इस बात में तो कोई शक नहीं है कि भारत में बड़े-बड़े विद्वानों ने जन्म लिया है. भारत में रचित हज़ारों साल पुराने ग्रंथों में कई ऐसी बातें लिखी हैं, जिन्हें जानने में बाकी दुनिया को कई साल लग गए. जिन्हें दुनिया आज अपना कह रही है, दरअसल हजारों साल पहले उन तथ्यों को भारत के विद्वानों द्वारा खोज लिया गया था. इन तथ्यों से पता चलता है कि भारत वैज्ञानिक उन्नति में हमेशा से बाकी देशों से आगे रहा है. परन्तु आज इन वैज्ञानिक खोज में भारत कहीं न कहीं पीछे चला गया है. इसके पीछे और कोई नहीं बल्कि हम भारतीय ही जिम्मेदार हैं. हमने अपने इस स्वर्णिम इतिहास को भूला दिया है, जिसे अब वापस जानने का वक्त आ गया है. जानें भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा किये गए खोज की कहानी-
1. सौर-मंडल का अस्तित्व -
सौर-मंडल के अस्तित्व के बारे में ऋग्वेद में साफ़-साफ़ लिखा है, ऋग्वेद के मुताबिक, सूर्य के आस पास खगोलीय पिंड चक्कर लगाते हैं और आकर्षण के बल के कारण ये आपस में टकराते नहीं हैं.
ऋग्वेद का ये ज्ञान साफ़ करता है कि अंतरिक्ष के बारे में हमारे ज्ञान सबसे पुराना है.

2. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity) -
गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में ऋग्वेद में साफ़-साफ़ विवरण किया गया है. ऋग्वेद के मुताबिक, पृथ्वी के हाथ-पैर नहीं हैं, पर ये चलती है. इसके साथ सब कुछ घूम रहा है. ये सूर्य का चक्कर लगाती है.

3. प्रकाश की गति -
प्रकाश की गति के बारे में सयाना नाम के एक प्रसिद्ध भारतीय वैदिक विद्वान ने 14वीं शताब्दी में पता लगा लिया था. उन्होंने अपने कई लेखों में इसके बारे में जानकारी दी है.

4. ग्रहण के पीछे का कारण -
भारतीय विद्वानों को पहले ही ग्रहण के (सूर्य या चन्द्र ग्रहण) पीछे के विज्ञान के बारे में पता था. बाकी दुनिया तब ग्रहण का कारण काले जादू को मानती थी. वहीं ऋग्वेद में सूर्य ग्रहण का वर्णन लिखा हुआ था. ऋग्वेद में साफ-साफ़ लिखा है- ऐ सूर्य! जब वो ही तुम्हारी रोशनी को रोकने लगता है, जिसे तुमने ही रोशन किया है, तो पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है.

5. पृथ्वी गोल है -
कई प्राचीन लेखों और ग्रंथों में भारतीय खगोलविदों ने पहले ही बता दिया था कि सूर्य एक विशाल तारा है और पृथ्वी का आकार गोल है. इन ग्रंथों से साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय ज्ञान कितना विशाल है.

6. पृथ्वी का आकार और परिधि -
ब्रह्मगुप्त ने 7वीं शताब्दी में पृथ्वी की परिधि (Circumference) 36,000 km बताई थी. असल में पृथ्वी की परिधि 40,075 km है. यानी इसमें केवल 1% Error Margin था.

7. साल के दिन -
भारतीय ज्ञान सूर्य सिद्धांत में एक साल का समय नापने के 4 तरीके बताये गए हैं- 'Nakshatra', 'Savana', 'Lunar' और 'Saura'. Saura विधि से एक होते हैं.

8. Pi का मूल्य -
आर्यभट्ट ने Pi (π) की Value 3.1416 बताई थी. उस वक्त उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी. आर्यभट्ट का नाम दुनिया के सबसे बड़े विद्वानों में गिना जाता है. Trigonometry भी उन्हीं की देन है.

