मैं उनके लंड को मुंह में भर कर के फेंटने लगी, जब वो झड़ने लगे तो उन्होंने अपना लंड मेरे मुख से बाहर खींच लिया और उन्होंने अपने माल को मेरी चुचियों पर डाल दिया।
‌फिर वे लेट गए और ‌हाँफने लगे.

कुछ देर बाद फिर से वे मेरी चुचियों को अपने मुँह में भरने लगे, उन्होंने मेरी चूचियों के ऊपर से अपने ही माल को अपने होंठों से लगा लिया, फिर मुझे किस करने लगे. उनका माल मेरे मुँह में भी आ गया।

कुछ देर बाद वे बोले- समधन जी, अब हमें आपकी चूत को चाटना है!
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ? आइये, आपका स्वागत है मेरी चूत में!

मैंने अपनी टाँगों को फैला दिया और बोली- मेरे जानू, अपनी ही चूत समझना इसे आज से!
उन्होंने अपने मुँह को मेरी चूत पर रख दिया ‌और तेजी से चाटने लगे. मैं पागल सी होने लगी, मैं बोलने लगी- आआह समधी जी… सिसस्स… बस करो!

वो तेजी से मेरी चूत को चाट रहे थे, मैं चिल्लाते हुये बोली- अब चोदो भी राजा जी! पेलो मुझे राजा जी! अपनी रानी की चूत फाड़ दो जी!
फिर उन्होंने मुझसे बोला- कंडोम नहीं है मेरे पास! तुम्हारे पास है क्या?
मैं बोली- नहीं, मेरे पास भी नहीं है. तुम्हारे संधी जी तो मुझे चोदते ही नहीं तो कंडोम का क्या काम!

वो बोले- और अगर तुम प्रेग्नेंट हो गयी तो?
मैंने कहा- तो कर दो ना मुझे प्रेग्नेंट!

उन्होंने अपने लंड को मेरी गीली चूत टिकाया और एक झटके में मेरी चूत के अंदर कर दिया.
मैं दर्द और आनन्द से फड़फड़ाने लगी- ‌निकालो इसे… फट गई मेरी चूत!
वो जोश में आकर मुझे और जोर से पेलने लगे, मैं भी दर्द में भी मजा लेने लगी. उनके लंड ने मेरी चूत की गुफा को पूरा खोल दिया था और मेरी चूत ने लंड को पूरा जकड़ा हुआ था.

वो अपने लंड को पूरे जोश से मेरी चुत में अंदर बाहर कर रहे थे, मैं भी वासना से घिर कर बोल रही थी- आआआहह… उमआआआ… हां हां हां… हा चोदो मेरे राजा मेरी चूत को! हाय रे मर गयी।

वो बोले- आआह… कितनी गर्म चूत है तेरी!
फच्च फच्च!

“हा हाँ… आह… गयी मैं!” आआह कर के मैंने अपना रस छोड़ दिया लेकिन समधी जी अभी भी मुझे चोदने में लगे थे.
कुछ देर बाद वो बोले- मैं जाने वाला हूँ, कहाँ डालूं?
मैंने उनको बोला- मेरी बच्चे दानी में डाल दो राजा जी!
उन्होंने अपने रस को मेरी चूत में डाल दिया. मुझे लग रहा था कि गर्म पानी मेरी चूत में चला गया।
फिर वो मेरे ऊपर ही सो गए, मैं भी सो गई।

जब मेरी नींद खुली तो देखा कि समधी जी अभी भी सो रहे थे.
मैंने उठ कर कपड़े पहने और चाय बनाने चली गयी।
जब मैंने समधी जी को जगाया तो जगे।

फिर उन्होंने कपडे पहने और मैंने चाय दी।

वो बोले- समधन जी, तुम्हारी चूत मार कर मजा आ गया आज तो!
मैं बोली- मुझे भी आप के लंड से चुदवा कर बहुत अच्छा लगा।

वो फिर से मेरी चुचियों को मसलने लगे और बोले- अगली बार आपकी गांड मारूँगा।
मैंने भी हाँ कर दी।

फिर शाम को मेरे पति आये और समधी जी को ट्रेन पर छोड़ने गये।

फिर उसके बाद मैं रात रात को समधी जी से नेट पे खूब बातें करती रही।

एक दिन मेरे पति बोले- चलो आँचल से मिलने उसके घर चलते हैं।
मैंने कहा- ठीक है!


