अश्म॑न्वती रीयते॒ सꣳर॑भध्व॒मुत्ति॑ष्ठत॒ प्र त॑रता सखायः। अत्रा॑ जही॒मोऽशि॑वा॒ येऽ अस॑ञ्छि॒वान्व॒यमुत्त॑रेमा॒भि वाजा॑न् ॥ यजुर्वेद 35/10
संक्षिप्त संदेश :- असीमानंद की प्राप्ति के लिए दुख, दुर्व्यवहार, दुर्गुणों, दुर्व्यसनों का त्याग करो॥
इस मंत्र की आचार्य ईश्वरानंद जी ने अति सुंदर और विस्तृत व्याख्या की है और मंत्रोच्चारण भी सिखाया है और दुखो से दूर होने के लिए उत्साहवर्धक बाते कही है
मंत्रोच्चारण और इस मंत्र की विस्तृत व्याख्या :
https://youtu.be/iyNlzrYTIOIओम् सादर नमस्ते 🙏
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