9. शल्य चिकित्सा -
Surgical Procedures के बारे में जब दुनिया कुछ नहीं जानती थी, तब भी भारत में सुश्रुत शल्य चिकित्सा किया करते थे. 1200BC में ही भारतीय विद्वानों ने 184 अध्यायों का Medical Encyclopedia लिख दिया था. आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों से Anesthesia भी बनाया जाता था.
1. सौर-मंडल का अस्तित्व -
सौर-मंडल के अस्तित्व के बारे में ऋग्वेद में साफ़-साफ़ लिखा है, ऋग्वेद के मुताबिक, सूर्य के आस पास खगोलीय पिंड चक्कर लगाते हैं और आकर्षण के बल के कारण ये आपस में टकराते नहीं हैं.
ऋग्वेद का ये ज्ञान साफ़ करता है कि अंतरिक्ष के बारे में हमारे ज्ञान सबसे पुराना है.

2. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravity) -
गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में ऋग्वेद में साफ़-साफ़ विवरण किया गया है. ऋग्वेद के मुताबिक, पृथ्वी के हाथ-पैर नहीं हैं, पर ये चलती है. इसके साथ सब कुछ घूम रहा है. ये सूर्य का चक्कर लगाती है.

3. प्रकाश की गति -
प्रकाश की गति के बारे में सयाना नाम के एक प्रसिद्ध भारतीय वैदिक विद्वान ने 14वीं शताब्दी में पता लगा लिया था. उन्होंने अपने कई लेखों में इसके बारे में जानकारी दी है.

4. ग्रहण के पीछे का कारण -
भारतीय विद्वानों को पहले ही ग्रहण के (सूर्य या चन्द्र ग्रहण) पीछे के विज्ञान के बारे में पता था. बाकी दुनिया तब ग्रहण का कारण काले जादू को मानती थी. वहीं ऋग्वेद में सूर्य ग्रहण का वर्णन लिखा हुआ था. ऋग्वेद में साफ-साफ़ लिखा है- ऐ सूर्य! जब वो ही तुम्हारी रोशनी को रोकने लगता है, जिसे तुमने ही रोशन किया है, तो पृथ्वी पर अंधेरा छा जाता है.

5. पृथ्वी गोल है -
कई प्राचीन लेखों और ग्रंथों में भारतीय खगोलविदों ने पहले ही बता दिया था कि सूर्य एक विशाल तारा है और पृथ्वी का आकार गोल है. इन ग्रंथों से साफ़ अंदाजा लगाया जा सकता है कि भारतीय ज्ञान कितना विशाल है.

6. पृथ्वी का आकार और परिधि -
ब्रह्मगुप्त ने 7वीं शताब्दी में पृथ्वी की परिधि (Circumference) 36,000 km बताई थी. असल में पृथ्वी की परिधि 40,075 km है. यानी इसमें केवल 1% Error Margin था.

7. साल के दिन -
भारतीय ज्ञान सूर्य सिद्धांत में एक साल का समय नापने के 4 तरीके बताये गए हैं- 'Nakshatra', 'Savana', 'Lunar' और 'Saura'. Saura विधि से एक होते हैं.

8. Pi का मूल्य -
आर्यभट्ट ने Pi (π) की Value 3.1416 बताई थी. उस वक्त उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी. आर्यभट्ट का नाम दुनिया के सबसे बड़े विद्वानों में गिना जाता है. Trigonometry भी उन्हीं की देन है.

9. शल्य चिकित्सा -
Surgical Procedures के बारे में जब दुनिया कुछ नहीं जानती थी, तब भी भारत में सुश्रुत शल्य चिकित्सा किया करते थे. 1200BC में ही भारतीय विद्वानों ने 184 अध्यायों का Medical Encyclopedia लिख दिया था. आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों से Anesthesia भी बनाया जाता था.