सुबह ही हम निर्मला के घर पहुँच गये। समधी जी मुझे देख कर मुस्कुराने लगे।
दिन का वक्त तो ऐसी ही खाने पीने और बतियाने में निकल गया.

रात उनके यहाँ सब छत पर लेटे थे गर्मी के चक्कर में… मैं भी वहीं लेट गयी।

आधी रात को सब नीचे जाने लगे, समधन जी बोली- चलो नीचे!
मैंने कहा- आप चलो, मुझे तो यहाँ अच्छा लगा रहा है, मैं अभी थोड़ी देर में आती हूँ।

वो मुझे नींद में समझ कर नीचे चली गयी। सब चले गए.

कुछ देर बाद समधी जी मेरे बिस्तर पर आकर लेट गए, मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को चूसने लगे, मैं भी उनसे चिपक कर उन्हें किस करने लगी।

उन्होंने मेरी मैक्सी ऊपर कर दिया मेरी मुझे अपनी ओर कर लिया मेरी चूत में लंड डालने लगे तो बोले- अरे यार ये तो सूखी पड़ी है!
मैंने कहा- आपने मुझे कौन सा गर्म किया जो ये पानी छोड़ती!

उन्होंने अपने थूक को मेरी चूत में डाला और अपने लंड को पेल दिया. मैं कमर उठा कर चूत चुदाई का मजा लेने लगी, आआह करने लगी.
वो मुझे मजे से चोदने लगे, मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था, वो बड़े आराम से मेरी चूत चोद रहे थे- आआह आआह आह सस्स… पट पट… सस्स्स हाह!

फिर कुछ मिनट बाद उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, बड़ी तेजी से मुझे चोदने लगे.
मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर उनके लंड को लेने लगी.

कुछ देर बाद मेरा रस निकल गया और लगभग तभी उन्होंने भी अपना माल छोड़ दिया।

वे कुछ देर तक मुझे किस करते रहे, फिर वो बोले- अब गांड दो!
मैंने कहा- ले लो


मेरा नाम कविता मिश्रा है, मैं 42 साल की हूँ. मैं बनारस की रहने वाली हूँ। मेरे पति बैंक में जॉब करते है, मेरी बेटी 20 साल की है आँचल, उसकी शादी भी तय है।

यह हिन्दी पोर्न स्टोरी मेरे साथ मेरे नए बने समधी जी की चुदाई की है, मैंने मेरे समधी जी के कहने पे लिखी है। आप लोग कहानी का आनन्द लें।

मैं अपने बारे में बता दूँ मैं बहुत सेक्सी औरत हूँ दिखने में भरे पूरे शरीर की हूं, मेरी चुचियाँ बहुत बड़ी हैं, मेरी नाभि बहुत गहरी और सेक्सी है।

कुछ महीनों बाद मेरी बेटी की शादी हो गयी। वो अपने घर चली गयी। घर पर मैं अकेली रह जाती हूँ। अपना टाइम नेट पे बिताती हूँ।

मेरे पति अब मेरी बहुत कम चुदाई करते थे। मैं परेशान रहती थी।

मैं अपने समधी और समधन के बारे मैं बता दूँ। मेरे समधी 45 साल के हैं, समधन 43 साल की है।

एक दिन रात को वॉट्सपप पे मैं अपने समधी जी से चैट कर रही थी, बातें हो रही थी। इसी तरह हम लोग रोज बात करते रहे. धीरे धीरे हमारी बातें बहुत सेक्सी होने लगी।

एक रात को करीब एक बजे हम चैट कर रहे थे। हम लोग बातें करते करते इतने खुले विचारों के हो गए कि खुले आम सेक्स की बाते भी करने लगे। मैं जब भी उनसे बात करती, अपनी चूत को मसलने लगती।
एक दिन उन्होंने अपने लंड की पिक भेज दी मुझे… मैंने देखा कि उनका लंड मेरे पति से बहुत बड़ा मोटा था।

‌मैंने लिखा- इसको इतने बड़े समधन जी कैसे ले लेती हैं अपने अंदर?
वो हँसने लगे।
मैंने भी उनको अपनी चुचियों की पिक भेज दी, मेरी चुची देख कर वो तो पागल से हो गए।

कुछ दिन बाद वो अचानक मेरे घर आये, जिस दिन आये मेरे पति घर पर थे, वो मेरे पति से बाते कर रहे थे और मुझे देख रहे थे।
मेरे पति ने उन्हें रात को रोक लिया।

रात को मैं उन्हें खाना खिला रही थी, मैंने नाइटी पहनी हुई थी। ‌वो मेरी चुचियों को देख रहे थे।
रात को हमने उन्हें एक कमरे में सुला दिया।

सुबह मेरे पति बोले- मुझे आज जल्दी काम है, मैं बैंक जा रहा हूँ, तुम समधी जी से कह देना।
वो बैंक चले गए।

मैं नहायी धोयी और एक पिंक साड़ी पहनी जिसमें मैं बहुत मस्त लग रही थी।

तब मैंने समधी जी के कमरे में जाकर उनको उठाया।

‌कुछ देर बाद वो नहा कर तैयार हुये और मुझसे बातें करने लगे।
उन्होंने पूछा- समधी जी कहाँ हैं?
मैंने बताया- उन्हें आज जल्दी बैंक जाना था तो वे बैंक चले गये.

मेरे समधी मुस्कुराने लगे।

कुछ देर बाद मैंने उन्हें नाश्ता कराया. फिर मैंने कहा- आप मेरे बेड रूम में आराम कर लीजिये.
वे बिना कुछ बोले मेरे बेड रूम में लेट गए।

अपना सारा काम निपटा कर मैं कुछ देर बाद उनके साथ बेड पर ही बैठ गयी।
‌‌तभी मेरे समधी जी ने मुझे पकड़ कर लिया और अपने साथ बिस्तर पर लिटा दिया, अपने होंठों से मेरे नर्म होंठों को चूसने लगे, मैं भी उनका साथ दे रही थी।
उन्होंने मेरे पल्लू को हटा दिया और मेरी बड़ी चुचियों को पिंक ब्लाऊज के ऊपर से पकड़ कर दबाने लगे.
मैं उम्म्ह… अहह… हय… याह… करने लगी।

‌कुछ देर उन्होंने मुझे किस किया और मेरी गर्दन पर अपने होंठों को मसलने लगे। मैं कामवासना से बेचैन हो गयी। समधी जी ने अपने एक हाथ को मेरे साड़ी के अंदर कर दिया जो मेरी चूत पर रुका, वे मेरी गर्म चूत को सहलाने लगे।
मैं कामुकता वश सीत्कारें भरने लगी.

वो बोले- समधन जी, आप तो बहुत चुदासी लगती हो?
मैंने उनको लंड को पकड़ते हुए बोला- हां समधी जी, आपने सही जाना है, मैं प्यासी ही हूँ।

‌उन्होंने अपने पजामे के नाड़े को खोल दिया और अपने लंड को मेरे हाथ में दे दिया. उनका लंड बहुत गर्म था और मोटा भी! मैं उनके लंड को सहलाने लगी. समधी जी का लंड मेरे हाथ में फड़क रहा था.

जब समधी जी से रुका ना गया तो वे अपने हाथों से मेरे ब्लाऊज के हुक खोलने लगे. धीरे धीरे सारे हूक खुल गए तो उन्होंने मेरी ब्रा को भी खोल दिया। मेरे दोनों कबूतर खुली हवा में आ गये. वे मेरी चुचियों को अपने दोनों हाथों से मसलने लगे, मसल मसल कर उन्होंने मेरी चूचियों को पहले तो नर्म कर दिया, फिर वासना से उत्तेजित होकर मेरी चूचियाँ और मेरे निप्पल सख्त हो गए. समधी जी अपने दोनों हाठों से मेरी दोनों चूचियां तेजी से दबाने लगे।

‌मैं बोलने लगी- आआह… धीरे दबाओ ना…
वो बोले- बड़ी मुश्किल से तुम आज ही तो मेरे हाथ लगी हो, आज तो मैं तुम्हें नहीं छोडूंगा.

उन्होंने मेरे बड़े निप्पलों को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे.
मैं बोलने लगी- सस्स… हां… समधी जी… पी लो अपनी समधन की जवानी को… आउच काटो मत… पियो!

दस मिनट उन्होंने मेरी दोनों चूचियों को चूस चूस कर मसल मसल कर लाल कर दिया. फिर उन्होंने मेरी साड़ी उतार दी और मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच कर खोलने लगे.
मैं बोली मजाक में- समधी जी, अब मुझे चोदोगे भी क्या?
वो हंसते हुए बोले- हां… क्यों कोई शक?
मैं फिर मजाक में बोली- ऐसे अच्छा लगता है क्या? रिश्तेदारी में ये सब ठीक नहीं!
वो बोले- तो अब तक क्या मां चुदा रही थी?
‌मैं जोर जोर से हंसने लगी.

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